Question -
Answer -
1. मण्डल परिष्करण (Zone refining) – इसके लिए अभ्यास-प्रश्न संख्या 4(i) देखिए।
2. विद्युत-अपघटनी परिष्करण (ElectrolyticRefining) – इस विधि में अशुद्ध धातु को ऐनोड बनाते हैं। उसी धातु की शुद्ध धातु-पट्टी को कैथोड के रूप में प्रयुक्त करते हैं। इन्हें एक उपयुक्त विद्युत-अपघट्य का विलयन विश्लेषित्र में रखते हैं जिसमें उसी धातु का लवण घुला रहता है। अधिक क्षारकीय धातु विलयन में रहती है तथा कम क्षारकीय धातुएँ ऐनोड पंक (anode mud) में चली जाती हैं। इस प्रक्रम की व्याख्या, विद्युत विभव की धारणा, अधिविभव तथा गिब्ज ऊर्जा के द्वारा (उपयोग) भी की जा सकती है। ये अभिक्रियाएँ निम्नलिखित हैं –
ऐनोड पर : M → Mn+ +ne–
कैथोड पर : Mn+ + ne– → M
उदाहरण– ताँबे का शोधन विद्युत-अपघटनी विधि के द्वारा किया जाता है। अशुद्ध कॉपर ऐनोड के रूप में तथा शुद्ध कॉपर पत्री कैथोड के रूप में लेते हैं। कॉपर सल्फेट का अम्लीय विलयन विद्युत-अपघट्य होता है तथा विद्युत अपघटन के वास्तविक परिणामस्वरूप शुद्ध कॉपर ऐनोड से कैथोड की तरफ स्थानान्तरित हो जाता है।
ऐनोड पर : Cu → Cu2+ +2e–
कैथोड पर : Cu2+ +2e– → Cu
फफोलेदार कॉपर से अशुद्धियाँ ऐनोड पंक के रूप में जमा होती हैं जिसमें एण्टिमनी, सेलीनियम टेल्यूरियम, चाँदी, सोना तथा प्लैटिनम मुख्य होती हैं। इन तत्वों की पुन: प्राप्ति से शोधन की लागत की क्षतिपूर्ति हो सकती है। जिंक को शोधन भी इसी प्रकार से किया जा सकता है।
3. वाष्प प्रावस्था परिष्करण (Vapour PhaseRefining) – इस विधि में धातु को वाष्पशील यौगिक में परिवर्तित करके दूसरे स्थल पर एकत्र कर लेते हैं। इसके बाद इसे विघटित करके शुद्ध धातु प्राप्त कर लेते हैं। इस प्रक्रिया की दो आवश्यकताएँ होती हैं –
- उपलब्ध अभिकर्मक के साथ धातु वाष्पशील यौगिक बनाती हो तथा
- वाष्पशील पदार्थ आसानी से विघटित हो सकता हो जिससे धातु आसानी से पुनः प्राप्त की जा सके।
उदाहरण– जिर्कोनियम या टाइटेनियम के शोधन के लिए वॉन-आरकैल विधि : यह Zr तथा Ti जैसी कुछ धातुओं से अशुद्धियों की तरह उपस्थित सम्पूर्ण ऑक्सीजन तथा नाईट्रोजन को हटाने में बहुत उपयोगी है। परिष्कृत धातु को निर्वातित पात्र में आयोडीन के साथ गर्म करते हैं। धातु आयोडाइड अधिक सहसंयोजी होने के कारण वाष्पीकृत हो जाता है।
Zr + 2I2 → ZrI4
धातु आयोडाइड को विद्युत धारा द्वारा 1800 K ताप पर गर्म किए गए टंग्स्टन तन्तु पर विघटित किया जाता है। इस प्रकार से शुद्ध धातु तन्तु पर जमा हो जाती है।
ZrI4 → Zr ↓ + 2I2 ↑