Chapter 8 d एवं f ब्लॉक के तत्त्व (The d and f Block Elements) Solutions
Question - 41 : - ऐक्टिनाइड तत्वों का रसायन उतना नियमित नहीं है जितना कि लैन्थेनाइड तत्वों का रसायन। इन तत्वों की ऑक्सीकरण अवस्थाओं के आधार पर इस कथन का आधार प्रस्तुत कीजिए।
Answer - 41 : -
लैन्थेनाइडों की ऑक्सीकरण अवस्थाएँ +2, +3 तथा +4 हैं। इनमें से +3 अवस्था सर्वाधिक सामान्य है। ऑक्सीकरण अवस्थाओं की सीमित संख्या का कारण 4f, 5d तथा 6s उपकक्षाओं के बीच अधिक ऊर्जा अन्तर होना है। इसके विपरीत, ऐक्टिनाइड अनेक ऑक्सीकरण अवस्थाएँ जैसे +2, +3, +4, +5, +6 तथा +7 प्रदर्शित करते हैं, यद्यपि इनकी सामान्य अवस्था +3 होती है। इसका कारण यह है कि 5f, 6d तथा 7s उपकक्षाओं के बीच ऊर्जा का अन्तर कम होता है।
Question - 42 : - ऐक्टिनाइड श्रेणी का अन्तिम तत्व कौन-सा है? इस तत्व का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास लिखिए। इस तत्व की सम्भावित ऑक्सीकरण अवस्थाओं पर टिप्पणी कीजिए।
Answer - 42 : -
ऐक्टिनाइड श्रेणी का अन्तिम तत्त्व लॉरेन्शियम (Lr) है तथा इसका परमाणु क्रमांक 103 होता है। इसका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास [Rn]5f14 6d1 7s2 है तथा सम्भावित ऑक्सीकरण अवस्था +3 है।
Question - 43 : - हुण्ड-नियम के आधार पर Ce3+ आयन के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास को व्युत्पन्न कीजिए तथा ‘प्रचक्रण मात्र सूत्र के आधार पर इसके चुम्बकीय आघूर्ण की गणना कीजिए।
Answer - 43 : - Ce तथा Ce3+ आयन का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास निम्न है –
Ce (Z = 58) : 1s2 2s2 2p6 3s2 3p6 3d10 4s2 4p6
4d10 4f1 5s2 5p6 5d1 6s2 या : [Xe] 4f1 5d1 6s2
Ce3+ (z = 55) : [Xe]4f1
इस प्रकार Ce+ में केवल एक अयुग्मित इलेक्ट्रॉन होता है, अर्थात् n = 1
∴ μs =BM
=
= 1.732 BM
Question - 44 : - लैन्थेनाइड श्रेणी के उन सभी तत्वों का उल्लेख कीजिए जो +4 तथा जो +2 ऑक्सीकरण अवस्थाएँ दर्शाते हैं। इस प्रकार के व्यवहार तथा उनके इलेक्ट्रॉनिक विन्यास के बीच सम्बन्ध स्थापित कीजिए।
Answer - 44 : -
+4 ऑक्सीकरण अवस्था : Ce, Pr, Nd, Tb तथा Dy
+2 ऑक्सीकरण अवस्था : Ce, Nd, Sm, Tm तथा Yb
ये तत्त्व +2 ऑक्सीकरण अवस्था उस समय प्रदर्शित करते हैं जब इनका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 5d0 6s2 होता है। इसके विपरीत, +4 अवस्था उस समय प्रदर्शित की जाती है जब इनका शेष विन्यास 4f0 के समीप (जैसे 4f1, 4f2,4f3) या 4f7 की समीप (जैसे 4f8, 4f9)होता है।
Question - 45 : - निम्नलिखित के सन्दर्भ में ऐक्टिनाइड श्रेणी के तत्वों तथा लैन्थेनाइड श्रेणी के तत्वों के रसायन की तुलना कीजिए –
- इलेक्ट्रॉनिक विन्यास
- ऑक्सीकरण अवस्थाएँ।
- रासायनिक अभिक्रियाशीलता।
Answer - 45 : -
1. इलेक्ट्रॉनिक विन्यास (Electronicconfiguration) – लैन्थेनाइडों का सामान्य इलेक्ट्रॉनिक विन्यास [Xe]54 4f1-14 5d0-1 6s2 होता है, जबकि ऐक्टिनाइडों का सामान्य इलेक्ट्रॉनिक विन्यास [Rn]86 5f1-14 6d1-2 7s2 होता है। अतः लैन्थेनाइड 4f श्रेणी से तथा ऐक्टिनाइड 5f श्रेणी से सम्बद्ध होते हैं।
2. ऑक्सीकरण अवस्था (Oxidation states) – लैन्थेनाइड सीमित ऑक्सीकरण अवस्थाएँ (+2, + 3, +4) प्रदर्शित करते हैं जिनमें +3 ऑक्सीकरण अवस्था सबसे अधिक सामान्य है। इसका कारण 4f, 5d तथा 6s उपकोशों के बीच अधिक ऊर्जा-अन्तर होना है। दूसरी ओर ऐक्टिंनाइड अधिक संख्या में ऑक्सीकरण अवस्थाएँ प्रदर्शित करते हैं क्योंकि 5f,6d तथा 7s उपकोशों में ऊर्जा-अन्तर कम होता है।
3. रासायनिक अभिक्रियाशीलता (Chemical reactivity) – लैन्थेनाइड (Lanthanides) सामान्य रूप से श्रेणी के आरम्भ वाले सदस्य अपने रासायनिक व्यवहार में कैल्सियम की तरह बहुत क्रियाशील होते हैं, परन्तु बढ़ते परमाणु क्रमांक के साथ ये ऐलुमिनियम की तरह व्यवहार करते हैं।
अर्द्ध- अभिक्रिया Ln3+ (aq)+ 3e– → Ln(s) के लिए E– का मान -2.2 V से -2.4 V के परास में है। Eu के लिए E– का मान -2.0 V है। निस्सन्देह मान में थोड़ा-सा परिवर्तन है। हाइड्रोजन गैस के वातावरण में मन्द गति से गर्म करने पर ये धातुएँ हाइड्रोजन से संयोग कर लेती हैं। इन धातुओं को कार्बन के साथ गर्म करने पर कार्बाइड- Ln3C, Ln2C3 तथा LnC2 बनते हैं। ये तनु अम्लों से हाइड्रोजन गैस मुक्त करती हैं तथा हैलोजेन के वातावरण में जलने पर हैलाइड बनाती हैं। ये ऑक्साइड M2O3 तथा हाइड्रॉक्साइड M(OH)3 बनाती हैं। हाइड्रॉक्साइड निश्चित यौगिक हैं न कि केवल हाइड्रेटेड (जलयोजित) ऑक्साइड। ये क्षारीय मृदा धातुओं के ऑक्साइड तथा हाइड्रॉक्साइड की भाँति क्षारकीय होते हैं। इनकी सामान्य अभिक्रियाएँ चित्र-3 में प्रदर्शित की गई हैं।
ऐक्टिनाइड (Actinides) – ऐक्टिनाइड अत्यधिक अभिक्रियाशील धातुएँ हैं, विशेषकर जब वे सूक्ष्मविभाजित हों। इन पर उबलते हुए जल की क्रिया से ऑक्साइड तथा हाइड्राइड का मिश्रण प्राप्त होता है और अधिकांश अधातुओं से संयोजन सामान्य ताप पर होता है। हाइड्रोक्लोरिक अम्ल सभी धातुओं को प्रभावित करता है, परन्तु अधिकतर धातुएँ नाइट्रिक अम्ल द्वारा अल्प प्रभावित होती हैं, इसका कारण यह है कि इन धातुओं पर ऑक्साइड की संरक्षी सतह बन जाती है। क्षारों का इन धातुओं पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
Question - 46 : - 61, 91, 101 तथा 109 परमाणु क्रमांक वाले तत्वों का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास लिखिए।
Answer - 46 : -
Z = 61 (प्रोमिथियम, Pr) का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास,
[Xe]54 4f5 5d0 6s2
Z = 91 (प्रोटेक्टिनियम, Pa) का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास,
[Rn]86 5f2 6d1 7s2
Z = 101 (मेण्डेलीवियम, Md) का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास
[Rn]86 5f13 6d0 7s2
Z = 109 (मेटनेरियम, Mt) का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास
[Rn]86 5f14 6d7 7s2
Question - 47 : - प्रथम श्रेणी के संक्रमण तत्वों के अभिलक्षणों की द्वितीय एवं तृतीय श्रेणी के वर्गों के संगत तत्वों से क्षैतिज वर्गों में तुलना कीजिए। निम्नलिखित बिन्दुओं पर विशेष महत्त्व दीजिए –
1. इलेक्ट्रॉनिक विन्यास
2. ऑक्सीकरण अवस्थाएँ
3. आयनन एन्थैल्पी तथा
4. परमाण्वीय आकार।
Answer - 47 : -
1. इलेक्ट्रॉनिक विन्यास (Electronicconfiguration) – एक ही वर्ग के तत्वों के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास सामान्यतया समान होते हैं। यद्यपि प्रथम संक्रमण श्रेणी दो अपवाद प्रदर्शित करती है –
Cr = 3d5 4s1 तथा Cu = 3d10 4s1,परन्तु द्वितीय श्रेणी इससे अधिक अपवाद प्रदर्शित करती है –
Mo (42) = 4d5 5s1, Tc (43) = 4d6 5s1,Ru (44) = 4d7 5s1, Rh (45) = 4d8 5s1,Pd (46) = 4d210 5s0, Ag (47) = 4d10 5s1। इसी प्रकार, तृतीय श्रेणी में W (74) = 5d4 6s1,Pt (78) = 5d9 6s1 तथा Au (79) = 5d10 6s1 अपवाद हैं। इसलिए क्षैतिज वर्ग में अनेक स्थितियों में, तीनों श्रेणियों के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास समान नहीं हैं।
2. ऑक्सीकरण अवस्थाएँ (Oxidation states) – समान क्षैतिज वर्ग में तत्व सामान्यतया समान ऑक्सीकरण अवस्थाएँ प्रदर्शित करते हैं। प्रत्येक श्रेणी के मध्य में तत्वों द्वारा प्रदर्शित ऑक्सीकरण अवस्थाओं की संख्या अधिकतम होती है, जबकि अन्त में न्यूनतम होती है।
3. आयनन एन्थैल्पी (Ionization enthalpy) – प्रत्येक श्रेणी में बाएँ से दाएँ जाने पर प्रथम आयनन एन्थैल्पी सामान्यतया धीरे-धीरे बढ़ती है, यद्यपि प्रत्येक श्रेणी में कुछ अपवाद भी प्रेक्षित होते हैं। समान क्षैतिज वर्ग में 3d श्रेणी के तत्वों की तुलना में 4d श्रेणी के कुछ तत्वों की प्रथम आयनन एन्थैल्पी उच्च तथा कुछ तत्वों की कम होती है, यद्यपि 5d श्रेणी की प्रथम आयनन एन्थैल्पी 3d तथा 4d श्रेणियों की तुलना में उच्च होती है। इसका कारण 5d श्रेणी में 4f इलेक्ट्रॉनों पर नाभिक का दुर्बल परिरक्षण प्रभाव है।
4. परमाण्वीय आकार (Atomic sizes) – सामान्यतया किसी श्रेणी में समान आवेश के आयन अथवा परमाणु, परमाणु क्रमांक बढ़ने के साथ त्रिज्याओं में क्रमिक कमी प्रदर्शित करते हैं, यद्यपि यह कमी अत्यन्त कम होती है। परन्तु 4d श्रेणी के परमाणुओं के आकार, 3d श्रेणी के सम्बन्धित तत्वों की तुलना में अधिक होते हैं, जबकि 5d श्रेणी के सम्बन्धित तत्वों के आकार के लगभग समान होते हैं। इसका कारण लैन्थेनाइड आकुंचन है।
Question - 48 : - निम्नलिखित आयनों में प्रत्येक के लिए 3d इलेक्ट्रॉनों की संख्या लिखिए –
Ti2+, V2+, Cr3+, Mn2+, Fe2+,Fe3+, Co2+, Ni2+, Cu2+
आप इन जलयोजित आयनों (अष्टफलकीय) में पाँच 3d कक्षकों को किस प्रकार अधिग्रहीत करेंगे? दर्शाइए।
Answer - 48 : -
Question - 49 : - प्रथम संक्रमण श्रेणी के तत्व भारी संक्रमण तत्वों के अनेक गुणों से भिन्नता प्रदर्शित करते हैं। टिप्पणी कीजिए।
Answer - 49 : -
दिया गया कथन सत्य है। इस कथन के पक्ष में कुछ प्रमाण निम्नलिखित हैं –
- भारी संक्रमण तत्वों (4d तथा 5d श्रेणियाँ) की परमाणु त्रिज्याएँ प्रथम संक्रमण श्रेणी के सम्बन्धित तत्वों की तुलना में अधिक होती हैं, यद्यपि 4d तथा 5d श्रेणियों की परमाणु त्रिज्याएँ लगभग समान होती हैं।
- 5d श्रेणी की आयनन एन्थैल्पियाँ 3d तथा 4d श्रेणियों के सम्बन्धित तत्वों से उच्च होती हैं।
- 4d तथा 5d श्रेणियों की कणन एन्थैल्पियाँ प्रथम श्रेणी के सम्बन्धित तत्वों की तुलना में उच्च होती हैं।
- भारी संक्रमण तत्वों के गलनांक तथा क्वथनांक प्रथम संक्रमण श्रेणी की तुलना में अधिक होते हैं। इसका कारण इनमें प्रबल अन्तराधात्विक बन्धों की उपस्थिति है।
Question - 50 : - निम्नलिखित संकुल स्पीशीज के चुम्बकीय आघूर्णो के मान से आप क्या निष्कर्ष निकालेंगे?
Answer - 50 : - यदि किसी जटिल यौगिक में ‘n’ अयुग्मित इलेक्ट्रॉन होते हैं, तो इसका चक्रण के कारण चुम्बकीय आघूर्ण निम्न प्रकार प्राप्त किया जा सकता है –
μs = BM
∴ जब n = 1, μs = = 1.73 BM
n = 2, μs = = 2.83 BM
n = 3, μs = = 3.87 BM
n = 4, μs = = 4.9 BM
n = 5, μs = = 5.92 BM
(i) K4[Mn(CN)6]का चुम्बकीय आघूर्ण 2.2 BM है। इससे स्पष्ट है कि इसमें केवल एक अयुग्मित इलेक्ट्रॉन है। इस जटिल यौगिक में Mn की ऑक्सीकरण अवस्था +2 है। अतएव यह Mn2+ के रूप में है। Mn2+ का अभिविन्यास 3d होता है। एक अयुग्मित इलेक्ट्रॉन की उपस्थिति स्पष्ट करती है कि CN– लीगैण्ड ने निम्नानुसार इलेक्ट्रॉनों को हुण्ड के नियम के विपरीत युग्मित कर दिया है –
इस प्रकार यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि CN– एक प्रबल लीगैण्ड है तथा जटिल यौगिक के बनने में d2 sp3 संकरण होता है। अत: जटिल यौगिक एक आन्तरिक ऑर्बिटल अष्टफलकीय जटिल यौगिक है।
(ii) [Fe(H2O)6]2+ का चुम्बकीय आघूर्ण 5.3 है। इससे स्पष्ट है कि इसमें 4 अयुग्मित इलेक्ट्रॉन हैं। इसमें Fe की ऑक्सीकरण अवस्था +2 है। इस प्रकार यह Fe2+ आयन के रूप में है, जिसको अभिविन्यास 3d6 है। यौगिक में 4 अयुग्मित इलेक्ट्रॉन की उपस्थिति सिद्ध करती है कि H2O लीगैण्ड दुर्बल है तथा इलेक्ट्रॉनों को युग्मित करने में असमर्थ है।
इस प्रकार, यह निष्कर्ष निकलता है कि H2O एक दुर्बल लीगण्ड है तथा इसमें sp3 d2 संकरण होता है। यह एक बाह्य ऑर्बिटल अष्टफलकीय जटिल यौगिक है।
(iii) K2[MnCl4]का चुम्बकीय आघूर्ण 5.9 है, जिससे स्पष्ट है कि इसमें 5 अयुग्मित इलेक्ट्रॉन हैं। Mn की ऑक्सीकरण अवस्था +2 है। अत: यह Mn2+ अवस्था में है तथा इसका विन्यास 3d5 है। 5 अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों की उपस्थिति से स्पष्ट है कि Cl– दुर्बल लीगैण्ड है तथा इलेक्ट्रॉन का युग्मन करने में असमर्थ है।
इस प्रकार यह निष्कर्ष निकलता है कि Cl– एक दुर्बल लीगैण्ड है तथा जटिल यौगिक में sp3 संकरण है। अतएव यह एक समचतुष्फलकीय जटिल यौगिक है।