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Question -

क्या हम इस दी गई सूचनाओं के आधार पर निम्नलिखित निष्कर्ष निकाल सकते हैं? इनमें सभी पर अपनी राय के पक्ष में दो तथ्य प्रस्तुत कीजिए।
(क) भारत के चुनाव आयोग को देश में स्वतन्त्र और निष्पक्ष चुनाव करा सकने लायक पर्याप्त अधिकार नहीं हैं।
(ख) हमारे देश के चुनाव में लोगों की जबर्दस्त भागीदारी होती है। (ग) सत्ताधारी पार्टी के लिए चुनाव जीतना बहुत आसान होता है।
(घ) अपने चुनावों को पूरी तरह से निष्पक्ष और स्वतन्त्र बनाने के लिए कई कदम उठाने जरूरी हैं।



Answer -

(क) ऐसा नहीं है। यथार्थ में निर्वाचन आयोग को देश में स्वतन्त्र एवं निष्पक्ष चुनाव कराने का अधिकार प्राप्त है।
यह चुनाव के दौरान आदर्श आचार संहिता लागू करता है तथा इसका उल्लंघन करने वाले राजनीतिक दलों या प्रत्याशियों को दण्डित करता है। चुनाव ड्यूटी के दौरान नियुक्त कर्मचारी चुनाव आयोग के अधीन कार्य करते हैं न कि सरकार के।

(ख) यह सत्य है। चुनावों में लोगों की भागीदारी प्रायः मतदान करने वाले लोगों के आँकड़ों से मानी जाती है। मतदान
प्रतिशत योग्य मतदाताओं में से वास्तव में मतदान करने वाले लोगों के प्रतिशन को प्रदर्शित करता है। मतदाता चुनावों द्वारा राजनीतिक दलों पर अपने अनुकूल नीति एवं कार्यक्रमों के लिए दबाव डाल सकते हैं। मतदाताओं को ऐसा लगता है कि देश के शासन-संचालन के, तरी में उनके मन का विशेष महत्त्व है।

(ग) यह सत्य नहीं है। सत्ताधारी भी चुनाव में पराजित हुए हैं। कई बार ऐसे प्रत्याशी जो चुनावों में अधिक धन खर्च करते हैं, चुनाव हार जाते हैं।

(घ) यह सत्य है। चुनाव सुधार के द्वारा धन बल और अपराधिक छवि वाले उम्मीदवारों को राजनीति से दूर करने की आवश्यकता है। क्योंकि कई बार धन-बल और अपराधिक छवि वाले लोग राजनीतिक दलों से टिकट
पाने और चुनाव जीतने में सफल हो जाते हैं। ऐसे लोग जनकल्याण नहीं कर सकते बल्कि ये अपनी स्वार्थ सिद्ध में ही लगे रहते हैं।

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