Chapter 15 कार्बन एवं उसके यौगिक Solutions
Question - 1 : - निम्नलिखित प्रश्नों में सही विकल्प छाँटकर अभ्यासपुस्तिका में लिखिए (लिखकर)-
(क) निम्नलिखित पदार्थों में से किसमें कार्बन नहीं पाया जाता है-
(अ) कोयला में।
(ब) चीनी में
(स) रोटी में
(द) नमक में
(ख) प्रकृति में कार्बन पाया जाता है।
(अ) केवल मुक्त अवस्था में
(ब) केवल यौगिकों में
(स) मुक्त एवं यौगिक दोनों अवस्थाओं में
(द) केवल अपने अपररूपों में
(ग) कुकिंग गैस (L.P.G.) में किसकी मात्रा अधिक है-
(अ) मेथेन
(ब) एथेन
(स) एथिलीन
(द) ब्यूटेन
(घ) कार्बन का क्रिस्टलीय रूप है-
(अ) जन्तु चारकोल
(ब) ग्रेफाइट
(स) कोयला
(द) लकड़ी का चारकोल
Answer - 1 : -
(क)
उत्तर
(द) नमक में।
(ख)
उत्तर
(स) मुक्त एवं यौगिक दोनों अवस्थाओं में।
(ग)
उत्तर
(द) ब्यूटेन।
(घ)
उत्तर
(अ) ग्रेफाइट।
Question - 2 : - रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए (पूर्ति करके)-
(क) ……….. सभी सजीव तथा कुछ निर्जीवों में उपस्थित है।
(ख) ………… सरलतम हाड्रोकार्बन है।
(ग) ………… सबसे कठोर ‘दार्थ है।
(घ) पेट्रोल ………………. धन है।
(ङ) पेंसिल में उपस्थित ला पदार्थ …………….. है।
Answer - 2 : -
(क) कार्बन सभी सजीव तथा कुछ निर्जीवों में उपस्थित है।
(ख) मेथेन सरलतम हाड्रोकार्बन है।
(ग) हीरा सबसे कठोर ‘दार्थ है।
(घ) पेट्रोल ज्वलनशील धन है।
(ङ) पेंसिल में उपस्थित ला पदार्थ ग्रेफाइट है।
Question - 3 : - निम्नलिखित कथनों में सही कथन पर (✓) तथा गलत कथन पर (✗) का चिह्न लगाइए (लगाकर) –
Answer - 3 : -
Question - 4 : - संक्षेप में उत्तर दीजिए-
(क) अपररूप क्या होते हैं? कार्बन के अपररूपों का उल्लेख कीजिए।
(ख) हीरा तथा ग्रेफाइट के गुणों की तुलना कीजिए।
(ग) मेथेन को “मार्श” गैस क्यों कहते हैं?
(घ) पेट्रोल को जीवाश्म ईंधन क्यों कहते हैं?
(ङ) पेट्रोल को तरल सोना क्यों कहते हैं?
(च) प्रकृति में कार्बन किन पदार्थों में पाया जाता है?
(छ) लैम्प ब्लैक क्या होता है?
(ज) हाइड्रोकार्बन यौगिक कितने प्रकार के होते हैं?
(झ) रॉकेट ईंधन के दो उदाहरण दीजिए।
(ट) पेट्रोलियम गैस किन गैसों का मिश्रण है?
Answer - 4 : -
(क)
अपररूप- वे पदार्थ जो विभिन्न भौतिक गुण परन्तु समान रासायनिक गुण रखते हैं, अपरलैंप कहलाते हैं।
कार्बन विभिन्न अपररूपों में मिलता है, जिन्हें निम्न दो भागों में बाँटा गया है-
1. क्रिस्टलीय –
2. अक्रिस्टलीय-
- लकड़ी का कोयला
- हड्डी का कोयला
- कोक
- काजल तथा
- गैस कार्बन।।
(ख)
ग्रेफाइट तथा हीरे के निम्न गुण स्पष्ट रूप से भिन्न हैं –
ग्रेफाइट तथा हीरा दोनों ही अपने गुणों में अधिकांशतः भिन्न हैं। ग्रेफाइट धूसर रंग का काला पदार्थ है। यह स्पर्श करने पर चिकना तथा फिसलने वाला पदार्थ है। जबकि, हीरा पारदर्शक तथा कठोर है। अब तक ज्ञात सबसे अधिक कठोर पदार्थ होने के बावजूद हीरा सरलता से टूट जाता है। बहुत से फलकों वाला क्रिस्टल बनाने के लिए इसे विभिन्न तलों के साथ-साथ काफी सफाई से तोड़ा जाता है। इस पर पड़ने वाली प्रकाश की किरण-पुंज तेजी से बिखर कर अर्थात् परिशोषित होकर एक सजीव इन्द्रधनुष बनाती है। अतः इसको इसके स्थान से थोड़ा-सा हटाने पर यह चमकता है और सुन्दर रंगों के रूप में चिंगारी निकालता हुआ प्रतीत होता है।
ग्रेफाइट तथा हीरों में कार्बन परमाणु विभिन्न तरीकों (पैटर्नो) में परस्पर जुड़े अथवा आबन्धित होते हैं। परमाणुओं के इन्हीं विभिन्न पैट्रनें के कारण ही ये दोनों गुणों में भिन्न-भिन्न होते हैं। ग्रेफाइट में प्रत्येक कार्बन परमाणु एक ही तल में अपने पास के अन्य तीन कार्बन परमाणुओं के साथ जुड़ा रहता है। और षट्कोणीय जाल बनाता है। अनेक ऐसे तल एक-दूसरे के ऊपर ढीले-ढाले अथवा आबद्ध रूप में रखे होते हैं। इसी कारण ये तल सरलता से फिसल जाते हैं। इसी गुण के कारण ग्रेफाइट स्पर्श करने पर चिकना और फिसलने वाला पदार्थ लगता है और एक उत्तम स्नेहक के रूप में उपयोग होता है।
हीरे में कार्बन परमाणुओं की व्यवस्था पूर्णतया भिन्न है। प्रत्येक कार्बन परमाणु, अन्य चार कार्बन परमाणुओं के साथ जुड़कर त्रिविमीय (Three dimensions) दृढ़ क्रिस्टल की संरचना बनाता है। इसी अत्यधिक स्थायी संरचना के कारण ही हीरा अब तक ज्ञात पदार्थों में सबसे अधिक कठोर पदार्थ है।
(ग) मेथेन गैस (CH,) वायु की अनुपस्थिति में दलदली स्थानों पर, पेड़-पौधों और कार्बनिक पदार्थों (मार्श) के गलने-सड़ने से बनती है, इसलिए इसे मार्श गैस कहते हैं।
(घ)
पेट्रोल, करोड़ों वर्ष पहले दबे मृत जीव-जन्तु एवं वनस्पति के अपघटन से बने पेट्रोलियम से प्राप्त होता है। इसलिए पेट्रोल को जीवाश्म ईंधन कहते हैं।
(ङ)
वर्तमान युग में पेट्रोलियम किसी राष्ट्र के लिए सोने से भी अधिक कीमती है, क्योंकि किसी भी राष्ट्र की उन्नति पेट्रोलियम की मात्रा पर निर्भर करती है। कृषि, उद्योग, यातायात एवं संचार आदि विभिन्न कार्यों में इसका उपयोग अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है, इसलिए पेट्रोलियम को तरल सोना कहा जाता है।
(च)
प्रकृति में कार्बन – कार्बन एक तत्व है जिसका परमाणु भार 12 है तथा यह स्वतन्त्र अवस्था में प्रकृति में शुद्ध रूप में (हीरे तथा ग्रेफाइट के रूप में) मिलता है। इसके अतिरिक्त संयुक्त अवस्था में पेट्रोलियम, खड़िया तथा चूने के पत्थर में पाया जाता है।
(छ)
लैम्प ब्लैक मोम अथवा तेल को वायु की सीमित मात्रा में जलाने पर प्राप्त कालिख को कहते हैं।
(ज)
हाइड्रोकार्बन यौगिक दो प्रकार के होते हैं –
- संतृप्त हाइड्रोकार्बन
- असंतृप्त हाइड्रोकार्बन
(झ)
मेथिल हाइड्रोजन तथा द्रवित हाइड्रोजन।
(ट)
पेट्रोलियम गैस ब्यूटेन एवं प्रोपेन गैसों का मिश्रण है।
Question - 5 : - लकड़ी, कण्डे, खेतों में धान व गेहूँ के पुआल जलाने से होने वाले प्रदूषण के कारण पर्यावरण पर होने वाले प्रभाव का वर्णन कीजिए।
Answer - 5 : -
लकड़ी, कण्डे, गेहूँ व धान के पुआल (पराली), कोयला, पेट्रोल, एल.पी.जी. के जलने से कार्बन डाइऑक्साइड गैस उत्पन्न होती है। खेतों में धान व गेहूँ के पुआल (पराली जलाने से वायुमण्डल में धुएँ का कोहरा छा जाता है। जिससे आँखों में जलन व साँस लेने में तकलीफ होती है तथा वायुमण्डल में कार्बन डाईऑक्साइड की मात्रा बढ़ जाती है।
Question - 6 : - ईंधन क्या है? ईंधन का वर्गीकरण उदाहरण सहित कीजिए।
Answer - 6 : -
ईंधन से दहन क्रिया द्वारा ऊर्जा प्राप्त होती है। ईंधन करोड़ों वर्ष पूर्व पृथ्वी के अन्दर दबे मृत जीव-जन्तु, वनस्पतियों के अपघटन द्वारा प्राप्त पेट्रोलियम के शोधन से प्राप्त किया जाता है। ईंधन तीन अवस्थाओं में पाया जाता है
ठोस ईंधन – चारकोल, कोयला आदि।
द्रव ईंधन – डीजल, पेट्रोल आदि।
गैस ईंधन – गोबर गैस, एल०पी०जी० आदि।
ईंधन का वर्गीकरण पेट्रोलियम के प्रभाजी आसवन से प्राप्त प्रभाजों के क्वथनांक के आधार पर किया गया है।
Question - 7 : - हीरा में कार्बन परमाणु किस प्रकार व्यवस्थित रहते हैं? चित्र की सहायता से समझाइए।
Answer - 7 : -
हीरा कार्बन का एक पारदर्शी क्रिस्टलीय अपरूप है। इसमें कार्बन का एक परमाणु चार परमाणुओं से जुड़ा होता है। कार्बन परमाणुओं की चतुष्फलकीय व्यवस्था के कारण यह पूर्णतः आबद्ध कठोर तथा त्रिविमीय , संरचना चित्रानुसार होती है।
Question - 8 : - हीरा का उपयोग आभूषण बनाने में क्यों किया जाता है?
Answer - 8 : -
हीरे को सरलता से भिन्न-भिन्न तल में तोड़कर कई फलक वाले क्रिस्टल बनाए जा सकते हैं, जिससे इस पर पड़ने वाला प्रकाश पूँज विभक्त होकर शीघ्रता से इन्द्रधनुषी रंग बनाता है। यह थोड़ी-सी भी हलचल से झिलमिलाता है और सुन्दर रंगों वाला स्फुलिंग उत्पन्न करता है। अतः हीरे के उपयोग से आभूषण की सुन्दरता बढ़ जाती है। इसी कारण हीरे का उपयोग आभूषण बनाने में किया जाता है।
Question - 9 : - सुगर चारकोल का उपयोग लिखिए।
Answer - 9 : -
सुगर चारकोल का उपयोग अपचायक के रूप में होता है। यह धातु ऑक्साइड को धातु के रूप में अपचयित करता है।
Question - 10 : - निम्नलिखित प्रश्नों में चार-चार पद हैं। प्रत्येक प्रश्न में तीन पद किसी-न-किसी रूप में एक से हैं और एक पद अन्य तीनों से भिन्न है। अन्य से भिन्न पद की पहचान कर अभ्यास-पुस्तिका में लिखिए (लिखकर) –
(क) हीरा, कोयला, जन्तु चारकोल, काजल
(ख) मेथेन, इथेन, प्रोपेन, इथलीन
(ग) एल०पी०जी० गैस, पेट्रोल, डीजल, लकड़ी
(घ) खाने का सोडा, चीनी, रोटी, नमक
Answer - 10 : -
(क) काजल,
(ख) इथलीन
(ग) लकड़ी
(घ) रोटी