The Total solution for NCERT class 6-12
जलीय विलयन में KOH लगभग पूर्ण आयनित होकर OH– आयन देता है जो प्रबल नाभिकरागी होने के कारण ऐल्किल हैलाइडों पर प्रतिस्थापन अभिक्रिया करके ऐल्कोहॉल बनाते हैं। जलीय विलयन में OH– आयन उच्च जलयोजित होते हैं। इससे OH– आयनों का क्षारीय गुण घट जाता है जिससे ये ऐल्किल हैलाइड के β- कार्बन से हाइड्रोजन परमाणु पृथक्कृत करने में असफल हो जाते हैं तथा ऐल्कीन नहीं बना पाते।दूसरी ओर KOH के ऐल्कोहॉली विलयन में ऐल्कॉक्साइड (RO–) आयन होते हैं जो OH– से प्रबल क्षार होने के कारण सरलतापूर्वक ऐल्किल क्लोराइड से HCl अणु का विलोपन करके ऐल्कीन बना लेते हैं।