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Question -

आप निम्नलिखित को किस प्रकार से स्पष्ट करेंगे

  1. d4 स्पीशीज में से Cr2+ प्रबल अपचायक है, जबकि मैंगनीज (III) प्रबल ऑक्सीकारक है।
  2. जलीय विलयन में कोबाल्ट (II) स्थायी है, परन्तु संकुलनकारी अभिकर्मकों की उपस्थिति में यह सरलतापूर्वक ऑक्सीकृत हो जाता है।
  3. आयनों का d1 विन्यास अत्यन्त अस्थायी है।



Answer -

  1. Cr2+ प्रबल ऑक्सीकारक होता है क्योंकि इसमें 3d4 से 3d3 का परिवर्तन निहित है। 3d3 विन्यास (t32g) अधिक स्थायी है। Mn3+ के ऑक्सीकारक गुणों में 3d4 से 3d5 का परिवर्तन होता है। तथा 3d5 अधिक स्थायी विन्यास है। यही कारण है कि Mn3+ प्रबल ऑक्सीकारक है।
  2. जटिलीकरण (complexing) अभिकर्मकों की उपस्थिति में क्रिस्टल फील्ड स्थिरीकरण ऊर्जा (CFSE) कोबाल्ट की तृतीय आयनन एन्थैल्पी से अधिक होती है। इस प्रकार Co (II) सरलता से Co (III) में ऑक्सीकृत हो जाता है।
  3. वे आयन जिनमें d1 विन्यास होता है, वे d-उपकक्ष में उपस्थित इलेक्ट्रॉन को त्यागने की प्रवृत्ति रखते हैं तथा अधिक स्थायी d0 विन्यास प्राप्त कर लेते हैं। यह सरलता से सम्पन्न हो सकता है। क्योंकि जलयोजन या जालक ऊर्जा का मान d-उपकक्ष से इलेक्ट्रॉन के पृथक्कीकरण में निहित आयनन एन्थैल्पी से अधिक होता है।

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