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Question -

भारत सरकार ने 1995 में विकलांगता अधिनियम स्वीकृत किया था। यह कानून कहता है कि विकलांग व्यक्तियों को भी समान अधिकार प्राप्त हैं और समाज में उनकी पूरी भागीदारी संभव बनाना सरकार का दायित्व है। सरकार को उन्हें निःशुल्क शिक्षा देनी है और विकलांग बच्चों को स्कूल की मुख्यधारा में सम्मिलित करना है। कानून यह भी कहता है कि सभी सार्वजनिक स्थल, जैसे-भवन, स्कूल आदि में ढलान बनाए जाने चाहिए, जिससे वहाँ विकलांगों के लिए पहुँचना सरल हो।
 
चित्र को देखिए और उस बच्चे के बारे में सोचिए, जिसे सीढ़ियों से नीचे लाया जा रहा है। क्या आपको लगता है कि इस स्थिति में विकलांगता का कानून लागू किया जा रहा है? वह भवन में आसानी से आ-जा सके, उसके लिए क्या करना आवश्यक है? उसे उठाकर सीढ़ियों से उतारा जाना, उसके सम्मान और उसकी सुरक्षा को कैसे प्रभावित करता है?



Answer -

1. उपरोक्त चित्र में विकलांगता कानून का पालन नहीं किया जा रहा है, क्योंकि भवन में ढलान नहीं बना हुआ है इसलिए बच्चे को सीढ़ियों के माध्यम से लाया जा रहा है। 
2. विकलांग व्यक्ति के लिए आसानी से भवन में आने-जाने के लिए सीढ़ियों के स्थान पर ढलान का निर्माण किया जाना चाहिए। 
3. उसे सीढ़ियों से उठाकर लाने-ले जाने से उसके आत्मसम्मान को ठेस पहुँचती है। वह अपने को अक्षम मानने लगता है, जिससे उसका आत्मबल कमजोर होगा। उसे बार-बार सीढ़ियों से चढ़ाने और उतारने से दुर्घटना हो सकती है जिससे उसे शारीरिक चोट पहुँच सकती है। 

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