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Question -

 भारत में जल प्रदूषण की प्रकृति का वर्णन कीजिए।



Answer -

जल प्रदूषण का अर्थ-जब भौतिक, रासायनिक तथा जैविक तत्त्वों द्वारा जलाशयों के जल में ऐसे अनैच्छिक परिवर्तन हो जाएँ जिनसे जैव समुदाय पर प्रतिकूल प्रभाव पड़े उसे ‘जल प्रदूषण’ कहते हैं। जल प्रदूषण के कारण

जल प्रदूषण के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं-

  1. कृषि में रसायनों का उपयोग,
  2. नदियों में साबुन से स्नान,
  3. नगरीय अपशिष्ट,
  4. अधजली लाशें,
  5. नदियों के तट पर विभिन्न मेलों, उत्सवों का आयोजन
  6. शौचालयों की कमी,
  7. प्राकृतिक कारक,
  8. समुद्र में पेट्रोलियम का खनन,
  9. आण्विक कचरा आदि।
जल प्रदूषण के दुष्प्रभाव

  1. रोगों का प्रसार-हैजा, पीलिया, टाइफॉइड, पेचिश, फेफड़ों का कैंसर और पेट के अनेक रोग आदि।
  2. जलीय पौधों और जीव-जन्तुओं की मृत्यु,
  3. फसलों का नाश,
  4. मिट्टी की उर्वरता का नाश,
  5. कुपोषण, एवं
  6. सागरीय जल का प्रदूषण आदि।
जल प्रदूषण पर नियन्त्रण के उपाय

जल प्रदूषण पर नियन्त्रण के उपाय निम्नलिखित हैं-

  1. कूड़ा-कचरा केवल कूड़ा-घरों में ही फेंका जाए।
  2. शौचालयों का निर्माण किया जाए।
  3. विद्युत शवदाहगृहों की स्थापना की जाए।
  4. मृत पशुओं के जलाशयों में बहाने पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगाया जाए।
  5. औद्योगिक अपशिष्टों का उपचार किया जाए।
  6. नगरपालिकाओं के मल-जल का शोधन किए बिना नदियों में न डाला जाए।
  7. कारखानों में कम जल के प्रयोग की उन्नत प्रौद्योगिकी का विकास किया जाए।
  8. कठोर कानूनों का निर्माण किया जाए साथ ही इनकी पालना भी कठोरता के साथ की जाए।

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