MENU
Question -

भारत की जनसंख्या के व्यावसायिक संघटन का विवरण दीजिए।



Answer -

भारत की जनसंख्या का व्यावसायिक संघटन–आर्थिक दृष्टि से भारत की जनसंख्या को तीन वर्गों या स्तरों में विभक्त किया जाता है
(1) मुख्य श्रमिक, (2) सीमान्त श्रमिक और (3) अश्रमिक।
2011 की जनगणना के अनुसार भारत में श्रमिकों (मुख्य और सीमान्त दोनों) का अनुपात 39.8 प्रतिशत है, जबकि 60 प्रतिशत विशाल संख्या अश्रमिकों की है। यह एक अश्रमिक स्तर को इंगित करता है जिसमें एक बड़ा अनुपात आश्रित जनसंख्या का है।

राज्यों और केन्द्रशासित प्रदेशों में श्रमजीवी जनसंख्या का अनुपात गोवा में लगभग 39.6 प्रतिशत, दमन एवं दीव में लगभग 49.9 प्रतिशत सामान्य भिन्नता प्रदर्शित करता है। श्रमिकों की अपेक्षाकृत अधिक प्रतिशत वाले राज्य हिमाचल प्रदेश, सिक्किम, छत्तीसगढ़, आन्ध्र प्रदेश, कर्नाटक, अरुणाचल प्रदेश, नागालैण्ड, मणिपुर और मेघालय हैं। केन्द्रशासित प्रदेशों में दादरा और नगर हवेली तथा दमन और दीव की प्रतिभागिता दर उच्च है।
तालिका: भारत में श्रम शक्ति का सेक्टरवार संघटन, 2011
तालिका में द्वितीयक और तृतीयक सेक्टरों की तुलना में प्राथमिक सेक्टर के श्रमिकों के एक बड़े अनुपात को दर्शाया गया है। कुल श्रमजीवी जनसंख्या का लगभग 54.6 प्रतिशत कृषक और कृषि मजदूर हैं, जबकि 3.8 प्रतिशत श्रमिक घरेलू उद्योगों में लगे हैं और 41.6 प्रतिशत अन्य श्रमिक हैं।

जहाँ तक देश की पुरुष और स्त्री जनसंख्या के व्यवसाय का प्रश्न है पुरुष श्रमिकों की संख्या तीनों ही सेक्टरों में स्त्री श्रमिकों से अधिक है।

पिछले कुछ दशकों में भारत के कृषि सेक्टर के श्रमिकों के अनुपात में उतार-चढ़ाव नजर आया है। परिणामस्वरूप द्वितीयक और तृतीयक सेक्टर में सहभागिता दर बढ़ी है। यह देश की अर्थव्यवस्था में सेक्टरीय स्थानान्तरण है।

Comment(S)

Show all Coment

Leave a Comment

Free - Previous Years Question Papers
Any questions? Ask us!
×