Chapter 6 नगर, व्यापारी और शिल्पिजन Solutions
Question - 11 : - मंदिरों के निर्माण तथा उनके रख-रखाव के लिए शिल्पीजन कितने महत्त्वपूर्ण थे?
Answer - 11 : -
मंदिरों के निर्माण तथा उनके रख-रखाव के लिए शिल्पीजन निम्न कारणों से महत्त्वपूर्ण थे|
1. मंदिरों के निर्माण के लिए शिल्पी काफ़ी महत्त्वपूर्ण थे-शिल्पियों में सुनार, कसेरे, लोहार, राजमिस्त्री और बढ़ई शामिल थे।
2. शिल्पकार मंदिरों को सुंदर बनाने में काफ़ी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते थे। शिल्पकार ही मंदिरों के विभिन्न भागों को निर्मित करते थे।
3. मंदिरों को कलात्मक रूप से सजाने का कार्य शिल्पकार ही करते थे।
Question - 12 : - लोग दूर-दूर के देशों-प्रदेशों से सूरत क्यों आते थे?
Answer - 12 : -
सूरत नगर में लोगों के दूर-दूर प्रदेशों से आने के कारण
1. सूरत अरब सागर के तट पर स्थित एक बन्दरगाह नगर था, जहाँ से पश्चिमी एशिया के देशों से व्यापार होता था।
2. सूरत को मक्का का प्रस्थान द्वार भी कहा जाता था, क्योंकि बहुत से हज यात्री जहाज से यहीं से रवाना होते थे।
3. सूरत शिल्प उद्योग का प्रमुख केन्द्र था, जिससे काफ़ी संख्या में लोगों को रोजगार मिला हुआ था।
4. सूरत एक व्यापारिक नगर था, जहाँ पर कई वस्तुओं के थोक और फुटकर बाज़ार थे।
Question - 13 : - कलकत्ता जैसे नगरों में शिल्प उत्पादन तंजावूर जैसे नगरों के शिल्प उत्पादन से किस प्रकार भिन्न था ?
Answer - 13 : -
तंजावूर कलकत्ता से पहले का विकसित नगर है, इसलिए तंजावूर में शिल्प का उत्पादन कलकत्ता से पहले शुरू हो गया था। दोनों नगरों के शिल्प उत्पादन में काफ़ी भिन्नता थी|
1. कलकत्ता में मुख्यत: शिल्प उत्पादन सूती, रेशमी व जूट उत्पादन तक सीमित था।
2. तंजावूर में सूती वस्त्रों के अतिरिक्त कांस्य मूर्तियों, धातु के दीपदान, मंदिरों के घंटे, आभूषणों आदि का निर्माण बड़े पैमाने पर होता था, क्योंकि तंजावूर एक मंदिर नगर था।
Question - 14 : - इस अध्याय में वर्णित किसी एक नगर की तुलना आप, अपने परिचित किसी कस्बे या गाँव से करें। क्या दोनों के बीच कोई समानता या अंतर हैं?
Answer - 14 : - सूरत (नगर) और टेकारी (कस्बा) की तुलना
Question - 15 : - सौदागरों को किन-किन समस्याओं का सामना करना पड़ता था? आपके विचार से क्या वैसी कुछ समस्याएँ आज भी बनी हुई हैं?
Answer - 15 : -
सौदागरों को निम्नलिखित समस्याओं का सामना करना पड़ता था।
1. व्यापारियों को अनेक राज्यों तथा जंगलों में से होकर गुजरना पड़ता था, इसलिए वे आमतौर पर काफिले बनाकर एक साथ यात्रा करते थे।
2. सौदागर अपने हितों की रक्षा के लिए व्यापार संघ (गिल्ड) बनाते थे।
3. उन्हें विभिन्न प्रकार के कर चुकाने पड़ते थे।
4. प्राचीन व मध्यकाल में यातायात के रूप में बैलगाड़ी, घोड़ागाड़ी, नावें आदि प्रमुख थे। अर्थात् यातायात के साधन भी पर्याप्त मात्रा में नहीं थे।
वर्तमान समय में भी सौदागरों को व्यापार संघ बनाने पड़ते हैं। उन्हें विभिन्न कर चुकाने पड़ते हैं तथा व्यापार के लिए दूर-दूर तक यात्राएँ करनी पड़ती हैं।
Question - 16 : - तंजावूर या हम्पी के वास्तुशिल्प के बारे में कुछ और जानकारी प्राप्त करें और इन नगरों के मंदिरों तथा अन्य भवनों के चित्रों की सहायता से एक स्क्रैपबुक तैयार करें।
Answer - 16 : - छात्र स्वयं करें।
Question - 17 : - किसी वर्तमान तीर्थस्थान का पता लगाएँ। बताएँ कि लोग वहाँ क्यों जाते हैं, वहाँ क्या करते हैं, क्या उस केंद्र के आस-पास दुकानें हैं और वहाँ क्या खरीदा और बेचा जाता है?
Answer - 17 : - छात्र स्वयं करें।