Chapter 8 कन्यादान Solutions
Question - 11 : - ‘आग रोटियाँ सेंकने के लिए है जलने के लिए नहीं’ कहकर कवयित्री ने समाज पर क्या व्यंग्य किया है?
Answer - 11 : -
माँ द्वारा अपनी बेटी को सीख देते हुए यह कहना ‘आग रोटियाँ सेंकने के लिए होती है, जलने के लिए नहीं’ के माध्यम से कन्या को सीख तो दिया ही है पर समाज पर कठोर व्यंग्य किया है। समाज में कुछ लोग बहुओं को इतना प्रताड़ित करते हैं कि उस प्रताड़ना से मुक्ति पाने के लिए या तो लड़की स्वयं को आग के हवाले कर देती है या ससुराल के लोग उसे जला देते हैं।
Question - 12 : - ‘कन्यादान’ कविता में नारी सुलभ किन कमजोरियों की ओर संकेत किया गया है?
Answer - 12 : -
‘कन्यादान’ कविता में कवयित्री ने नारी सुलभ जिन कमजोरियों की ओर संकेत किया है वे हैं
नारी दूसरों की प्रशंसा सुनकर अपने ही रूप सौंदर्य पर मुग्ध हो जाती है।
उसे सुंदर वस्त्र और आभूषणों से विशेष लगाव होता है, जो अंतत: उसके लिए बंधन सिद्ध होते हैं।
वह आग का दुरुपयोग करके आत्महत्या करने जैसा कदम उठा लेती है।
वह कमज़ोर दिखती है जिसकी कमज़ोरी का अनुचित फायदा दूसरे उठाते हैं।
Question - 13 : - ‘कन्यादान’ कविता में माँ द्वारा जो सीख दी गई हैं, वे वर्तमान परिस्थितियों में कितनी प्रासंगिक हैं, स्पष्ट कीजिए।
Answer - 13 : -
‘कन्यादान’ कविता में माँ द्वारा अपनी बेटी को जो सीख दी गई है वह उसके अनुभव की उपज है। माँ को दुनियादारी और ससुराल वालों द्वारा किए गए व्यवहार का अनुभव है। उन्हें ध्यान में रखकर भावी जीवन के लिए सीख देती है। आज जब समाज में छल-कपट, शोषण, दहेज प्रथा आदि बुराइयाँ बढ़ी हैं तथा ससुराल में अधिक सजग रहने की जरूरत बढ़ गई है तब माँ द्वारा बेटी को दी गई सीख की प्रासंगिकता और भी बढ़ जाती है।
Question - 14 : - ‘कन्यादान’ कविता का प्रतिपाद्य लिखिए।
Answer - 14 : -
‘कन्यादान’ कविता में माँ द्वारा बेटी को स्त्री के परंपरागत ‘आदर्श’ रूप से हटकर सीख दी गई है। कवि का मानना है। कि सामाजिक-व्यवस्था द्वारा स्त्रियों के आचरण संबंधी जो प्रतिमान गढ़ लिए जाते हैं वे आदर्श होकर भी बंधन होते हैं। कोमलता’ में कमजोरी का उपहास, लड़की जैसा न दिखाई देने में आदर्श का प्रतिकार है। माँ की बेटी से निकटता के कारण उसे अंतिम पूँजी कहा गया है। इस कविता में माँ की कोरी भावुकता नहीं, बल्कि माँ के संचित अनुभवों की प्रामाणिक अभिव्यक्ति है।