MENU
Question -

मनुष्य का कान किस प्रकार कार्य करता है। विवेचना कीजिए।



Answer -

ध्वनि कपन द्वारा उत्पन्न होती है। कंपन करता हुआ कोई स्रोत अपने आस-पास की वायु में तरंगें उत्पन्न करता है ये तरंगें संपीडनों तथा विरलनों की सहायता से अनुदैर्ध्य तरंगों के रूप में द्रव्यात्मक माध्यम में संचारित होती हैं। जब ये ध्वनि तरंगें जिनकी आवृत्ति 20 Hz से 20,000 Hz के बीच होती है, हमारे कानों तक पहुँचती है। तो कान के पर्दे में कंपन उत्पन्न होता है जिससे हमारे कानों में श्रवण की संवेदना उत्पन्न होती है।
कान की संरचना तथा कार्यप्रणाली – कान का बाह्य भाग पिन्ना कहलाता है। यह भाग ध्वनि तरंगों को संपीडनों तथा विरलनों के रूप में ग्रहण करता है तथा इन्हें कर्णनाल में भेज देता है। कर्णनाल की त्वचा में बोल तथा सूक्ष्म ग्रंथियाँ होती हैं जिनमें से कुछ पदार्थ निकलता है जिसे कर्णमोम कहते हैं। यह कान को धूल तथा कीड़ों से बचाता है। कर्णनाल के अंतिम भाग में कर्णपट (ear drum) होता है। ध्वनि तरंगें कर्णनाल द्वारा कर्णपट तक पहुँचती हैं। तो पहले कर्णपट की झिल्ली पर दबाव बढ़ता है तथा फिर घटता है, इस प्रकार कर्णपट कंपन करने लगता है।
कर्णपट के अन्दर की सतह की ओर मध्य कर्ण में तीन अस्थियाँ (मुग्दरक, निहाई तथा वलयक स्टीरप) होती हैं जो लीवर का कार्य करती हैं तथा कर्णपट में उत्पन्न कंपन को कई गुना प्रवर्धित कर देती हैं। मध्य कान ध्वनि तरंगों से प्राप्त प्रवर्धित दाब परिवर्तनों को आन्तरिक कान तक पहुँचाता है। आन्तरिक कान इन दाब परिवर्तनों को कोकलिआ (Cochlea) द्वारा विद्युत सिग्नल या संकेतों में बदल देता है। ये विद्युत सिग्नल मस्तिष्क तक श्रवण तंत्रिका द्वारा भेजे जाते हैं जिससे हमें ध्वनि सुनाई देती है।

Comment(S)

Show all Coment

Leave a Comment

Free - Previous Years Question Papers
Any questions? Ask us!
×