Question -
Answer -
बारहवीं शताब्दी से फ्रांस में आरंभिक भवनों की तुलना में अधिक ऊँचे व हल्के चर्चे के निर्माण के प्रयास शुरू हुए। वास्तुकला की यह शैली गोथिक नाम से जानी जाती है। इस शैली की विशेषताएँ-नुकीले ऊँचे मेहराब, रंगीन काँच का प्रयोग, जिसमें प्रायः बाइबिल से लिए गए दृश्यों का चित्रण है तथा उड़ते हुए पुश्ते। दूर से ही दिखने वाली ऊँची मीनारें और घंटी वाले बुर्ज बाद में चर्च से जुड़े। इस वास्तुकलात्मक शैली के सर्वोत्कृष्ट ज्ञात उदाहरणों में से एक पेरिस का नाट्रेडम चर्च है। बारहवीं और तेरहवीं शताब्दियों के कई दशकों में इसका निर्माण हुआ।