Question -
Answer -
जब हम छोटे थे तो हमारी देखभाल माता-पिता करते थे और यह सिलसिला किशोरावस्था के बाद तक चलता रहा और युवावस्था में जाकर खत्म हुआ। जबकि सामोआ में छोटे बच्चे जैसे ही चलना शुरू कर देते थे, उनकी माताएँ या बड़े लोग उनकी देखभाल करना बंद कर देते थे। यह जिम्मेदारी बड़े बच्चों पर आ जाती थी, जो प्रायः स्वयं भी पाँच वर्ष के आस-पास की उम्र के होते थे। लड़के-लड़कियाँ दोनों अपने छोटे-भाई बहनों की देखभाल करते थे, लेकिन जब कोई लड़का लगभग नौ वर्ष का हो जाता था वह बड़े लड़कों के समूह में सम्मिलित हो जाता था और बाहर के काम सीखता था, जैसे-मछली पकड़ना और नारियल के पेड़ लगाना। लड़कियाँ जब तक तेरह चौदह साल की नहीं हो जाती थीं, छोटे बच्चों की देखभाल और बड़े लोगों के छोटे-मोटे कार्य करती रहती थीं, लेकिन एक बार जब वे तेरह-चौहद साल की हो जाती थीं, वे अधिक स्वतंत्र होती थीं। लगभग चौदह वर्ष की उम्र के बाद भी वे भी मछली पकड़ने जाती थीं, बागानों में काम करती थीं और डलिया बुनना सीखती थीं। साथ-ही-साथ खाना बनाने का भी काम करती थीं। ।
ये सभी अनुभव हमारे जीवन में नहीं देखने को मिले, क्योंकि भारत में बच्चे लगभग 20 वर्ष के बाद ही कमाना शुरू करते हैं, कुछ बच्चे मजबूरीवश इससे कम उम्र में भी काम करना शुरू कर देते हैं।