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Chapter 1 ठोस अवस्था (The Solid State) Solutions

Question - 21 : -
समझाइए कि एक उच्च संयोजी धनायन को अशुद्धि की तरह मिलाने पर आयनिक ठोस में रिक्तिकाएँ किस प्रकार प्रविष्ट होती हैं?

Answer - 21 : -

विद्युत उदासीनता बनाए रखने के लिए उच्च संयोजकता वाले धनायन द्वारा निम्न संयोजकता वाले दो या अधिक धनायन प्रतिस्थापित होते हैं। अत: कुछ धनायन रिक्तियाँ जनित होती हैं, जैसे- यदि आयनिक ठोस Na+ cl में Sr2+ की अशुद्धि मिलाई जाती है तब दो Na+ जालक बिन्दु रिक्त हो जाते हैं तथा इनमें से एक Sr2+ आयन द्वारा घिर जाती है तथा अन्य रिक्त रहती हैं।

 

Question - 22 : -
जिन आयनिक ठोसों में धातु आधिक्य दोष के कारण ऋणायनिक रिक्तिका होती हैं, वे रंगीन होते हैं। उपयुक्त उदाहरण की सहायता से समझाइए।

Answer - 22 : -

इसको सोडियम क्लोराइड (Na+ cl) का उदाहरण लेकर समझा सकते हैं। जब इसके क्रिस्टलों को सोडियम वाष्प की उपस्थिति में गर्म करते हैं तब कुछ Cl आयन अपने जालक स्थलों को छोड़कर सोडियम से संयुक्त होकर NaCl बना लेते हैं। इस अभिक्रिया के होने के लिए सोडियम परमाणु इलेक्ट्रॉन खोकर Na+ आयन बनाते हैं। ये इलेक्ट्रॉन क्रिस्टल में विसरित होकर Cl आयनों द्वारा जनित ऋणायनिक रिक्तिकाओं को घेर लेते हैं। क्रिस्टल में अब सोडियम का आधिक्य होता है। अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों द्वारा घेरे गए स्थल F- केन्द्र कहलाते हैं। ये क्रिस्टल को पीला रंग प्रदान करते हैं, क्योंकि वे दृश्य प्रकाश की ऊर्जा का अवशोषण करके उत्तेजित हो जाते हैं।

 

Question - 23 : -
वर्ग 14 के तत्त्व को n- प्रकार के अर्द्धचालक में उपयुक्त अशुद्धि द्वारा अपमिश्रित करके रूपान्तरित करना है। यह अशुद्धि किस वर्ग से सम्बन्धित होनी चाहिए?

Answer - 23 : -

अशुद्धि वर्ग 15 से सम्बन्धित होनी चाहिए।

Question - 24 : -
किस प्रकार के पदार्थों से अच्छे स्थायी चुम्बक बनाए जा सकते हैं-
लौहचुम्बकीय अथवा फेरीचुम्बकीय? अपने उत्तर का औचित्य बताइए।

Answer - 24 : -

लौहचुम्बकीय पदार्थ श्रेष्ठ स्थायी चुम्बक बनाते हैं क्योंकि इनमें धातु आयन छोटे क्षेत्रों में व्यवस्थित होते हैं, जिन्हें डोमेन कहते हैं। प्रत्येक डोमेन सूक्ष्म चुम्बक के रूप में कार्य करता है। ये डोमेन अनियमित रूप में व्यवस्थित होते हैं। जब इन पर चुम्बकीय क्षेत्र आरोपित किया जाता है तब वे चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा में व्यवस्थित हो जाते हैं तथा प्रबल चुम्बकीय क्षेत्र बनाते हैं। बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र के हटा लेने पर भी डोमेन व्यवस्थित रहते हैं। इस प्रकार लौहचुम्बकीय पदार्थ स्थायी चुम्बक में परिवर्तित हो जाता है।

Question - 25 : -
‘अक्रिस्टलीय पद को परिभाषित कीजिए। अक्रिस्टलीय ठोसों के कुछ उदाहरण दीजिए।

Answer - 25 : -

ऐसे ठोस जिनका निश्चित ज्यामितीय आकार या विन्यास नहीं होता है अर्थात् इनके अवयवी कण निश्चित क्रम में व्यवस्थित नहीं होते हैं, अक्रिस्टलीय ठोस (amorphous solids) कहलाते हैं। इनका कोई निश्चित गलनांक नहीं होता है तथा ये समदैशिक (isotropic) होते हैं; जैसे, प्लास्टिक, काँच आदि।

Question - 26 : -
काँच, क्वार्टज जैसे ठोस से किस प्रकार भिन्न है? किन परिस्थितियों में क्वार्टज को काँच में रूपान्तरित किया जा सकता है?

Answer - 26 : -

काँच अक्रिस्टलीय ठोस है। इसमें अवयवी कणों (SiO4 चतुष्क) की केवल लघु परासी व्यवस्था होती है। दूसरी ओर क्वार्ट्ज में अवयवी कणों (SiO4 चतुष्क) की लघु और दीर्घ (दोनों) परासी व्यवस्थाएँ होती हैं। दूसरे शब्दों में, क्वार्ज क्रिस्टलीय होता है।

क्वार्ट्ज़ को पिघलाकर उसे शीघ्रता से ठंडा करने पर काँच प्राप्त होता है।


Question - 27 : -
निम्नलिखित ठोसों का वर्गीकरण आयनिक, धात्विक, आण्विक, सहसंयोजक या अक्रिस्टलीय में कीजिए।

  1. टेट्राफॉस्फोरस डेकॉक्साइड (P4O10)
  2. अमोनियम फॉस्फेट (NH4)3 PO4
  3. SiC
  4. I2
  5. P4
  6. प्लास्टिक
  7. ग्रेफाइट
  8. पीतल
  9. Rb
  10. LiBr
  11. Si

Answer - 27 : -

  1. आयनिक (Ionic) : अमोनियम फॉस्फेट (NH4)3 PO4, LiBr
  2. धात्विक (Metallic) : पीतल, Rb
  3. आण्विक (Molecular) : टेट्राफॉस्फोरस डेकॉक्साइड (P4O10), I2, P4
  4. सहसंयोजक (Covalent) : ग्रेफाइट, SiC, Si
  5. अक्रिस्टलीय (Amorphous) : प्लास्टिक

 

Question - 28 : -
  1. उपसहसंयोजन संख्या का क्या अर्थ है?
  2. निम्नलिखित में परमाणुओं की उपसहसंयोजन संख्या क्या है?
  • एक घनीय निविड संकुलित संरचना
  • एक अन्त:केन्द्रित घनीय संरचना।

Answer - 28 : -

  1. उप-सहसंयोजन संख्या – यदि परमाणुओं को गोलों के रूप में प्रदर्शित किया जाए, तब किसी विशेष गोले के सन्निकट उपस्थित अन्य गोलों की संख्या उसकी उप-सहसंयोजन संख्या कहलाती है। आयनिक क्रिस्टलों में किसी आयन के चारों ओर उपस्थित विपरीत आवेशित गोलों की संख्या उसकी उप-सहसंयोजन संख्या कहलाती है।।
  2. उपसहसंयोजन संख्या:-
  • 12
  • 8.

Question - 29 : -
यदि आपको किसी अज्ञात धातु का घनत्व एवं एकक कोष्ठिका की विमाएँ ज्ञात हैं तो क्या आप उसके परमाण्विक द्रव्यमान की गणना कर सकते हैं? स्पष्ट कीजिए।

Answer - 29 : -

परमाण्विक द्रव्यमान, M =  
किसी अज्ञात धातु का घनत्व एवं एकक कोष्ठिका की विमाएँ ज्ञात होने पर उपर्युक्त सूत्र की सहायता से उसके परमाण्विक द्रव्यमान की गणना की जा सकती है।

Question - 30 : -
‘किसी क्रिस्टल की स्थिरता उसके गलनांक के परिमाण द्वारा प्रकट होती है।’ टिप्पणी कीजिए। किसी आँकड़ा पुस्तक से जल, एथिल ऐल्कोहॉल, डाइएथिल ईथर तथा मेथेन के गलनांक एकत्र करें। इन अणुओं के मध्य अन्तराआण्विक बलों के बारे में आप क्या कह सकते हैं?

Answer - 30 : -

किसी पदार्थ का गलनांक जितना उच्च होता है उसके अवयवी कणों के मध्य आकर्षण बल उतना ही अधिक होता है और पदार्थ भी उतना ही अधिक स्थायी होता है। जल, एथिल ऐल्कोहॉल, डाइएथिल ईथर और मेथेन के गलनांक क्रमशः 273 K, 155.7 K, 156.8 K और 90.5 K हैं। जल और एथिल ऐल्कोहॉल में अंतराआण्विक बल हाइड्रोजन आबंधन होते हैं। जल के अणुओं के मध्य हाइड्रोजन आबंधन एथिल ऐल्कोहॉल के अणुओं की तुलना में प्रबल होता है जोकि उनके गलनांकों से भी स्पष्ट होता है। डाइएथिल ईथर के अणुओं के बीच द्विध्रुव-द्विध्रुव आकर्षण होता है तथा मेथेन अणुओं के मध्य यह दुर्बल वाण्डरवाल्स बल होता है जो कि इनके गलनांकों से स्पष्ट है।

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