Question -
Answer -
प्रकृति में फलों एवं बीजों का प्रकीर्णन वायु, जल तथा जन्तुओं द्वारा होता है। चिलबिल तथा द्विफल (मेपिल) जैसे पौधों के पंखयुक्त बीज, घासों के हल्के बीच अथवा महार के रोगयुक्त बीज और सूरजमुखी के रोगयुक्त फल हवा द्वारा उड़-उड़कर दूर तक चले जाते हैं। नारियल आदि फलों के आवरण तंतुमय (रेशेदार) होते हैं ताकि वे जल में तैरते हुए एक स्थान से दूसरे स्थान तक जा सकें। पीपल, बरगद जैसे वृक्षों के बीच पक्षियों द्वारा दूर-दूर तक पहुँचाए जाते हैं। दरअसल पक्षी इनके फलों को खाते हैं मगर बीज पचा नहीं पाते और बीट के द्वारा बाहर आ जाते हैं। यही बीज उगकरं नए पौधे बन जाते हैं।
कुछ काँटेदार पौधों के बीज हुकनुमा होते हैं जिससे जन्तुओं के शरीर से चिपक जाते हैं और दूर-दूर तक पहुँच जाते हैं। कुछ पौधों जैसे-मटर, अरण्ड आदि के फल झटके से फट जाते हैं जिससे बीज प्रकीर्णित हो अपने पादप से दूर जाकर गिरते हैं।