Question -
Answer -
(क)
परिवर्तन दो प्रकार के होते हैं-भौतिक परिवर्तन और रासायनिक परिवर्तन
(ख)
कच्चे आम का पकना रासायनिक परिवर्तन है क्योंकि एक बार आम के पकने पर दोबारा उसे कच्चा नहीं किया जा सकता।
(ग)
भौतिक परिवर्तन – वह परिवर्तन जिसमें परिवर्तन के पश्चात पदार्थ को पुनः अवस्था में प्राप्त किया जा सके, भौतिक परिवर्तन कहलाता है। इसमें परिवर्तन के पश्चात कोई नया पदार्थ नहीं बनता, बस उसके भौतिक गुणों में परिवर्तन आ जाता है। भौतिक परिवर्तन अस्थायी होता है। जैसे- लोहे और गंधक के चूर्ण को मिला देना एक भौतिक परिवर्तन है क्योंकि चुंबक की सहायता से लोहे के चूर्ण को उसके मूल रूप में पृथक किया जा सकता है। अथवा इस मिश्रण को पानी में डालने पर लोहे का चूर्ण तली में बैठ जाएगा और गंधक तैरता रहेगा। इस प्रकार गंधक को भी मूलरूप में मिश्रण से अलग किया जा सकता है।
रासायनिक परिवर्तन – वह परिवर्तन जिसमें परिवर्तन के पश्चात पदार्थ को पुनः पूर्व अवस्था में आसानी से प्राप्त न किया जा सके, रासायनिक परिवर्तन कहलाता है। इसमें नया पदार्थ बनता है, यह अस्थायी होता है। परिवर्तन के पश्चात पदार्थ के भौतिक एवं रासायनिक गुण दोनों बदल जाते हैं। जैसे कि लोहे और गंधक के चूर्ण से बने मिश्रण को गर्म करने के बाद जो नया पदार्थ आयरन सल्फाइड बनता है, उससे पुनः लौह चूर्ण या गंधक चूर्ण प्राप्त नहीं किया जा सकता। इस पदार्थ चुंबक आकर्षित नहीं कर पाता है और पानी में डालने पर नया समस्त पदार्थ डूब जाता है।
(घ)
ऊष्मा अवशोषित होने वाले परिवर्तन
(ङ)
किसी पदार्थ के शुद्ध तथा बड़े माप के क्रिस्टल उसके विलयन से प्राप्त किए जा सकते हैं। यह प्रक्रिया क्रिस्टलीकरण कहलाती है। फिटकरी का क्रिस्टलीकरण करने की विधिः फिटकरी का 2 चम्मच चूर्ण लेकर उसमें आधा कप पानी मिलाएँ। उसे खूब अच्छी तरह घोलने के बाद थोड़ी देर के लिए छोड़ दें। अब इसमें से एक छोटा साखी लेकर उसमें धागा बाँधकर आधे कप पानी में डुबोकर छोड़ दें। एक सप्ताह बाद आप देखेंगे कि फिटकरी का एक छोटा टुकड़ा धीरे-धीरे बड़ा हो गया है। इस बड़े टुकड़े को तोड़कर हम पुन: फिटकरी के छोटे-छोटे क्रिस्टल प्राप्त कर सकते हैं।