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Question -

संक्षेप में उत्तर दीजिए-
(क) अपररूप क्या होते हैं? कार्बन के अपररूपों का उल्लेख कीजिए।
(ख) हीरा तथा ग्रेफाइट के गुणों की तुलना कीजिए।
(ग) मेथेन को “मार्श” गैस क्यों कहते हैं?
(घ) पेट्रोल को जीवाश्म ईंधन क्यों कहते हैं?
(ङ) पेट्रोल को तरल सोना क्यों कहते हैं?
(च) प्रकृति में कार्बन किन पदार्थों में पाया जाता है?
(छ) लैम्प ब्लैक क्या होता है?
(ज) हाइड्रोकार्बन यौगिक कितने प्रकार के होते हैं?
(झ) रॉकेट ईंधन के दो उदाहरण दीजिए।
(ट) पेट्रोलियम गैस किन गैसों का मिश्रण है?



Answer -

(क) 
अपररूप- वे पदार्थ जो विभिन्न भौतिक गुण परन्तु समान रासायनिक गुण रखते हैं, अपरलैंप कहलाते हैं।

कार्बन विभिन्न अपररूपों में मिलता है, जिन्हें निम्न दो भागों में बाँटा गया है-
1. क्रिस्टलीय –

  1. हीरा
  2. ग्रेफाइट।
2. अक्रिस्टलीय-

  • लकड़ी का कोयला
  • हड्डी का कोयला
  • कोक
  • काजल तथा
  • गैस कार्बन।।
(ख) 
ग्रेफाइट तथा हीरे के निम्न गुण स्पष्ट रूप से भिन्न हैं –

  1. रंग
  2. कार्य
  3. पारदर्शिता
  4. कठोरता
ग्रेफाइट तथा हीरा दोनों ही अपने गुणों में अधिकांशतः भिन्न हैं। ग्रेफाइट धूसर रंग का काला पदार्थ है। यह स्पर्श करने पर चिकना तथा फिसलने वाला पदार्थ है। जबकि, हीरा पारदर्शक तथा कठोर है। अब तक ज्ञात सबसे अधिक कठोर पदार्थ होने के बावजूद हीरा सरलता से टूट जाता है। बहुत से फलकों वाला क्रिस्टल बनाने के लिए इसे विभिन्न तलों के साथ-साथ काफी सफाई से तोड़ा जाता है। इस पर पड़ने वाली प्रकाश की किरण-पुंज तेजी से बिखर कर अर्थात् परिशोषित होकर एक सजीव इन्द्रधनुष बनाती है। अतः इसको इसके स्थान से थोड़ा-सा हटाने पर यह चमकता है और सुन्दर रंगों के रूप में चिंगारी निकालता हुआ प्रतीत होता है।

ग्रेफाइट तथा हीरों में कार्बन परमाणु विभिन्न तरीकों (पैटर्नो) में परस्पर जुड़े अथवा आबन्धित होते हैं। परमाणुओं के इन्हीं विभिन्न पैट्रनें के कारण ही ये दोनों गुणों में भिन्न-भिन्न होते हैं। ग्रेफाइट में प्रत्येक कार्बन परमाणु एक ही तल में अपने पास के अन्य तीन कार्बन परमाणुओं के साथ जुड़ा रहता है। और षट्कोणीय जाल बनाता है। अनेक ऐसे तल एक-दूसरे के ऊपर ढीले-ढाले अथवा आबद्ध रूप में रखे होते हैं। इसी कारण ये तल सरलता से फिसल जाते हैं। इसी गुण के कारण ग्रेफाइट स्पर्श करने पर चिकना और फिसलने वाला पदार्थ लगता है और एक उत्तम स्नेहक के रूप में उपयोग होता है।

हीरे में कार्बन परमाणुओं की व्यवस्था पूर्णतया भिन्न है। प्रत्येक कार्बन परमाणु, अन्य चार कार्बन परमाणुओं के साथ जुड़कर त्रिविमीय (Three dimensions) दृढ़ क्रिस्टल की संरचना बनाता है। इसी अत्यधिक स्थायी संरचना के कारण ही हीरा अब तक ज्ञात पदार्थों में सबसे अधिक कठोर पदार्थ है।

(ग) मेथेन गैस (CH,) वायु की अनुपस्थिति में दलदली स्थानों पर, पेड़-पौधों और कार्बनिक पदार्थों (मार्श) के गलने-सड़ने से बनती है, इसलिए इसे मार्श गैस कहते हैं।

(घ) 
पेट्रोल, करोड़ों वर्ष पहले दबे मृत जीव-जन्तु एवं वनस्पति के अपघटन से बने पेट्रोलियम से प्राप्त होता है। इसलिए पेट्रोल को जीवाश्म ईंधन कहते हैं।

(ङ) 
वर्तमान युग में पेट्रोलियम किसी राष्ट्र के लिए सोने से भी अधिक कीमती है, क्योंकि किसी भी राष्ट्र की उन्नति पेट्रोलियम की मात्रा पर निर्भर करती है। कृषि, उद्योग, यातायात एवं संचार आदि विभिन्न कार्यों में इसका उपयोग अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है, इसलिए पेट्रोलियम को तरल सोना कहा जाता है।

(च) 
प्रकृति में कार्बन – कार्बन एक तत्व है जिसका परमाणु भार 12 है तथा यह स्वतन्त्र अवस्था में प्रकृति में शुद्ध रूप में (हीरे तथा ग्रेफाइट के रूप में) मिलता है। इसके अतिरिक्त संयुक्त अवस्था में पेट्रोलियम, खड़िया तथा चूने के पत्थर में पाया जाता है।

(छ) 
लैम्प ब्लैक मोम अथवा तेल को वायु की सीमित मात्रा में जलाने पर प्राप्त कालिख को कहते हैं।

(ज) 
हाइड्रोकार्बन यौगिक दो प्रकार के होते हैं –

  1. संतृप्त हाइड्रोकार्बन
  2. असंतृप्त हाइड्रोकार्बन
(झ) 
मेथिल हाइड्रोजन तथा द्रवित हाइड्रोजन।

(ट) 
पेट्रोलियम गैस ब्यूटेन एवं प्रोपेन गैसों का मिश्रण है।

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