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Question -

“साबुन की क्रिया पायसीकरण एवं मिसेल बनने के कारण होती है, इस पर टिप्पणी लिखिए।



Answer -

यह सत्य है कि साबुन की क्रिया पायसीकरण एवं मिसेल बनने के कारण होती है। इसे समझने के लिए हम साबुन के विलयन का उदाहरण लेते हैं। पानी में घुलनशील साबुन उच्च वसा अम्लों के सोडियम अथवा पोटैशियम लवण होते हैं जिन्हें RCOO M+ द्वारा व्यक्त किया जा सकता है। उदाहरणार्थसोडियम स्टिएरेट, जो साबुन का एक प्रमुख घटक है, जल में विलीन करने पर C17H35COO एवं Na+ आयनों में विघटित हो जाता है। किन्तु C17H35COO आयन के दो भाग होते हैंएक लम्बी हाइड्रोकार्बन श्रृंखला (जिसेअध्रुवीय पुच्छभी कहते हैं), जो जलविरागी (जल प्रतिकर्षी) होती है तथा ध्रुवीय समूह COO (जिसेध्रुवीय आयनिक शीर्षभी कहते हैं) जो जलरागी (जल को स्नेह करने वाला) होता है।

C17H35COO आयन पृष्ठ पर इस प्रकार उपस्थित रहते हैं कि उनका COO समूह जल में तथा हाइड्रोकार्बन श्रृंखला C17H35 पृष्ठ से दूर रहती है। परन्तु क्रान्तिक मिसेल सान्द्रता पर ऋणायन विलयन के स्थूल में खिंच आते हैं एवं गोलीय आकार में इस प्रकार एकत्रित हो जाते हैं कि इनकी हाइड्रोकार्बन श्रृंखलाएँ गोले के केन्द्र की ओर इंगित होती हैं तथा COO भाग गोले के पृष्ठ पर रहता है। इस प्रकार बना पुंज आयनिक मिसेल (ionic micelle) कहलाता है। इन मिसेलों में इस प्रकार के 100 तक आयन हो सकते हैं।
इस प्रकार अपमार्जकों जैसे सोडियम लॉरिल सल्फेट, CH3(CH2)4SO4 Na+ में लम्बी हाइड्रोकार्बन श्रृंखला सहित
SO2-4 ध्रुवीय समूह है, अत: मिसेल बनने की क्रियाविधि साबुनों के सामन ही है।

साबुन की शोधन-क्रिया इस तथ्य पर आधारित है कि साबुन के अणु तेल की बूंदों के चारों ओर इस प्रकार से मिसेल बनाते हैं कि स्टिएरेट आयन का जलविरागी भाग बूंदों के अन्दर होता है तथा जलरागी भाग चिकनाई की बूंदों के बाहर (चित्र-6) काँटों की तरह निकला रहता है। चूंकि ध्रुवीय समूह जल से अन्योन्यक्रिया कर सकते हैं, अत: स्टिएरेट आयनों से घिरी हुई तेल की बूंदें जल में खिंच जाती हैं तथा गन्दी सतह से हट जाती है। इस प्रकार साबुन तेलों तथा वसाओं का पायसीकरण (emulsification) करके धुलाई में सहायता करता है। छोटी गोलियों के चारों ओर का ऋण-आवेशित आवरण उन्हें एकसाथ आकर पुंज बनाने से रोकता है।
 

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