Question -
Answer -
(i) दृढ़ता : दृढ़ता पदार्थों का वह गुण है। जिसके कारण बाह्य बल लगाने पर भी पदार्थ अपना आकार नहीं बदलते परन्तु बल लगाने पर वे टूट जाते हैं, जैसे ठोस पदार्थ दृढ़ होते हैं।
(ii) संपीड्यता : संपीड्यता का अर्थ है कि पदार्थ पर बल लगाने पर उसके कण एक-दूसरे के समीप आ जाएँ जिससे उसका आयतन कम हो जाये। ठोस पदार्थों को तथा द्रवों का संपीडन नहीं किया जा सकता। गैसों को आसानी से संपीडित किया जा सकता है।
(iii) तरलता : तरलता का अर्थ है बहाव। ऐसे पदार्थ जो बह सकते हैं तरल या द्रव पदार्थ कहलाते हैं। कुछ पदार्थ आसानी से बहते हैं जैसे जल, दूध आदि परन्तु कुछ पदार्थ धीरे बहते हैं जैसे शहद, ग्लिसरीन।।
(iv) बर्तन में गैस का भरना : गैसों को आसानी से संपीडित किया जा सकता है इसलिए गैसों के अत्यधिक आयतन को एक कम आयतन वाले सिलेण्डर में संपीडित करके भरा जा सकता है जैसे द्रवित पैट्रोलियम गैस (L.P.G.), अस्पतालों में दिये जाने वाले ऑक्सीजन सिलेण्डरों में भी सपीडित करके गैस को भरा जाता है। इसी प्रकार संपीडित प्राकृतिक गैस (C.N.G.) को भी अधिक ताप पर गैस सिलेण्डरों में भरा जाता है।
(v) आकार : यदि पदार्थ के कणों के बीच आकर्षण बल बहुत अधिक हो तो उनका आकार निश्चित होता है, जैसे ठोस पदार्थों का आकार निश्चित होता है। परन्तु तरल पदार्थ के कणों के मध्य आकर्षण बल कम होने के कारण आकार निश्चित नहीं होता। वे उसी बर्तन का आकार ग्रहण कर लेते हैं जिसमें उन्हें रखा जाता है। इसी प्रकार गैसीय पदार्थों का आकार भी निश्चित नहीं होता है।
(vi) गतिज ऊर्जा एवं घनत्व : पदार्थ के कण सदैव गतिशील रहते हैं जिनके कारण उनमें गतिज ऊर्जा होती है। ठोस पदार्थों के कणों की गतिज ऊर्जा बहुत कम होती है तरल पदार्थों में ठोस पदार्थों से अधिक तथा गैसीय पदार्थ की गतिज ऊर्जा सबसे अधिक होती है।
घनत्व किसी पदार्थ के एक इकाई आयतन का द्रव्यमान होता है। सामान्यतः येस पदार्थों का घनत्व अधिक होता है। गैसीय पदार्थों के कणों के मध्य खाली स्थान बहुत अधिक होता है इनकी गतिज ऊर्जा भी बहुत अधिक होती है परन्तु इनका घनत्व ठोस तथा द्रवों की अपेक्षा बहुत कम होता है।