Chapter 13 हम बिमार क्यों होते हैं। Solutions
Question - 1 : - अच्छे स्वास्थ्य की दो आवश्यक स्थितियाँ बताइए।
Answer - 1 : -
(i) व्यक्ति को रोग रहित होना चाहिए तभी व्यक्ति स्वस्थ कहा जा सकता है।
(ii) व्यक्ति को मानसिक तनाव तथा सामाजिक समस्याओं से मुक्त होना चाहिए क्योंकि शारीरिक, मानसिक व सामाजिक दृष्टि से फिट व्यक्ति ही स्वस्थ कहलाता है।
Question - 2 : - रोगमुक्ति की कोई दो आवश्यक परिस्थितियाँ बताइए।
Answer - 2 : -
(i) रोग मुक्त होने के लिए व्यक्तिगत तथा सामुदायिक सफाई तथा अच्छा वातावरण आवश्यक है।
(ii) पर्याप्त तथा संतुलित भोजन भी शरीर को रोगमुक्त करने के लिए आवश्यक है।
Question - 3 : - क्या उपरोक्त प्रश्नों के उत्तर एक जैसे हैं अथवा भिन्न क्यों?
Answer - 3 : -
दोनों प्रश्नों का उत्तर अलग-अलग है। क्योंकि स्वास्थ्य से हमारा अर्थ है कि व्यक्ति मानसिक, शारीरिक व सामाजिक दृष्टि से स्वस्थ है जबकि रोग मुक्त होने से अर्थ है शारीरिक स्वास्थ्य, अतः प्रश्न दोनों अलग-अलग हैं।
Question - 4 : - ऐसे तीन कारण लिखिए, जिससे आप सोचते हैं कि आप बीमार हैं तथा चिकित्सक के पास जाना चाहते हैं। यदि इनमें से एक भी लक्षण हो तो क्या आप फिर भी चिकित्सक के पास जाना चाहेंगे? क्यों अथवा क्यों नहीं?
Answer - 4 : -
- यदि आप बीमार हैं तो आपको रोग का कोई चिह्न दिखाई देगा।
- यदि आप बीमार हैं तो रोग का कोई लक्षण दिखाई देगा जैसे दस्त होना, सिरदर्द आदि।
- यदि आप बीमार हैं तो शरीर का कोई अंग सही कार्य नहीं कर रहा होगा। रोग का चिह्न/लक्षण दिखाई देने पर डॉक्टर के पास जाना चाहिए।
Question - 5 : - निम्नलिखित में से किसके लम्बे समय तक रहने के कारण आप समझते हैं कि आपके स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ेगा तथा क्यों?
(a) यदि आप पीलिया रोग से ग्रस्त हैं।
(b) यदि आपके शरीर पर जू (lice) हैं।
(c) यदि आप मुँहासों से ग्रस्त हैं।
Answer - 5 : -
यदि हम पीलिया से ग्रस्त हैं और यह बीमारी लम्बे समय तक रहती है तो यह हमारे शरीर पर बहुत बुरा प्रभाव डालती है। पीलिया यकृत का रोग है। पीलिया के कारण इसके उत्तेजन से पाचन क्रिया पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। यदि यह रोग लम्बे समय तक रहे तो हमारे शरीर में बहुत अधिक कमजोरी आ जाती है। कार्य करते समय जल्दी थकावट महसूस करते हैं।
Question - 6 : - जब आप बीमार होते हैं तो सुपाच्य तथा पोषणयुक्त भोजन करने का परामर्श क्यों दिया जाता है?
Answer - 6 : -
बीमार होने पर सुपाच्य एवं पोषणयुक्त भोजन द्वारा हमारा स्वास्थ्य सही रहता है। भोजन हमें ऊर्जा देता है। तथा हमारे टूटे-फूटे ऊतकों की मरम्मत करता है।
Question - 7 : - संक्रामक रोग फैलने की विभिन्न विधियाँ कौन-कौन सी हैं?
Answer - 7 : -
संक्रमित रोगों के फैलने के माध्यम निम्नलिखित हैं-
1. वायु द्वारा – रोगी के छींकने, खाँसने या थूकते समय हजारों की संख्या में रोगाणु वायु में छोड़ दिये जाते हैं। आस-पास कोई व्यक्ति अगर वहाँ खड़ा होता है तो श्वास के साथ रोगाणु उसके शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। वायु द्वारा सर्दी-जुकाम, निमोनिया, क्षयरोग आदि के रोगाणु फैलते हैं।
2. भोजन और जल द्वारा – जब संक्रामक कारक रोगी के अपशिष्ट के साथ जल में मिल जाता है और कोई व्यक्ति उस संक्रमित जल को पीता है तो रोगाणु उसके शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। जैसे-हैजा, अमीबीय पेचिस आदि।
3. लैंगिक सम्पर्क – कुछ रोग जैसे-AIDS अथवा सिफलिस लैंगिक क्रिया अथवा संपर्क के समय एक साथी से दूसरे साथी में स्थानांतरित हो जाते हैं, यद्यपि ये लैंगिक संचारी रोग सामान्य हाथ मिलाने, गले मिलने, खेलकूद, जैसे कुश्ती आदि से नहीं फैलते।
4. जन्तुओं द्वारा – कुछ रोग जन्तुओं जैसे मच्छर, मक्खी आदि द्वारा भी एक व्यक्ति से दूसरे स्वस्थ व्यक्ति तक फैल जाते हैं। जो जन्तु रोग फैलाते हैं इन्हें वेक्टर (vector) भी कहते हैं। जैसे मलेरिया एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को मादा एनोफिलीज मच्छर के काटने से फैलता है।
रेबीज से संक्रमित कुत्ता, बिल्ली अथवा बन्दर के काटने से रेबीज हो सकती है। रेबीज से संक्रमित जन्तु की लार में रेबीज के विषाणु होते हैं। जब ये जन्तु किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटते हैं तो ये विषाणु लार के साथ स्वस्थ मनुष्य के रुधिर में प्रवेश कर जाते हैं।
Question - 8 : - संक्रामक रोगों को फैलने से रोकने के लिए आपके विद्यालय में कौन-कौन सी सावधानियाँ आवश्यक हैं?
Answer - 8 : -
संक्रामक रोगों को फैलने से रोकने के लिए हमें अपने विद्यालय में निम्नलिखित सावधानियाँ बरतनी चाहिए-
- विद्यालय में छात्रों के लिए पीने के लिए स्वच्छ तथा जीवाणुरहित पानी की व्यवस्था करना इसके लिए वाटर फिल्टर की व्यवस्था की जा सकती है।
- छात्रों को समय-समय पर व्यक्तिगत स्वच्छता तथा सार्वजनिक स्वच्छता के बारे में अवगत कराना चाहिए।
- छात्रों को सुपाच्य तथा पौष्टिक भोजन करने की सलाह देनी चाहिए।
- क्योंकि मक्खी, मच्छर अनेक रोगों को फैलाते हैं। अतः बच्चों को बाजार से कटे हुए फल, चाट या अन्य वस्तुएँ जिन पर मक्खियाँ बैठती हैं, न खाने की सलाह देनी चाहिए।
- यदि आवश्यक हो तो छात्रों को हिपेटाइटिस-B का टीका उपलब्ध कराना चाहिए ताकि छात्र पीलिया आदि रोग के प्रति प्रतिरक्षी हो जाएँ।
Question - 9 : - प्रतिरक्षीकरण क्या है?
Answer - 9 : -
हमारे शरीर में प्रतिरक्षा तंत्र होता है जो रोगाणुओं से लड़ता है। जैसे ही कोई संक्रामक रोगाणु शरीर के अन्दर प्रवेश करता है तो हमारे शरीर की विशिष्ट कोशिकाएँ सक्रिय हो जाती हैं और यदि ये रोगाणुओं को मार देती है। तो हमें रोग नहीं होता। हम टीकाकरण द्वारा प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत कर सकते हैं। टीकाकरण का सामान्य नियम यह है कि हम शरीर में विशिष्ट संक्रमण प्रविष्ट कराकर प्रतिरक्षा तंत्र को मूर्ख बना सकते हैं। वह उन रोगाणुओं की नकल रहता है। जो टीके के द्वारा शरीर में पहुँचे हैं। वह वास्तव में रोग उत्पन्न करने वाले रोगाणुओं को नष्ट करता है अर्थात् उन्हें रोग फैलाने से रोकता है जिससे हमारा प्रतिरक्षा तंत्र मजबूत हो जाता है। आजकल टिटनस, डिफ्थीरिया, कुकर खाँसी, पोलियो आदि के टीके उपलब्ध हैं जो इन रोगों से निवारण का विशिष्ट साधन प्रदान करते हैं।
Question - 10 : - आपके पास में स्थित स्वास्थ्य केन्द्र में टीकाकरण के कौन-कौन से कार्यक्रम उपलब्ध हैं? आपके क्षेत्र में कौन-कौन सी स्वास्थ्य-सम्बन्धी मुख्य समस्या है?
Answer - 10 : -
हमारे पास के स्वास्थ्य केन्द्र में टिटनेस, डिफ्थीरिया, कुकर खाँसी, चेचक, क्षयरोग, पोलियो आदि के टीके उपलब्ध हैं। यह बच्चों की संक्रामक रोगों से रक्षा करने के लिए सरकारी स्वास्थ्य कार्यक्रम है।
हमारे क्षेत्र में स्वास्थ्य-सम्बन्धी समस्याएँ निम्नलिखित हैं-
- सुरक्षित तथा स्वच्छ पेयजल की व्यवस्था उचित नहीं है।
- घरेलू अपशिष्ट पदार्थ जैसे कूड़ा-कर्कट आदि के विसर्जन या निपटान की उचित व्यवस्था नहीं है।
- नालियाँ ढकी हुई नहीं हैं और न ही समय पर उनकी सफाई की उचित व्यवस् है। जगह-जगह पर गड्ढों में गन्दा पानी जमा रहता है जिससे मच्छर एवं सूक्ष्मता जीवों का प्रकोप बढ़ता है। जिससे बीमारी फैलने का भय रहता है।