Question -
Answer -
DNA अणु में दो कुण्डलिनियों (strands) में चार पुरक क्षारक परस्पर युग्म बनाए रखते हैं जैसे साइटोसीन (C) सदैव ग्वानीन (G) के साथ युग्म बनाता है, जबकि थायमीन (T) सदैव ऐडेनीन के साथ युग्म बनाता है। इसलिए जब एक DNA अणु जल-अपघटित होता है, तब साइटोसीन की मोलर मात्राएँ सदैव ग्वानीन के तुल्य तथा इसी प्रकार ऐडेनीन की सदैव थायमीन के तुल्य होती हैं। RNA में भी चार क्षारक होते हैं जिनमें प्रथम तीन DNA के समान, परन्तु चौथा क्षारक यूरेसिल (U) होता है। चूंकि RNA में प्राप्त चारों क्षारकों (C,G, A तथा U) की मात्राओं के मध्य कोई सम्बन्ध नहीं होता है, इसलिए क्षारक-युग्मन सिद्धान्त (अर्थात् A के साथ U तथा C के साथ G का युग्म) का पालन नहीं होता है, इससे यह संकेत मिलता है कि DNA के विपरीत RNA में एक कुण्डलिनी होती है।