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Chapter 6 तत्त्वों के निष्कर्षण के सिद्धान्त एवं प्रक्रम (General Principles and Processes of Isola Solutions

Question - 21 : - उदाहरण देते हुए भर्जन व निस्तापन में अन्तर बताइए। 

Answer - 21 : -

निस्तापन में सान्द्रित अयस्क को उसके गलनांक से नीचे वायु की सीमित मात्रा में गर्म किया जाता है।

भर्जन में अयस्क को वायु की अधिकता में तीव्रता से गर्म करते हैं। इसके फलस्वरूप P, As, S आदि की अशुद्धियाँ ऑक्सीकृत हो जाती हैं तथा सल्फाइड अयस्क धातु ऑक्साइड में परिवर्तित हो जाता है।

Question - 22 : - ढलवाँ लोही कच्चे लोहे से किस प्रकार भिन्न होता है?

Answer - 22 : - वात्या भट्टी से प्राप्त अशुद्ध आयरन को कच्चा लोहा कहा जाता है। इसमें S, P, Si, Mn आदि की अशुद्धियों के साथ लगभग 4% कार्बन होता है। ढलवां लोहे को बनाने के लिए कच्चे लोहे को गर्म वायु में स्क्रैप आयरन तथा कोक के साथ पिघलाया जाता है। इसमें कार्बन की मात्रा कम (लगभग 3%) पायी जाती है।

Question - 23 : - अयस्कों तथा खनिजों में अन्तर स्पष्ट कीजिए।

Answer - 23 : -

प्राकृतिक रूप से उपस्थित रासायनिक पदार्थ, जिनके रूप में धातुएँ अशुद्धियों के साथ भूपर्पटी में उपस्थित होती हैं, खनिज (minerals) कहलाते हैं। वे खनिज, जिनसे धातुओं का निष्कर्षण सरल तथा आर्थिक रूप से लाभदायक होअयस्क कहलाते हैं। अतः सभी अयस्क खनिज होते हैं, परन्तु सभी खनिज अयस्क नहीं होते हैं। उदाहरणार्थभूपर्पटी में लोहा ऑक्साइडों, कार्बोनेटों तथा सल्फाइडों के रूप में विद्यमान होता है। लोहे के इन खनिजों में से निष्कर्षण के लिए लोहे के ऑक्साइडों को चुना जाता है, इसलिए लोहे के ऑक्साइड, लोहे के अयस्क हैं। इसी प्रकार भूपर्पटी में ऐलुमिनियम दो खनिजों के रूप में पाया जाता हैबॉक्साइट (Al2O3 . xH2O) तथा क्ले (Al2O3 . 2SiO2 .2H2O) इन दोनों खनिजों में से बॉक्साइट से Al का निष्कर्षण सरलतापूर्वक तथा आर्थिक रूप से लाभदायक रूप में किया जा सकता है, इसलिए बॉक्साइट ऐलुमिनियम का अयस्क है।

Question - 24 : - कॉपर मैट को सिलिका की परत चढ़े हुए परिवर्तकों में क्यों रखा जाता है?

Answer - 24 : -

सिलिका युक्त परिवर्तक (बेसेमर परिवर्तक) में मैट में उपस्थित शेष FeS को FeO में ऑक्सीकृत करने के लिए रखा जाता है जो सिलिका के साथ संयोग कर संगलित धातुमल बनाता है।

जब सम्पूर्ण लोहे को धातुमल के रूप में पृथक् कर लिया जाता है, तब कुछ Cu2S ऑक्सीकरण के फलस्वरूप Cu2O बनाता है जो अधिक Cu2S के साथ अभिक्रिया करके कॉपर धातु बनाता है।
2Cu2S + 3O2 → 2Cu2O + 2SO2 ↑
2Cu2O + Cu2S → 6Cu ↓ + SO2 ↑
अत: कॉपर मैट को सिलिका की परत चढ़े हुए परिवर्तक में मैट में उपस्थित FeS को FeSiO3 धातुमल के रूप में हटाने के लिए भी रखा जाता है।

Question - 25 : - ऐलुमिनियम के धातुकर्म में क्रायोलाइट की क्या भूमिका है?

Answer - 25 : - क्रायोलाइट, मिश्रण के संगलन ताप को कम करता है तथा ऐलुमिना की वैद्युत चालकता को बढ़ाता है जो कि वास्तव मंं विद्युत का अच्छा चालक नहीं होता है।

Question - 26 : - निम्न कोटि के कॉपर अयस्कों के लिए निक्षालन क्रिया को कैसे किया जाता है?

Answer - 26 : -

निम्न ग्रेड कॉपर अयस्क का निक्षालन वायु या जीवाणुओं की उपस्थिति में अम्ल के साथ क्रिया कर किया जाता है। इस प्रक्रिया में कॉपर Cu2+ आयनों के रूप में विलयन में चला जाता है।
Cu (s) + 2H+ (aq) + 1/2 O2 (g) → Cu2+ (aq)+ H2O (l)

Question - 27 : - निम्न कोटि के कॉपर अयस्कों के लिए निक्षालन क्रिया को कैसे किया जाता है?

Answer - 27 : -

निम्न ग्रेड कॉपर अयस्क का निक्षालन वायु या जीवाणुओं की उपस्थिति में अम्ल के साथ क्रिया कर किया जाता है। इस प्रक्रिया में कॉपर Cu2+ आयनों के रूप में विलयन में चला जाता है।
Cu (s) + 2H+ (aq) + 1/2 O2 (g) → Cu2+ (aq)+ H2O (l)

Question - 28 : - निम्न कोटि के कॉपर अयस्कों के लिए निक्षालन क्रिया को कैसे किया जाता है?

Answer - 28 : -

निम्न ग्रेड कॉपर अयस्क का निक्षालन वायु या जीवाणुओं की उपस्थिति में अम्ल के साथ क्रिया कर किया जाता है। इस प्रक्रिया में कॉपर Cu2+ आयनों के रूप में विलयन में चला जाता है।
Cu (s) + 2H+ (aq) + 1/2 O2 (g) → Cu2+ (aq)+ H2O (l)

Question - 29 : - Co का उपयोग करते हुए अपचयन द्वारा जिंक ऑक्साइड से जिंक का निष्कर्षण क्यों नहीं किया जाता?

Answer - 29 : - एलिंघम चित्र में CO, CO2 वक्र Zn, ZnO वक्र के ऊपर स्थित है। यह स्पष्ट करता है कि CO से CO2 बनाने के लिए Δf G का मान Zn से ZnO के निर्माण के मान से कम ऋणात्मक है। इसलिए, यदि CO का अपचायक के रूप में प्रयोग किया जाता है, तो अपचयन में बहुत अधिक ताप की आवश्यकता होगी। यही कारण है कि जिंक को CO अपचायक के प्रयोग द्वारा ZnO से निष्कर्षित नहीं किया जाता है।

Question - 30 : - Cr2O3 के विरचन के लिए Δf G का मान – 540 kJ mol-1 है तथा Al2O3 के लिए – 827 kJ mol-1 है। क्या Cr2O3 का अपचयन Al से सम्भव है?

Answer - 30 : -

हाँ, Al के द्वारा Cr2O3 का अपचयन सम्भव है। इसको निम्न प्रकार समझा जा सकता है
इस प्रक्रिया में निहित अभिक्रियाएँ निम्न हैं
2Al (s) + 3/2 O2 (g) → Al2O3 (s); Δf G  =– 827 kJ mol-1 …(i)
2Cr (s) + 3/2 O2 (g) → Cr2O3 (s);  Δf G = – 540 kJ mol-1 …(ii)
समीकरण (ii) में से (i) को घटाने पर
2Al (s) + Cr2O3 (3) → Al2O3 (s)+ 2Cr (s);
Δf G = – 827- (-540) = – 287 kJ mol-1
चूँकि संयुक्त रिडॉक्स अभिक्रिया के लिए Δf G– का मान ऋणात्मक है, इसलिए प्रक्रिया सम्भाव्य है। अर्थात् Al के द्वारा Cr2O3 का अपचयन सम्भव है।

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