Chapter 7 p ब्लॉक के तत्त्व (The p Block Elements) Solutions
Question - 21 : - दोS-O आबन्धों की प्रकृति पर टिप्पणी कीजिए जो SO2 अणु बनाते हैं। क्या SO2 अणु के ये दोनों S-O आबन्ध समतुल्य हैं?
Answer - 21 : -
SO2 में बनने वाले दोनों S-O आबन्ध सहसंयोजक (covalent) हैं तथा अनुनादी संरचनाओं के कारण समान रूप से प्रबल होते हैं।
Question - 22 : - SO2 की उपस्थिति का पता कैसे लगाया जाता है?
Answer - 22 : -
SO2 एक तीक्ष्ण गन्ध वाली गैस है। इसकी उपस्थिति को निम्नलिखित दो परीक्षणों से ज्ञात किया जा सकता है –
(i) SO2 गुलाबी-बैंगनी रंग के अम्लीय पोटैशियम परमैंगनेट (VII) विलयन को MnO–4 के Mn2+ आयन में अपचयन के कारण रंगहीन कर देती है।
(ii) SO2 अम्लीकृत K2Cr2O7 को Cr2O2-7 के Cr3+ आयनों में अपचयन के कारण हरा कर देती है।
Question - 23 : - उन तीन क्षेत्रों का उल्लेख कीजिए जिनमें H2SO4 महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
Answer - 23 : -
- उर्वरकों; जैसे- अमोनियम सल्फेट, सुपर फॉस्फेट के निर्माण में।
- पेट्रोलियम शोधन में।
- सीसा संचायक बैटरियों में।
Question - 24 : - संस्पर्श प्रक्रम द्वारा H2SO4 की मात्रा में वृद्धि करने के लिए आवश्यक परिस्थितियों को लिखिए।
Answer - 24 : -
H2SO4 के निर्माण में प्रमुख पद SO2 का O2 के साथ उत्प्रेरकीय ऑक्सीकरण है। इसमें V2O5 उत्प्रेरक की उपस्थिति में SO3 प्राप्त होती है।
अभिक्रिया ऊष्माक्षेपी तथा उत्क्रमणीय है। अग्रगामी अभिक्रिया में आयतन का ह्रास होता है। इसलिए कम ताप तथा उच्च दाब उत्पाद की मात्रा में वृद्धि करने के लिए आवश्यक परिस्थितियाँ हैं, परन्तु ताप अत्यधिक कम नहीं होना चाहिए, अन्यथा अभिक्रिया की दर कम हो जाएगी।
Question - 25 : - जल में H2SO4 के लिए Ka2 <a1 क्यों है?
Answer - 25 : -
H2SO4 एक द्विक्षारकीय अम्ल है, यह दो पदों में आयनित होता है, इसलिए इसके दो वियोजन स्थिरांक होते हैं।
- H2SO4 (aq) + H2O (l) → H3O+ (aq) + HSO–4 (aq); Ka1 > 10
- HSO–4 (aq) + H2O (l) → H3O+ (aq) + SO2-4 (aq); Ka2 = 1.2 x 10-2
Ka1 (>10)के अधिक मान से तात्पर्य यह है कि H2SO4,H3O+ तथा HSO–4 में अधिक वियोजित है।
मुख्यत: H3O+ और H2SO–4 में प्रथम आयनन के कारण H2SO4 जल में प्रबल अम्ल है। HSO–4 का H3O+ तथा SO2-4 आयनों में आयनन लगभग नगण्य होता है;
अत: Ka2 << Ka1
Question - 26 : - आबन्ध वियोजन एन्थैल्पी, इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी तथा जलयोजन एन्थैल्पी जैसे प्राचलों को महत्त्व देते हुए F2 तथा Cl2 की ऑक्सीकारक क्षमता की तुलना कीजिए।
Answer - 26 : -
ऑक्सीकारक क्षमता F2 से Cl2 तक घटती है। जलीय विलयन में हैलोजेनों की ऑक्सीकारक क्षमता वर्ग में नीचे की ओर घटती है (F से Cl तक)। फ्लुओरीन का इलेक्ट्रोड विभव (+287 V) क्लोरीन (+136 V) की तुलना में उच्च होता है, इसलिए F2 क्लोरीन की तुलना में प्रबल ऑक्सीकारक है। इलेक्ट्रोड विभव निम्नलिखित प्राचलों पर निर्भर करता है –
अत: Fप्रबल ऑक्सीकारक है।
Question - 27 : - दो उदाहरणों द्वारा फ्लुओरीन के असामान्य व्यवहार को दर्शाइए।
Answer - 27 : -
फ्लुओरीन का असामान्य व्यवहार इसके-
- लघु आकार
- उच्च विद्युत ऋणात्मकता
- कम F-F आबन्ध वियोजन एन्थैल्पी तथा
- इसके संयोजी कोश में d-कक्षकों की अनुपलब्धता के कारण होता है।
उदाहरणार्थ –
- फ्लुओरीन केवल एक ऑक्सोअम्ल बनाती है, जबकि अन्य हैलोजेन अधिक संख्या में ऑक्सो- अम्लों का निर्माण करते हैं।
- हाइड्रोजन फ्लुओराइड प्रबल हाइड्रोजन बन्धों के कारण द्रव होता है, जबकि अन्य हाइड्रोजन हैलाइड गैसीय होते हैं।
Question - 28 : - समुद्र कुछ हैलोजेन का मुख्य स्रोत है। टिप्पणी कीजिए।
Answer - 28 : -
समुद्र जल में मैग्नीशियम, कैल्सियम, सोडियम तथा पोटैशियम के क्लोराइड, ब्रोमाइड तथा आयोडाइड पाए जाते हैं जिनमें सोडियम क्लोराइड (द्रव्यमान अनुसार 2.5%) प्रमुख हैं। समुद्री जमाव में सोडियम क्लोराइड तथा कार्नेलाइट [KCI . MgCl2 . 6H2O] प्रमुख होते हैं। कुछ समुद्री जीवधारियों के तन्त्र में आयोडीन पायी जाती है। कुछ समुद्री खरपतवारों ( लेमिनेरिया प्रजाति) में 0.5% आयोडीन तथा चिली साल्टपीटर में 0.2% सोडियम आयोडेट होता है।
Question - 29 : - Cl2 की विरंजक क्रिया का कारण बताइए।
Answer - 29 : -
Cl2 की विरंजक क्रिया ऑक्सीकरण के कारण होती है। नमी अथवा जलीय विलयन की उपस्थिति में Cl2 नवजात ऑक्सीजन मुक्त करती है।
यह नवजात ऑक्सीजन वनस्पतियों तथा कार्बनिक द्रव्यों में उपस्थित रंगीन पदार्थों का ऑक्सीकरण करके उन्हें रंगहीन पदार्थ में परिवर्तित कर देती है।
रंगीन पदार्थ + [O] → रंगहीन पदार्थ
अत: Cl2 की विरंजक क्रिया ऑक्सीकरण के कारण होती है।
Question - 30 : - उन दो विषैली गैसों के नाम लिखिए जो क्लोरीन गैस से बनाई जाती हैं?
Answer - 30 : -
फॉस्जीन (COCl2) तथा मस्टर्ड गैस (ClCH2CH2SCH2CH2Cl)।