Question -
Answer -
संविधान भी भारत के सभी नागरिकों को एक समान मानता है। संविधान जाति, धर्म, भाषा, क्षेत्र, लिंग के आधार पर किसी से भेदभाव नहीं करता। इसलिए तब लोग समानता के लिए संघर्ष करते हैं, संवैधानिक कानून उनके पक्ष में होता है। जब भी समानता के लिए संघर्ष का मामला न्यायालय में जाता है। न्यायालय संविधान को ध्यान में रखते हुए फैसला संघर्ष करने वालों के पक्ष में देता है। इसलिए समानता के लिए लोगों के संघर्ष में संविधान की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है।