Question -
Answer -
स्पेक्टमीरासायनिक श्रेणी (SpectrochemicalSeries) – क्रिस्टल क्षेत्र विपाटन, Δ0 लिगेण्ड तथा धातु आयन पर विद्यमान आवेश से उत्पन्न क्षेत्र पर निर्भर करता है। कुछ लिगेण्ड प्रबल क्षेत्र उत्पन्न कर सकते हैं तथा ऐसी स्थिति में विपाटन अधिक होता है, जबकि अन्य दुर्बल क्षेत्र उत्पन्न करते हैं जिसके फलस्वरूप d-कक्षकों का विपाटन कम होता है। सामान्यत: लिगण्डों को उनके बढ़ती हुई क्षेत्र प्रबलता के क्रम में एक श्रेणी में निम्नानुसार व्यवस्थित किया जा सकता है –
I– < Br– < SCN– < Cl– 2 < F– < OH– < C2O2-4 2O < NCS– < EDTA4- < NH3 – < CO
इस प्रकार की श्रेणी स्पेक्ट्रमीरासायनिक श्रेणी (spectrochemical series) कहलाती है। यह विभिन्न लिगेण्डों के साथ बने संकुलों द्वारा प्रकाश के अवशोषण पर आधारित प्रायोगिक तथ्यों द्वारा निर्धारित श्रेणी है।
दुर्बल क्षेत्र लिगेण्ड तथा प्रबल क्षेत्र लिगेण्ड के मध्य अन्तर (Difference between weak field ligand andstrong field ligand) – वे लिगेण्ड जिनकी क्रिस्टल क्षेत्र विपाटन ऊर्जा (CFSE), Δ0 का मान कम होता है, दुर्बल क्षेत्र लिगेण्ड कहलाते हैं। दुर्बल क्षेत्र लिगेण्ड के कारण इलेक्ट्रॉनों का युग्मन नहीं होता तथा ये उच्च चक्रण संकुल बनाते हैं। वे लिगेण्ड जिनकी क्रिस्टल क्षेत्र विपाटन ऊर्जा, Δ0 का मान अधिक होता है, प्रबल क्षेत्र लिगेण्ड कहलाते हैं। प्रबल क्षेत्र लिगेण्ड के कारण इलेक्ट्रॉनों का युग्मन होता है तथा ये निम्न चक्रण संकुल बनाते हैं।