Question -
Answer -
पौधों में अलैंगिक जनन मुख्यतः चार प्रकार से होता है।-
- मुकुलन द्वारा
- खण्डन द्वारा
- बीजाणु द्वारा
- वर्धा या कायिक प्रजनन द्वारा।
मुकुलन – एककोशिकीय जीवों; जैसे-यीस्ट में मुकुलन द्वारा जनन होता है। यीस्ट कोशिका से एक छोटा सा उभार निकलने लगता है जिसे मुकुल या कली कहते हैं। मुकुल धीरे-धीरे वृद्धि करके अपनी मातृकोशिका से अलग हो जाता है और नई यीस्ट कोशिका बन जाती है। मुकुल की क्रिया इतनी तेज होती है कि कई नवीन मुकुल अपनी जनक कोशिका से अलग हुए बिना ही एक श्रृंखला में पाए जाते हैं।
खण्डन – जब तंतुओं के टूटने पर उनके टुकड़े से नए-नए पौधे का निर्माण होता है तो उसे खण्डन विधि कहते हैं। स्पाइरोगाइरा, यूलोथ्रिक्स आदि शैवाल इस विधि से प्रजनन करते हैं।
बीजाणु – फफूद में छोटी-छोटी धागे जैसी रचना होती है, जिन्हें कवक तंतु कहते हैं। इन तंतुओं के ऊपरी सिरे फूल जाते हैं जिसमें अत्यंत छोटी-छोटी रचनाएँ बनती हैं, जिसे बीजाणु कहते हैं। से बीजाणु प्रतिकूल परिस्थितियों में भी जीवित रहते हैं बीजाणु हवा द्वारा विभिन्न स्थानों पर गिरते हैं और अंकुरित होकर नए कवक को जन्म देते हैं। शैवाल, मॉस और फर्न आदि में भी बीजाणुओं द्वारा जनन होता है।
वर्षी या कायिक प्रजनन – जब पौधों के वर्धा भाग जैसे जड़, तना और पत्ती से नए पौधे जन्म लेते हैं तो उसे वर्दी प्रजनन कहते हैं। ऐसे पौधे बिना बीज के भी उगाए जाते हैं। शकरकंद, डहेलिया, सतावर में जड़ों द्वारा और आलू, अदरक गन्ना आदि में तने द्वारा वर्षी प्रजनन होता है।