Chapter 10 कानून और सामाजिक न्याय Solutions
Question - 1 : - न्यूनतम वेतन के लिए कानून की जरूरत क्यों पड़ती है?
Answer - 1 : - न्यूनतम वेतन के लिए कानून की आवश्यकता होती है, क्योंकि निजी कंपनियाँ ठेकेदार या व्यवसायी अधिक से अधिक लाभ कमाना चाहते हैं और वे मजदूरों को उतना वेतन नहीं देते हैं जितना कि उन्होंने परिश्रम किया है। कानून यह सुनिश्चित करता है कि उन्हें न्यूनतम वेतन कितना दिया जाए और उनके परिश्रम से कम वेतन न मिले।
Question - 2 : - पता लगाएँ
(क) आपके राज्य में निर्माण मजदूरों के लिए तय न्यूनतम वेतन क्या है?
(ख) क्या आपको निर्माण मजदूरों के लिए तय न्यूनतम वेतन सही, कम या ज्यादा लगता है? .
(ग) न्यूनतम वेतन कौन तय करता है?
Answer - 2 : -
(क) छात्र अपने-अपने राज्यों के अनुसार स्वयं करें।
(ख) छात्र अपने-अपने राज्यों के अनुसार स्वयं करें।
(ग) न्यूनतम वेतन प्रत्येक राज्य की राज्य सरकार तय (निश्चित) करती है।
Question - 3 : - आपको ऐसा क्यों लगता है कि किसी फैक्ट्री में सुरक्षा कानूनों को लागू करना बहुत महत्त्वपूर्ण होता
Answer - 3 : -
किसी फैक्ट्री में सुरक्षा कानूनों को लागू करना बहुत महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि
1. संविधान के अनुच्छेद 21 में दिए गए जीवन के अधिकार का उल्लंघन न हो।
2. मजदूरों और अन्य कर्मियों की सुरक्षा के लिए।
3. पर्यावरण तथा आम लोगों की सुरक्षा के लिए।
Question - 4 : - क्या आप कुछ दूसरी ऐसी स्थितियों का उल्लेख कर सकते हैं जहाँ कानून या नियम तो मौजूद हैं, परंतु उनके क्रियान्वयन में ढिलाई के कारण लोग उनका पालन नहीं करते? (उदाहरण के लिए मोटर गाड़ियों की तेज़ रफ्तार)। कानूनों को लागू करने में क्या समस्याएँ आती हैं? क्या आप क्रियान्वयन में सुधार के लिए कुछ सुझाव दे सकते हैं?
Answer - 4 : -
1. हाँ, सरकार के पास पर्याप्त संख्या में मोटर गाड़ियों के तेज़ रफ्तार की जाँच करने वाले उपकरण नहीं है।
2. परिवहन विभाग के कर्मचारियों की उदासीनता भी महत्त्वपूर्ण कारण है।
3. परिवहन विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार भी इसके लिए उत्तरदायी है।
सुझाव
1. मोटर गाड़ियों रफ्तार की जाँच करने के लिए पर्याप्त संख्या में उपकरण उपलब्ध कराए जाएँ।
2. परिवहन विभाग के कर्मचारियों को अपना उत्तरदायित्व ठीक प्रकार से निभाना चाहिए।
3. परिवहन विभाग द्वारा भ्रष्ट कर्मचारियों के खिलाफ कठोर कदम उठाने चाहिए।
4. लोगों को कानून की जानकारी संचार माध्यमों से दी जानी चाहिए।
Question - 5 : - ‘स्वच्छ वातावरण एक जनसुविधा है’, क्या आप इस बयान की व्याख्या कर सकते हैं?
Answer - 5 : - जनसुविधाएँ कुछ मूलभूत सुविधाएँ हैं जो हर व्यक्ति को उपलब्ध करवाई जानी चाहिए। इसमें स्वच्छ वातावरण भी शामिल है। स्वच्छ वातावरण में स्वच्छ जीवन निवास करता है।
Question - 6 : - हमें नए कानूनों की जरूरत क्यों है?
Answer - 6 : - संविधान के अनुच्छेद 21 के जीवन के अधिकार में प्रदूषण मुक्त हवा और पानी भी शामिल है। अतः प्रदूषण पर अंकुश लगाने, नदियों को साफ रखने और दोषियों पर जुर्माना लगाने के लिए नए कानूनों की जरूरत है।
Question - 7 : - कंपनियाँ और ठेकेदार पर्यावरण कानूनों का उल्लंघन कैसे कर पाते हैं?
Answer - 7 : -
कंपनियाँ और ठेकेदार पर्यावरण कानूनों का उल्लंघन कर पाते हैं, क्योंकि
1. पर्यावरण की सुरक्षा के लिए बनाए गए कानूनों को ईमानदारी से लागू नहीं किया जा रहा है।
2. सरकारी अधिकारी रिश्वत लेकर कंपनियों व ठेकेदारों को मनमानी करने की छूट दे देते हैं।
3. यदि कंपनियाँ या ठेकेदार कानून तोड़ते पाए जाते हैं तो उनके खिलाफ उचित कार्यवाही नहीं की जाती है।
Question - 8 : - तालिका-1
तालिका संख्या 1 में विभिन्न पक्षों की सुरक्षा से संबंधित कुछ महत्त्वपूर्ण कानून दिए गए हैं। उसमें में दिए गए कॉलम (2) और (3) में बताया गया है कि ये कानून क्यों और किसके लिए ज़रूरी हैं। कक्षा में चर्चा के आधार पर इस तालिका के खाली खानों को भरें।
Answer - 8 : -
स्त्रोत अध्ययन
जनसुविधा के रूप में पर्यावरण
हाल के वर्षों में न्यायालयों ने पर्यावरण से जुड़े मुद्दों पर कई कड़े आदेश दिए हैं। ऐसे कई आदेशों से लोगों
की रोजी-रोटी पर भी बुरा असर पड़ा है। मिसाल के तौर पर, अदालत ने आदेश दिया कि दिल्ली के रिहायशी इलाकों में काम करने वाले उद्योगों को बंद कर दिया जाए या उन्हें शहर से बाहर दूसरे इलाकों में भेज दिया जाए। इनमें से कई कारखाने आसपास के वातावरण को प्रदूषित कर रहे थे। इन कारखानों की गंदगी से यमुना नदी भी प्रदूषित हो रही थी, क्योंकि इन कारखानों को नियमों के हिसाब से नहीं चलाया जा रहा था। अदालत की कार्रवाई से एक समस्या तो हल हो गई, लेकिन एक नई समस्या पैदा भी हो गईं कारखानों के बंद हो जाने से बहुत सारे मज़दूरों के रोजगार खत्म हो गए। बहुतों को दूर-दराज के इलाकों में जाना पड़ा। जहाँ उन कारखानों को दोबारा चालू किया गया था। अब प्रदूषण की समस्या इन नए इलाकों में पैदा हो रही है ये इलाके प्रदूषित होने लगे हैं। मजदूरों की सुरक्षा संबंधी स्थितियों का मुद्दा अभी भी वैसा का वैसा है। भारत में पर्यावरणीय मुद्दों पर हुए ताज़ा अनुसंधानों से यह बात सामने आई है कि मध्य वर्ग के लोग पर्यावरण की चिंता तो करने लगे हैं, लेकिन वे अक्सर गरीबों की पीड़ा को ध्यान में नहीं रखते। इसलिए उनमें से बहुतों को यह तो समझ में आता है कि शहर को सुंदर बनाने के वास्ते बस्तियों को हटाना चाहिए या प्रदूषण फैलाने वाली फैक्ट्रियों को शहर के बाहर ले जाना चाहिए, लेकिन यह समझ में नहीं आता कि इससे बहुत सारे लोगों की रोजी-रोटी भी खतरे में पड़ सकती है। जहाँ एक तरफ स्वच्छ पर्यावरण के बारे में जागरूकता बढ़ रही है वहीं दूसरी तरफ मजदूरों की सुरक्षा के बारे में लोग ज्यादा चिंता नहीं जता रहे हैं। अब चुनौती ऐसे समाधान ढूंढने की है, जिनमें स्वच्छ वातावरण का लाभ सभी को मिल सके। इसका एक तरीका यह है कि हम कारखानों में ज्यादा स्वच्छ तकनीकों और प्रक्रियाओं को अपनाने पर जोर दें। इसके लिए सरकार को भी चाहिए कि वह कारखानों को प्रोत्साहन और मदद दे। उसे प्रदूषण फैलाने वालों पर जुर्माना करना होगा। इस तरह मजदूरों के रोजगार भी बच जाएँगे और समुदायों व मजदूरों को सुरक्षित पर्यावरण का अधिकार भी मिल जाएगा।
Question - 9 : - क्या आपको लगता है कि ऊपर उद्धत मामले में सभी पक्षों को न्याय मिला है?
Answer - 9 : - नहीं, सभी पक्षों को न्याय नहीं मिला। फैक्ट्री मजदूरों और झुग्गी-झोंपड़ी में रहने वालों के साथ अन्याय हुआ है।
Question - 10 : - क्या आपको पर्यावरण की रक्षा के और तरीके दिखाई देते हैं? कक्षा में चर्चा करें।
Answer - 10 : -
पर्यावरण की रक्षा के लिए तरीके –
1. पर्यावरण सुरक्षा के लिए बनाए गए कानूनों को सख्ती से लागू किया जाना चाहिए।
2. अत्यधिक निर्माण कार्य पर रोक लगाई जानी चाहिए।
3. जल शोधक संयंत्र स्थापित किए जाने चाहिए।
4. कूड़ा-करकट व अपशिष्ट पदार्थों को नदियों या खुले स्थान में नहीं फेंकना चाहिए।