Chapter 7 जीवों में विविधता Solutions
Question - 11 : - सरलतम पौधों को किस वर्ग में रखा गया है ?
Answer - 11 : -
सरलतम पौधे थैलोफाइटा वर्ग में रखे गये हैं।
Question - 12 : - टेरिडोफाइटा और फैनरोगैमस में क्या अन्तर है ?
Answer - 12 : -
टेरिडोफाइटा – इसमें भ्रूण (एम्ब्रीओ) नग्न होता है जिसे बी एणु कहते हैं। इस डिवीजन में देह तना, पत्तियों व जड़ों से बनी है। संवहन तंत्र विद्यमान होता है। बीज नहीं बनते। इसीलिए इन्हें क्रिप्टोगेमस (बिना बीज) पौधे कहते हैं। सभी फर्न इसी से सम्बन्धित हैं।
फैनरोगेम्स – इनमें देह असली तना, पत्तियाँ व जड़ में विभाजित होती है। इसमें जनन ऊतक बीज बनाते है। निषेवन के पश्चात् भ्रूण बनता है जिसमें संगृहीत भोजन होता है जो अकुरण में सहायक होता है। अतः यह टेरिडोफाइटा से अधिक विकसित होता है। इसमें संवहन तंत्र भी अच्छी प्रकार विकसित होता है। बीज फलों में बन्द होते या नहीं इसी आधार पर इन्हें वर्गीकृत करते हैं।
Question - 13 : - जिम्नोस्पर्म और एन्जियोस्पर्म एक-दूसरे से किस प्रकार भिन्न हैं ?
Answer - 13 : -
जैसे तो दोनों वर्ग (डिवीजन) फैनरोगेम्स में पौधे जड़, तने, पत्तियाँ व बीज में विभाजित होते हैं, फिर भी बीजों के अन्तर के आधार पर इन्हें दो वर्गों में विभाजित किया जाता है
1. जिम्नोस्पर्म – इनमें बीज फलों में बन्द नहीं होते। अतः इन्हें नग्नबीजी भी कहते हैं। ये पौधे काष्ठीय व सदाबहार होते हैं।
उदाहरण-पाइनस, साइकस, सिड्स।
2. एन्जियोस्पर्म – इनमें बीज फलों में बन्द होते हैं, अतः ये आवृतबीजी कहलाते हैं। बीजों में बीजपत्रों की संख्या के आधार पर इन्हें दो वर्गों में बाँटा गया है-
o एकबीजपत्र वाले एक बीजपत्री और
o दो बीजपत्र वाले पौधे द्विबीजपत्री कहलाते हैं।
अत: दोनों में से कुछ सीमा तक जिम्नोस्पर्म अधिक विकसित समझे जाते हैं।
उदाहरण- पैफियोपडिलम (एकबीजपत्री), आइपोमिया (द्विबीजपत्री)।
Question - 14 : - पोरीफेरा और सिलेन्ट्रेटा वर्ग के जन्तुओं में क्या अन्तर है ?
Answer - 14 : - दोनों वर्ग के जन्तुओं में निम्नलिखित अन्तर है-
Question - 15 : - एनीलिडा के जन्तु आर्थोपोडा के जन्तुओं से किस प्रकार भिन्न हैं?
Answer - 15 : - एनीलिडा के जीव आर्थोपोडा के जीवों से निम्न गुणों में भिन्न है-
Question - 16 : - जल-स्थलचर और सरीसृप में क्या अंतर हैं ?
Answer - 16 : - जल-स्थलचर और सरीसृप में निम्नलिखित अंतर हैं-
Question - 17 : - पक्षी वर्ग और स्तनपायी वर्ग के जंतुओं में क्या अंतर है?
Answer - 17 : - पक्षी तथा स्तनपायी वर्ग के जंतुओं में निम्नलिखित अंतर हैं-
Question - 18 : - जीवों के वर्गीकरण से क्या लाभ है ?
Answer - 18 : -
जीवों के वर्गीकरण के निम्नलिखित लाभ हैं
- वर्गीकरण करने से जीवों का अध्ययन करना सरल हो जाता है।
- वर्गीकरण सभी जीवों की एकदम स्पष्ट तस्वीर प्रस्तुत करता है।
- इससे विभिन्न जीवों के समूहों के बीच आपसी सम्बन्धों के बारे में जानकारी मिलती है।
- यह अन्य जैविक विज्ञान के विकास को आधार प्रदान करता है।
Question - 19 : - वर्गीकरण में पदानुक्रम निर्धारण के लिए दो लक्षणों में से आप किस लक्षण का चयन करेंगे ?
Answer - 19 : -
वर्गीकरण के पदानुक्रम के लक्षणों का चयन हम निम्नरूप से कर सकते हैं
- हम जीव के निर्माण की इकाई अर्थात् कोशिका को ध्यान में रखेंगे, इसके बाहर कोशिका झिल्ली है या कोशिका भित्ति, इसमें केन्द्रक है कोशिकांगों में झिल्ली है, उनके कार्य और उनकी उत्पत्ति जैसे सभी गुणों का अध्ययन करेंगे। इस प्रकार इन गुणों के विकास के आधार पर ही उनका वर्गीकरण करेंगे।
- हमें यह भी देखना है अर्थात् अध्ययन करना होगा कि जीव स्वपोषी (स्वयं भोजन बनाना) है या परपोषी (दूसरों को बनाया भोजन ग्रहण करना)। यह विशेष गुण भी वर्गीकरण में सहायता करता है।
Question - 20 : - जीवों के पाँच जगत में वर्गीकरण के आधार की व्याख्या कीजिए।
Answer - 20 : -
जीवों को पाँच मुख्य किंगडम में वर्गीकृत करने के लिए प्रयोग किए गए कुछ आधार निम्नलिखित है-
- वे जीव असीमकेन्द्री कोशिका से बने हैं या ससीमकेन्द्री कोशिका से। यदि उनकी संरचना असीमकेन्द्री कोशिका से बनी है तो वे प्राथमिक श्रेणी में आते हैं परन्तु यदि वे ससीमकेन्द्री कोशिका से बने हैं तो वे अपेक्षाकृत विकसित जीव होंगे।
- जीवों की रचना एक कोशिका से है या वे बहुकोशी हैं। एककोशीय जीव निम्न फाइलमों में होंगे और बहुकोशीय जटिल होंगे।
- कोशिकाओं के बाहर कोशिका भित्ति या कोशिका झिल्ली, यदि बाहर कोशिका भित्ति होगी तो उनका आधार कठोर व अधिक सुरक्षात्मक होगा, साथ-ही-साथ अधिक जटिल व विकसित होंगे।
- जीव स्वपोषी है या परपोषी। स्वपोषी पौधों की श्रेणी व परपोषी जन्तुओं की किंगडम में होंगे।