Question -
Answer -
लैन्थेनाइडों की ऑक्सीकरण अवस्थाएँ (Oxidation States of Lanthanides) – आवर्त सारणी के वर्ग 3 के सदस्यों से प्रत्याशित होता है कि लेन्थेनाइडों की एकसमान +3 ऑक्सीकरण अवस्था उनकी एक विशेषता है। त्रिधनात्मक ऑक्सीकरण अवस्था 6s2 इलेक्ट्रॉन और एकाकी 5d-इलेक्ट्रॉन अथवा यदि कोई 5d- इलेक्ट्रॉन उपस्थित न हो तो f- इलेक्ट्रॉनों में से एक के उपयोग के अनुसार होती है। प्रथम तीन आयनन एन्थैल्पियों का योग अपेक्षाकृत निम्न होता है जिससे ये तत्व उच्च धनविद्युती होते हैं और तत्परता से +3 आयन बना लेते हैं। यद्यपि जलीय विलयन में तथा ठोस अवस्था में सीरियम (Ce4+) चर्तुधनात्मक तथा सैमेरियम, यूरोपियम और इटर्बियम (Sm2+, Eu2+ और Yb2+) द्विधनात्मक आयन दे सकते हैं। अन्य तत्व ठोस अवस्था में +4 अवस्था दे सकते हैं। MX3 का अपचयन न केवल MX2 अपितु विशेष स्थिति में जटिल अपचयित स्पीशीज भी दे सकता है।
लैन्थेनाइडों के लिए +3 ऑक्सीकरण अवस्था की धारणा पर्याप्त दृढ़ हो गई है तथा अन्य ऑक्सीकरण अवस्थाओं को प्रायः असंगत’ कहा जाता है। विभिन्न लैन्थेनाइडों की ऐसी असंगत ऑक्सीकरण अवस्थाएँ अग्र प्रकार प्रदर्शित की गई हैं –
यदि हम यह मान लें कि रिक्त, अर्द्धपूर्ण या पूर्ण f- उपकोश के साथ विशेष स्थायित्व सम्बन्धित होता है। तो एक निश्चित सीमा तक +2 तथा +4 ऑक्सीकरण अवस्थाओं की उपस्थिति का इलेक्ट्रॉनिक संरचनाओं के साथ सामंजस्य किया जा सकता है। इस प्रकार La, Gd और Lu केवल त्रिधनात्मक आयन निर्मित करते हैं क्योंकि तीन इलेक्ट्रॉनों के निष्कासन से La3+ आयन में उत्कृष्ट गैस का विन्यास बन जाता है। Gd3+ तथा Lu3+ आयनों में क्रमशः स्थायी विन्यास 4f7 तथा 4f14 से इलेक्ट्रॉनों का निष्कासन नहीं होता क्योंकि M3+ आयनों की अपेक्षा M2+ अथवा M+ आयनों की जालक अथवा जलयोजन ऊर्जाएँ लघु M3+ आयनों के लवणों की योगात्मक जालक या जलयोजन ऊर्जाओं की अपेक्षा कम होगी।
सबसे अधिक स्थायी द्वि या चतुर्धनात्मक आयन उन तत्वों द्वारा निर्मित होते हैं जो ऐसा करके f9, f7 तथा f14 विन्यास प्राप्त कर सकते हों। इस प्रकार सीरियम +4 ऑक्सीकरण अवस्था में आकर f0 विन्यास प्राप्त कर लेता है। यूरोपियम तथा इटर्बियम +2 ऑक्सीकरण अवस्था में क्रमशः f7 तथा f14 विन्यास प्राप्त कर लेते हैं। ये तथ्य इस धारणा का समर्थन करते प्रतीत होते हैं कि लैन्थेनाइडों के लिए +3 के अतिरिक्त दूसरी ऑक्सीकरण अवस्थाओं का अस्तित्व निर्धारित करने में f0, f7 तथा f14 विन्यासों का विशेष स्थायित्व महत्त्वपूर्ण है, परन्तु यह तर्क कम निर्णयात्मक हो जाता है जब हम देखते हैं कि सैमेरियम और थूलियम f6 तथा f13 विन्यास रखते हुए M2+ आयन बनाते हैं, M+ आयन नहीं।
साथ ही प्रेजियोडिमियम एवं नियोडिमियम f1 तथा f2 विन्यासों के साथ M4+ आयन बनाते हैं, परन्तु कोई पंच या षट-संयोजक प्रकार के आयन नहीं बनाते। इसमें सन्देह नहीं है कि Sm (II) और विशेषकर Tm (II), Pr (IV) तथा Nd (IV) अवस्थाएँ बहुत अस्थायी हैं, परन्तु यह विचार भी संदिग्ध है कि f0, f7 या f14 विन्यास के केवल समीप पहुँच जाना भी स्थायित्व के लिए सहायक होता है चाहे ऐसा कोई विन्यास वस्तुतः प्राप्त नहीं भी हो। Nd2+ (f4)का अस्तित्व यह विश्वास करने के लिए विशेष निर्णयात्मक प्रमाण है कि यद्यपि f0, f7, f14 विन्यास का स्थायित्व ऑक्सीकरण अवस्थाओं का स्थायित्व निर्धारण करने में एक घटक हो सकता है, यद्यपि अन्य ऊष्मागतिकीय तथा गतिकीय घटक विशेष भी हैं जिनका समान या अधिक महत्त्व है।