Chapter 7 p ब्लॉक के तत्त्व (The p Block Elements) Solutions
Question - 51 : - O, Se, Te तथा Poको इलेक्ट्रॉनिक विन्यास, ऑक्सीकरण अवस्था तथा हाइड्राइड निर्माण के सन्दर्भ में आवर्त सारणी के एक ही वर्ग में रखने का तर्क दीजिए।
Answer - 51 : - (i) इलेक्ट्रॉनिक विन्यास (Electronic configuration)-इन सभी तत्वों का संयोजी कोश इलेक्ट्रॉनिक विन्यास समान, ns2 np2 (n= 2 से 6 तक) होता है। इससे इन तत्वों को आवर्त सारणी के वर्ग 16 में रखा जाना चरितार्थ होता है।
(ii) ऑक्सीकरण अवस्था (Oxidation state) – इन्हें समीपवर्ती अक्रिय गैस विन्यास प्राप्त करने के लिए अर्थात् द्विऋणात्मक आयन बनाने के लिए दो अतिरिक्त इलेक्ट्रॉनों की आवश्यकता पड़ती है, इसलिए इन तत्वों की न्यूनतम ऑक्सीकरण अवस्था -2 होनी चाहिए। ऑक्सीजन विशिष्ट रूप से तथा सल्फर कुछ मात्रा में विद्युत ऋणात्मक होने के कारण -2 ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करते हैं। इस वर्ग के अन्य तत्व, 0 तथा S से अधिक विद्युत ऋणात्मक होने के कारण ऋणात्मक ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित नहीं करते हैं। चूंकि इन तत्वों के संयोजी कोश में 6 इलेक्ट्रॉन होते हैं, इसलिए ये तत्व अधिकतम +6 ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित कर सकते हैं। इन तत्वों द्वारा प्रदर्शित अन्य धनात्मक ऑक्सीकरण अवस्थाएँ +2 तथा +4 हैं। यद्यपि ऑक्सीजन 4-कक्षकों की अनुपस्थिति के कारण +4 तथा +6 ऑक्सीकरण अवस्थाएँ प्रदर्शित नहीं करता, अतः न्यूनतम तथा अधिकतम ऑक्सीकरण अवस्थाओं के आधार पर इन तत्वों को समान वर्ग अर्थात् वर्ग 16 में रखा जाना पूर्णतया न्यायोचित है।
(iii) हाइड्राइडों का निर्माण (Formation ofhydrides) – सभी तत्व अपने संयोजी इलेक्ट्रॉनों में से दो इलेक्ट्रॉनों की हाइड्रोजन के 1s-कक्षक के साथ सहभागिता करके अपने-अपने अष्टक पूर्ण कर लेते हैं। तथा सामान्य सूत्र EH, के हाइड्राइड बनाते हैं; जैसे- H2O, H2S,H2Se. H2Te तथा H2Po, इसलिए सामान्य सूत्र EH2 वाले हाइड्राइड बनाने के आधार पर इन तत्वों को समान वर्ग अर्थात् वर्ग 16 में रखा जाना पूर्णतया न्यायोचित है।
Question - 52 : - क्यों डाइऑक्सीजन एक गैस है, जबकि सल्फर एक ठोस है?
Answer - 52 : - ऑक्सीजन pπ– pπ बहुल बन्ध बनाता है। छोटे आकार तथा उच्च विद्युत ऋणात्मकता के कारण ऑक्सीजन द्विपरमाणुक अणु (O2) के रूप में पाया जाता है। ये अणु परस्पर दुर्बल वाण्डर वाल्स आकर्षण बलों द्वारा जुड़े रहते हैं जो कमरे के ताप पर अणुओं के संघट्टों द्वारा सरलता से हट जाते हैं। अत: O2 कमरे के ताप पर एक गैस होती है।
सल्फर अपने विशाल आकार तथा कम विद्युत ऋणात्मकता के कारण pπ – pπ बहुल बन्ध नहीं बनाता है, अपितु यह S – S एकल बन्ध बनाते हैं। पुनः O – O एकल बन्धों से अधिक प्रबल S – S बन्धों के कारण सल्फर में श्रृंखलन का गुण ऑक्सीजन से अधिक होता है। अत: सल्फर श्रृंखलन की उच्च प्रवृत्ति तथा pπ – pπ बहुल बन्ध बनाने की अल्प प्रवृत्ति के कारण अष्टपरमाणुक अणु (S8) बनाता है जिसकी संकुचित वलय संरचना (puckered ringstructure) होती है। विशाल आकार के कारण S8 अणुओं को परस्पर बाँधे रखने वाले आकर्षण बल पर्याप्त प्रबल होते हैं जिन्हें कमरे के ताप पर अणुओं के संघट्टों द्वारा नहीं हटाया जा सकता है। अत: सल्फर कमरे के ताप पर एक ठोस होता है।
Question - 53 : - यदि O→ O– तथा O→ O2- के इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी मान पता हों, जो क्रमशः 141 तथा 702 kJ mol-1 हैं तो आप कैसे स्पष्ट कर सकते हैं कि O2- स्पीशीज वाले ऑक्साइड अधिक बनते हैं न कि O– वाले?
(संकेत-यौगिकों के बनने में जालक ऊर्जा कारक को ध्यान में रखिए।)
Answer - 53 : -
O2- मूलक युक्त ऑक्साइडों (अर्थात् MO प्रकार के ऑक्साइड) की जालक ऊर्जा (lattice energy) का मान O2- मूलक युक्त ऑक्साइडों (अर्थात् M2O प्रकार के ऑक्साइड) की जालक ऊर्जाओं से काफी अधिक होता है क्योंकि O2- तथा M2+ पर आवेश की मात्रा अधिक होती है। इसलिए O → O2- की इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी का मान O → O– के सम्बन्धित मान की तुलना में काफी अधिक होने के बाद भी MO का निर्माण M2O के निर्माण की तुलना में ऊर्जा की दृष्टि से अधिक सम्भाव्य है। यही कारण है कि MO प्रकार के ऑक्साइडों की संख्या M2O प्रकार के ऑक्साइडों की तुलना में काफी अधिक है।
Question - 54 : - कौन-से ऐरोसॉल्स ओजोन को कम करते हैं?
Answer - 54 : - क्लोरोफ्लोरोकार्बन (CFC) ऐरोसॉल जैसे-फ्रियोन (CCl2F2)वायुमण्डल के स्ट्रेटोस्फियर : (stratosphere) में उपस्थित ओजोन पर्त को विच्छेदित करते हैं। निहित अभिक्रियाएँ निम्न हैं –
Question - 55 : - संस्पर्श प्रक्रम द्वारा H2SO4 के उत्पादन का वर्णन कीजिए।
Answer - 55 : - संस्पर्श विधि द्वारा H2SO4 का उत्पादन
(Production of H2SO4 by Contact Process)
सल्फ्यूरिक अम्ल का उत्पादन संस्पर्श प्रक्रम द्वारा तीन चरणों में सम्पन्न होता है।
- सल्फर अथवा सल्फाइड अयस्कों को वायु में जलाकर सल्फर डाइऑक्साइड का उत्पादन करना।
- उत्प्रेरक (V2O5) की उपस्थिति में ऑक्सीजन के साथ अभिक्रिया कराकर SO2 का SO3 में परिवर्तन करना।
- SO3 को सल्फ्यूरिक अम्ल में अवशोषित करके ओलियम (H2S2O7) प्राप्त करना।
सल्फ्यूरिक अम्ल के उत्पादन का प्रवाह चित्र, चित्र-7 में दिया गया है।
प्राप्त सल्फर डाइऑक्साइड को धूल के कणों एवं आर्सेनिक यौगिकों जैसी अन्य अशुद्धियों से मुक्त कर शुद्ध कर लिया जाता है।
सल्फ्यूरिक अम्ल के उत्पादन में ऑक्सीजन द्वारा SO2 गैस का V2O5 उत्प्रेरक की उपस्थिति में SO3 प्राप्त करने के लिए उत्प्रेरकी ऑक्सीकरण मूल पद है।
यह अभिक्रिया ऊष्माक्षेपी तथा उत्क्रमणीय है एवं अग्र अभिक्रिया में आयतन में कमी आती है। अतः कम ताप और उच्च दाब उच्च लब्धि (yield) के लिए उपयुक्त स्थितियाँ हैं, परन्तु तापक्रम बहुत कम नहीं होना चाहिए अन्यथा अभिक्रिया की गति धीमी हो जाएगी। सल्फ्यूरिक अम्ल के उत्पादन में प्रयुक्त संयन्त्र का संचालन 2 bar दाब तथा 720 K ताप पर किया जाता है। उत्प्रेरकी परिवर्तक से प्राप्त SO3 गैस, सान्द्र सल्फ्यूरिक अम्ल,में अवशोषित होकर ओलियम (H2S2O7) बना देती है। जल द्वारा ओलियम का तनुकरण करके वांछित सान्द्रता वाला सल्फ्यूरिक अम्ल प्राप्त कर लिया जाता है। प्रक्रम के सतत संचालन तथा लागत में भी कमी लाने के लिए उद्योग में उपर्युक्त दोनों प्रक्रियाएँ साथ-साथ सम्पन्न की जाती हैं।
- SO3 + H2SO4 → H2S2O7
- H2S2O7 + H2O → 2 H2SO4
संस्पर्श विधि द्वारा सल्फ्यूरिक अम्ल की शुद्धता सामान्यतः 96 – 98% होती है।
Question - 56 : - SO2 किस प्रकार से एक वायु प्रदूषक है?
Answer - 56 : -
SO2 एक अत्यन्त हानिकारक गैस है। वायुमण्डल में इसकी उपस्थिति से श्वसन रोग, हृदय रोग, गले तथा आँखों में अनेक परेशानियाँ उत्पन्न होती हैं। यह अम्ल वर्षा (acid rain) का मुख्य कारण है। अम्ल वर्षा जन्तुओं, वनस्पतियों एवं भवनों के लिए अत्यन्त घातक है। अम्ल वर्षा से सम्बन्धित प्रकाश-रासायनिक अभिक्रियाएँ निम्न हैं –
- SO2 + hv → SO2
- SO2 + O2 → SO3 + O
- SO2 + SO2 → SO3 + SO
- SO + SO2 → SO3 + S
- SO + H2O → H2SO4
इस प्रकार, SO2 एक घातक वायु प्रदूषक है।
Question - 57 : - हैलोजेन प्रबल ऑक्सीकारक क्यों होते हैं?
Answer - 57 : - हैलोजेनों में अल्प आबन्ध वियोजन एन्थैल्पी, उच्च विद्युत ऋणात्मकता तथा अधिक ऋणात्मक इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी के कारण इलेक्ट्रॉन ग्रहण करके अपचयित होने की प्रबल प्रवृत्ति होती है।
X + e– → X–
अत: हैलोजेन प्रबल ऑक्सीकरण कर्मक या ऑक्सीकारक होते हैं। यद्यपि इनकी ऑक्सीकारक क्षमता F2 से I2 तक घटती है जैसा कि इनके इलेक्ट्रोड विभवों से सत्यापित होता है –
इसलिए F2 प्रबलतम तथा I2 दुर्बलतम ऑक्सीकारक होता है।
Question - 58 : - स्पष्ट कीजिए कि फ्लुओरीन केवल एक ही ऑक्सो-अम्ल, HOF क्यों बनाता है?
Answer - 58 : -
फ्लोरीन सर्वाधिक विद्युत ऋणात्मक तत्त्व है और केवल -1 ऑक्सीकरण अवस्था ही प्राप्त कर सकती है। इसका परमाणु आकार भी काफी कम होता है। इस कारण यह उच्च ऑक्सी अम्लों जैसे- HOXO, HOXO2 तथा HOXO3 आदि में केन्द्रीय परमाणु के रूप में स्थित नहीं हो पाती है और केवल एक ही ऑक्सी अम्ल HOF का निर्माण करती है। इस अम्ल में इसकी ऑक्सीकरण अवस्था-1 है।
Question - 59 : - व्याख्या कीजिए कि क्यों लगभग एकसमान विद्युत ऋणात्मकता होने के पश्चात् भी नाइट्रोजन हाइड्रोजन आबन्ध निर्मित करता है, जबकि क्लोरीन नहीं।
Answer - 59 : -
यद्यपि O तथा Cl दोनों की विद्युत ऋणात्मकताओं के मान लगभग समान हैं, तथापि उनके परमाणु आकार काफी भिन्न होते हैं (O = 66 pm, Cl = 99 pm)। इस कारण Cl परमाणु की तुलना में O परमाणु पर इलेक्ट्रॉन घनत्व का मान काफी अधिक होता है। इस कारण ही ऑक्सीजन तो हाइड्रोजन बन्ध बनाने में सक्षम है, लेकिन Cl नहीं।
Question - 60 : - ClO2 के दो उपयोग लिखिए।
Answer - 60 : -
1. ClO2 एक शक्तिशाली ऑक्सीकारक तथा क्लोरीनीकारक है। अत: इसका उपयोग जल के शुद्धीकरण में किया जाता है।
2. यह एक उत्कृष्ट विरंजक (bleaching agent) है और इसका उपयोग कागज की लुगदी तथा वस्त्रों के विरंजन में किया जाता है।