Question -
Answer -
तालाब, नाली तथा शहरों के अपशिष्ट प्रदूषित जल के प्रदूषण कम करने तथा शुद्ध करने के उपाय-
औद्योगिक अपशिष्ट तथा शहरों के मल व्ययन के जल को नदियों अथवा समुद्रों में प्रवाहित करने से पहले सीवेज ट्रीटमेंट संयत्र द्वारा उपचारित किया जाता है। सबसे पहले जल-मल को एक घर्षण अभिक्रिया से गुजारते हैं। तत्पश्चात् इसे अनेक अवसाद हौजों (कक्ष) से गुजारते हुए चूने की सहायता से उदासीन किया जाता है। इस चरण तक का प्रक्रम प्राथमिक उपचार कहलाता है। जल में अभी भी रोगाणु, अन्य सूक्ष्मजीव एवं जैविक वज्र्य पदार्थ काफी मात्रा में विद्यमान होती हैं। अतः उदासीनीकरण से प्राप्त बहिःस्राव को उच्च स्तरीय अवायवी बहाव आवरण में भेजा जाता है। यह एक प्रतिक्रम (रियेक्टर) है।
इसमें अवायवी जीवाणु जल में उपस्थित जैव निम्नीकरणीय पदार्थों का अपघटन करते हैं। इस अभिक्रिया में दुर्गन्ध समाप्त हो जाती है तथा मेथेन (CH4) बाहर निकलती है। जिसको सार्थक उपयोग किया जा सकता है। इस प्रकार 85 प्रतिशत तक प्रदूषक हट जाते हैं। यहाँ से जल को वायु मिश्रण टैंकों में भेजा जाता है जहाँ इस जल में वायु तथा जीवाणु मिश्रित किये जाते हैं। जीवाणु जैववर्त्य का अपमार्जन करते हैं। यह जैव उपचार द्वितीयक उपचार कहलाता है। इसके उपरान्त भी जल पीने योग्य नहीं होता। हानिकारक सूक्ष्म जीवों को हटाना आवश्यक है। इसलिए रोगाणुनाशन एक अन्तिम चरण (तृतीय उपचार) प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया में जल में घुले अजैविक पदार्थों व जीवाणुओं को पूर्णतः मुक्त किया जाता है। इसके लिए क्लोरीनीकरण, वाष्पीकरण, विनिमय अवशोषण, तलछटीकरण, बालू छन्नक जैसी विधियाँ प्रयोग में लाई जाती हैं। इस प्रकार शहरों के अपशिष्ट जल का शोधन करके कृषि कार्य व अन्य उपयोग में किया जाता है।