The Total solution for NCERT class 6-12
एक सरल लोलक में एक धातु का गोलाकार गोलक किसी धागे द्वारा किसी दृढ़ आधार से लटकाया जाता है। जब किसी लोलक के गोले को एक ओर विस्थापित किया जाता है तो उसकी स्थितिज ऊर्जा में कुछ वृद्धि हो जाती है। जब इस लोलक को विराम अवस्था से छोड़ा जाता है तो उसकी गतिज ऊर्जा बढ़ती है तथा स्थितिज ऊर्जा घटती जाती है। मध्य स्थिति में पहुँचने तक गतिज ऊर्जा अधिकतम हो जाती है जैसा चित्रे (b) में दिखाया गया है। जब गोलक मध्य स्थिति से दूसरी ओर गति करता है तो उसकी गतिज ऊर्जा कम होती जाती है तथा स्थितिज ऊर्जा बढ़ती जाती है। कुल ऊर्जा, गतिज ऊर्जा तथा स्थितिज ऊर्जा का योग होती है। यह कुल ऊर्जा गोलक की चरम सीमा पर स्थितिज ऊर्जा अथवा गोलक की मध्य अवस्था में गतिज ऊर्जा के बराबर होती है। इस प्रकार किसी भी स्थिति में कुल ऊर्जा हमेशा बराबर रहती है अर्थात् ऊर्जा संरक्षित रहती है। अतः हम कह सकते हैं कि जब लोलक दोलन करता है तो किसी भी स्थिति में उसकी ऊर्जा हमेशा संरक्षित रहती है।