Chapter 15 चार्ली चैप्लिन यानी हम सब Solutions
Question - 11 : - ‘चार्ली हमारी वास्तविकता है, जबकि सुपरमैन स्वप्न’ आप इन दोनों में खुद को कहाँ पाते हैं?
Answer - 11 : -
चार्ली ने जो कुछ अपनी फ़िल्मों और विज्ञापनों में दिखाया है वह यथार्थ है। इस यथार्थ को हम सभी लोग भोगते हैं। चार्ली ने जिस भी पात्र के माध्यम से बात कही वह हमारे समाज की, हमारे परिवेश की है। हम सभी लोग उससे कहीं न कहीं प्रभावित अवश्य हैं। सुपरमैन हमें कल्पना के अनंत आकाश में ले जाता है। जीवन की वास्तविकता से उसका कोई लेना-देना नहीं है। मैं स्वयं को चार्ली चैप्लिन के नजदीक पाता हूँ। यही होना भी चाहिए क्योंकि जो कुछ आपके सामने है वही यथार्थ है बाकी तो केवल कोरी कल्पनाएँ हैं जो जीवन के लिए उपयोगी नहीं हो सकतीं।
Question - 12 : - भारतीय सिनेमा और विज्ञापनों ने चार्ली की छवि का किन-किन रूपों में उपयोग किया है। कुछ फ़िल्में (जैसे आवारा, श्री 420, मेरा नाम जोकर, मिस्टर इंडिया और विज्ञापनों (जैसे चौरी ब्लॉसम)) को गौर से देखिए और कक्षा में चर्चा कीजिए।
Answer - 12 : -
भारतीय सिनेमा और विज्ञापनों ने चार्ली चैप्लिन की कई छवियों का प्रयोग किया। उसके कई रूपों को हमारे सामने प्रस्तुत किया है। कहीं वह बंजारे के रूप में हमारे सामने आता है तो कहीं अस्पताल में सफ़ाई करते नजर आता है, कहीं पालिश करते दिखाई देता है, तो कहीं सीढ़ी खींचता नज़र आता है। स्वर्गीय राजकपूर जी ने उनकी हू-ब-हू नकल अपनी फ़िल्मों में की। इसी प्रकार अनिल कपूर ने भी चार्ली चैप्लिन की भूमिका को ‘मिस्टर इंडिया’ नामक फ़िल्म के माध्यम से निभाया। वास्तव में जीवन और समाज से जुड़े प्रत्येक पात्र को अभिनय चार्ली ने किया था। इन्हीं विविध पात्रों को भारतीय सिनेमा और विज्ञापन जगत ने भुनाया। चैरी पालिश का विज्ञापन हमारे सामने है।
Question - 13 : - आजकल विवाह आदि उत्सव समारोहों एवं रेस्तराँ में आप भी चार्ली चैप्लिन का रूप धरे किसी व्यक्ति से टकराएँ होंगे। सोचकर बताइए कि बाज़ार ने चार्ली चैप्लिन का कैसा उपयोग किया है?
Answer - 13 : -
मीडिया हो या बाज़ार वह हर उस शख्सियत को भुनाना चाहता है जो प्रसिद्ध है। जिसके नाम का डंका चारों ओर बजता है। विवाह हो या अन्य समारोह आज भी चार्ली चैप्लिन की छवि का प्रयोग किया जा रहा है। उसका रूप धारण कर व्यक्ति लोगों का मनोरंजन करते हैं। उन्हें हँसाते हैं। बड़ी-बड़ी मूंछे लगाकर या चार्ली चैप्लिन जैसा ऊँचा कोट पैंट डालकर लोगों को हँसाने के लिए मजबूर कर देते हैं। कुछेक समारोहों में तो वे चार्ली जैसी हरकतें भी करते हैं। विवाह समारोह का आयोजन करने वाले लोग सभी उम्र के लोगों का मनोरंजन करना चाहते हैं और इसके लिए चार्ली से बढ़कर व्यक्ति या पात्र नहीं है।
Question - 14 : - …. तो चेहरा चार्ली चार्ली हो जाता है। वाक्य में चार्ली शब्द की पुनरुक्ति से किस प्रकार की अर्थ-छटा प्रकट होती है? इसी प्रकार के पुनरुक्त शब्दों का प्रयोग करते हुए कोई तीन वाक्य बनाइए। यह भी बताइए कि संज्ञा किन स्थितियों में विशेषण के रूप में प्रयुक्त होने लगती है?
Answer - 14 : -
इसका प्रयोग करने से अर्थवत्ता में वृद्धि हुई है। अर्थ और अधिक स्पष्ट रूप में हमारे सामने आता है। इस वाक्य का अर्थ बनता है कि चेहरा खिल जाता है। आनंद में डूब जाता है। तीन वाक्य
1. उसे देखकर दिल गार्डन-गार्डन हो गया।
2. रामू ने श्यामू को खरी-खरी सुनाई।
3. वह संजना को देखकर खिल-खिल गया।
संज्ञा तब विशेषण का रूप धारण करती है जब वह विशेष भाव या अर्थ देने लगे। तब अर्थ की महत्ता बढ़ जाती है किंतु संज्ञा अपने मूल अर्थ को विशेषण भावों के साथ प्रस्तुत करती है।
Question - 15 : - नीचे दिए गए वाक्यांशों में हुए भाषा के विशिष्ट प्रयोगों को पाठ के संदर्भ में प्रस्तुत कीजिए।
Answer - 15 : -
(क) सीमाओं से खिलवाड़ करनी
(ख) समाज से दुरदुराया जाना
(ग) सुदूर रूमानी संभावना
(घ) सारी गरिमा सुई चुभे गुबारे जैसी फुस्स हो उठेगी
(ङ) जिसमें रोमांस हमेशा पंक्चर होते रहते हैं।
उत्तर:
(क) सीमाओं से खिलवाड़ करने का अर्थ है कि सीमाएँ लांघ जाना। उनका अतिक्रमण कर देना ताकि समाज में लीक से हटकर चला जा सके। समाज को दिखाया जा सके कि हममें भी प्रतिनिधि बनने की क्षमता है। हम भी योग्य हैं।
(ख) समाज से दुरदुराया जाना मतलब ठुकरा दिया जाना। समाज उन्हीं लोगों को दुत्कारता या ठुकरा देता है जो गरीब और मजबूर हों। जिनकी हैसियत कुत्ते से बदतर हो। समाज से यदि किसी व्यक्ति को दुत्कार दिया जाता है तो वह उसके जीवन का सबसे बुरा समय है।
(ग) सुदूर रूमानी संभावना यानि कुछ न कुछ अच्छा होने की संभावना। यह आशा रहे कि कुछ अच्छा अवश्य होगा। यह संभावना यद्यपि शुरू में कल्पना होती है किंतु यथार्थ में भी बहुत जल्दी बदल जाती है।
(घ) जिस प्रकार गुब्बारे में सुई चुभो देने से उसकी सारी हवा निकल जाती है ठीक उसी प्रकार यदि एक बार चरित्र पर दाग लग जाए तो सारी गरिमा (इज्जत) खत्म हो जाती है। तब व्यक्ति की हालत सुई चुभे गुब्बारे जैसी हो जाती है।
(ङ) जिसमें रोमांस हमेशा पंक्चर होते रहते हैं। कहने का आशय यही है कि यदि भाग्य साथ न दे तो व्यक्ति का कोई भी काम सिरे नहीं चढ़ता। प्रत्येक परिस्थिति उसके प्रतिकूल हो जाती है। वह प्रत्येक कार्य में असफल रहता है। रोमांस (प्यार) की स्थिति भी लगभग ऐसी ही हो जाती है। नफ़रत के घरों में रोमांस का पंक्चर हो जाना स्वाभाविक है।
Question - 16 : - दरअसल सिद्धांत कला को जन्म नहीं देते, कला स्वयं अपने सिद्धांत या तो लेकर आती है या बाद में उन्हें गढ़ना पड़ता है।
Answer - 16 : -
लेखक के कहने का अभिप्राय यही है कि कला कभी जन्म नहीं लेती बल्कि यह तो नैसर्गिक होती है। यह प्रकृतिजन्य होती है। सिद्धांतों ने कभी कला को जन्म नहीं दिया है। कला के अपने सिद्धांत होते हैं। इन्हीं सिद्धांतों से अन्य सिद्धांत बनते हैं। कला ही सिद्धांतों को जन्म देती है।
Question - 17 : - कला में बेहतर क्या है-बुद्धि को प्रेरित करने वाली भावना या भावना को उकसाने वाली बुधि।
Answer - 17 : -
कला में बेहतर है बुधि को प्रेरित करने वाली भावना है अर्थात् जब कला में बुद्धि को प्रेरित करने की शक्ति आ जाए तो उसकी सार्थकता सिद्ध हो जाती है। कला ही वह प्रेरणा शक्ति है जो बुद्धि को हर कोने से प्रभावित और प्रेरित करती है। इसी के आधार पर मूल्य और सिद्धांत निर्धारित हो जाते हैं।
Question - 18 : - दरअसल मनुष्य स्वयं ईश्वर का या नियति का विदूषक, क्लाउन जोकर या साइड किक है?
Answer - 18 : -
बिलकुल मनुष्य ईश्वर के अधीन है। जो कुछ होना है वह होकर ही रहेगा। ईश्वर की इच्छा के बिना कुछ भी होना संभव नहीं। तुलसीदास जी ने भी कहा है-“होई है वही जो राम रचि राखा।” मनुष्य तो ईश्वर का या भाग्य का विदूषक मात्र है। वह तो क्लाउन जोकर या साईडकिक है। इसलिए परमात्मा जैसे चाहे उसे खिला सकता है।
Question - 19 : - सत्ता, शक्ति, बुद्धिमता, प्रेम और पैसे के चरमोत्कर्ष में जब हम आईना देखते हैं तो चेहरा चार्ली-चार्ली हो जाता है?
Answer - 19 : -
लेखक का यह कथन बिलकुल ठीक है। यदि व्यक्ति के पास सत्ता, शक्ति, बुद्धि, प्रेम और पैसे जैसी मूलभूत सुविधाएँ हों तो वह हर तरह से खुश रहता है। उसको दुख-दर्द नहीं रहता। उसका चेहरा खिला-खिला रहता है।
Question - 20 : - मॉडर्न टाइम्स द ग्रेट डिक्टेटर आदि फ़िल्में कक्षा में दिखाई जाएँ और फ़िल्मों में चार्ली की भूमिका पर चर्चा कीजिए।
Answer - 20 : -
इन फ़िल्मों ने चार्ली चैप्लिन को नई दशा एवं दिशा दी। देखते ही देखते वे लोकप्रिय कलाकार बन गए। इन फ़िल्मों के माध्यम से चार्ली ने बेहद गंभीर विषयों को सहजता से प्रस्तुत किया है। उनके कैरियर में इन फ़िल्मों ने चार चाँद लगा दिया थ। समाज और फ़िल्म दोनों क्षेत्रों में स्थापित करने में इन फ़िल्मों का बहुत योगदान रहा।