Question - 
            
            
            
            
            Answer - 
            सभी वर्टीब्रेटा (कशेरुक प्राणियों) में मेरुदंड पाई जाती है। यह पृष्ठीय खोखली मेरुजु को घेरे रहती है। ग्रसनी विदर या क्लोम विदर प्रायः भ्रूण अवस्था में ही पाए जाते हैं। जलीय जंतुओं; जैसे मछली की वयस्क अवस्था में क्लोम (gills) पाए जाते हैं। मेरुरज्जु का अग्रभाग मस्तिष्क बनाता है। सिर पर नेत्र, कर्ण तथा घ्राणग्राही आदि संवेदी अंग होते हैं। अंतः कंकाल सुविकसित होता है। पेशियाँ अंतः कंकाल से लगी होती हैं। पेशियाँ तथा अस्थियाँ प्रचलन में सहायक होती हैं। वर्टीबेटा के वर्गीकरण के मुख्य आधार – वर्टीब्रेटा के वर्गीकरण के मुख्य आधार निम्नलिखित हैं-
1.	वयस्क अवस्था में या भ्रूण अवस्था में क्लोम विदर का पाया जाना।
2.	त्वचा पर श्लेष्म ग्रन्थियाँ, स्वेद ग्रन्थियाँ, तैल ग्रन्थियाँ, दुग्ध ग्रन्थियाँ आदि का पाया जाना । ।
3.	बाह्य काल शल्क, हॉर्नीप्लेट्स, पर (feathers), बाल से बना हुआ।
4.	अंतः कंकाल उपास्थि या अस्थि से बना हुआ।
5.	श्वसन क्लोम, त्वचा या फेफड़ों द्वारा।
6.	हृदय में वेश्मों की संख्या
7.	अग्रपादों का पंखों में रूपांतरण।
8.	असमतापी या समतापी।
9.	अंडज या जरायुज।
10.	अंडे जल में देना या जल से बाहर देना। अंडे कवचरहित या कवचयुक्त।