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Chapter 11 विकिरण तथा द्रव्य की द्वैत प्रकृति (Dual Nature of Radiation and Matter) Solutions

Question - 31 : - X-किरणों के प्रयोग अथवा उपयुक्त वोल्टता से त्वरित इलेक्ट्रॉनों से क्रिस्टल-विवर्तन प्रयोग किए जा सकते हैं। कौन-सी जाँच अधिक ऊर्जा सम्बद्ध है? (परिमाणिक तुलना के लिए, जाँच के लिए तरंगदैर्घ्य को 1 लीजिए, जो कि जालक (लेटिस) में अन्तर-परमाणु अन्तरण की कोटि को है) (me = 9.11 x 10-31 kg)।

Answer - 31 : - दिया है, X-किरण फोटॉन तथा इलेक्ट्रॉन की तरंगदैर्घ्य λ = 1\mathring { A }= 10-10 m

Question - 32 : - (a) एक न्यूट्रॉन, जिसकी गतिज ऊर्जा 150 eV है, का डी-ब्रॉग्ली तरंगदैर्घ्य प्राप्त कीजिए। जैसा कि आपने प्रश्न 31 में देखा है, इतनी ऊर्जा का इलेक्ट्रॉन किरण-पुंज क्रिस्टल विवर्तन प्रयोग के लिए उपयुक्त है। क्या समान ऊर्जा का एक न्यूट्रॉन किरण-पुंज इस प्रयोग
के लिए समान रूप से उपयुक्त होगा? स्पष्ट कीजिए। [mn =1.675 x 10-27 kg]
(b) 
कमरे के सामान्य ताप (27°C) पर ऊष्मीय न्यूट्रॉन से जुड़े डी-ब्रॉग्ली तरंगदैर्घ्य ज्ञात कीजिए। इस प्रकार स्पष्ट कीजिए कि क्यों एक तीव्रगामी न्यूट्रॉन को न्यूट्रॉन-विवर्तन प्रयोग में उपयोग में लाने से पहले वातावरण के साथ तापीकृत किया जाता है।

Answer - 32 : - (a) दिया है, न्यूट्रॉन की ऊर्जा E = 150 eV = 150 x 1.6 x10-19 J.

(b) दिया है, कमरे का तापमान T = 27 + 273 = 300K
न्यूट्रॉन का द्रव्यमान mn = 1.675x 10-27 kg
बोल्टजमैन नियतांक k = 1.38 x 10-23 J/moleK
कमरे के ताप पर न्यूट्रॉन की गतिज ऊर्जा

स्पष्ट है कि 27°C के न्यूट्रॉन की डी-ब्रॉग्ली तरंगदैर्घ्य, क्रिस्टलों में अन्तरापरमाण्विक दूरी के साथ तुलनीय है। अतः यह न्यूट्रॉन क्रिस्टल विवर्तन प्रयोग के लिए उपयुक्त है। इससे स्पष्ट है कि न्यूट्रॉनों को क्रिस्टल विवर्तन प्रयोगों में उपयोग में लाने के लिए उन्हें वातावरण के साथ तापीकृत करना चाहिए।

Question - 33 : - एक इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी में 50 kV वोल्टता के द्वारा त्वरित इलेक्ट्रॉनों का उपयोग किया जाता है। इन इलेक्ट्रॉनों से जुड़े डी-ब्रॉग्ली तरंगदैर्घ्य ज्ञात कीजिए। यदि अन्य बातों (जैसे कि संख्यात्मक द्वारक आदि) को लगभग समान लिया जाए, इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी की विभेदन क्षमता की तुलना पीले प्रकाश का प्रयोग करने वाले प्रकाश सूक्ष्मदर्शी से किस प्रकार होती है?

Answer - 33 : - दिया है, इलेक्ट्रॉनों का त्वरक विभवान्तर V= 50kV= 50 x 103 v
इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा E = eV जूल

Question - 34 : - किसी जाँच की तरंगदैर्घ्य उसके द्वारा कुछ विस्तार में जाँच की जा सकने वाली संरचना के आकार की लगभग आमाप है। प्रोटॉनों तथा न्यूट्रॉनों की क्वार्क (quark) संरचना 10-15 m या इससे भी कम लम्बाई के लघु पैमाने की है। इस संरचना को सर्वप्रथम 1970 दशक के प्रारम्भ में, एक रेखीय त्वरित्र (Linear accelerator) से उत्पन्न उच्च ऊर्जा इलेक्ट्रॉनों के किरणे-पुंजों के उपयोग द्वारा, स्टैनफोर्ड, संयुक्त राज्य अमेरिका में जाँचा गया था। इन इलेक्ट्रॉन किरण-पुंजों की ऊर्जा की कोटि का अनुमान लगाइए। (इलेक्ट्रॉन
की विराम द्रव्यमान ऊर्जा 0.511 MeV है।)

Answer - 34 : - क्वार्क संरचना का आमाप, λ = 10-15m
इलेक्ट्रॉन का विराम द्रव्यमान m0 = 9.1 x10-31 kg
इलेक्ट्रॉन की विराम द्रव्यमान ऊर्जा

Question - 35 : - कमरे के ताप (27°C) और 1 atm दाब पर He परमाणु से जुड़े प्रारूपी डी-ब्रॉग्ली तरंगदैर्घ्य ज्ञात कीजिए और इन परिस्थितियों में इसकी तुलना दो परमाणुओं के बीच औसत दूरी से कीजिए।

Answer - 35 : - कमरे का ताप T = 27 + 273 = 300 K
He
का परमाणु द्रव्यमान = 4g

Question - 36 : - किसी धातु में (27°C) पर एक इलेक्ट्रॉन का प्रारूपी डी-ब्रॉग्ली तरंगदैर्घ्य परिकलित कीजिए और इसकी तुलना धातु में दो इलेक्ट्रॉनों के बीच औसत पृथक्य से कीजिए जो लगभग 2 x 10-10 mदिया गया है। (नोट-प्रश्न 35 और 36 प्रदर्शित करते हैं कि जहाँ सामान्य परिस्थितियों में गैसीय अणुओं से जुड़े तरंग पैकेट -अतिव्यापी हैं; किसी धातु में इलेक्ट्रॉन तरंग पैकेट प्रबल रूप से एक-दूसरे से अतिव्यापी हैं। यह सुझाता है कि जहाँ किसी सामान्य गैस में अणुओं की अलग पहचान हो सकती है, किसी धातु में इलेक्ट्रॉन की एक-दूसरे से अलग पहचान नहीं हो सकती। इस अप्रभेद्यता के कई मूल निहितार्थताएँ हैं। जिन्हें आप भौतिकी के अधिक उच्च पाठ्यक्रमों में जानेंगे]

Answer - 36 : -


Question - 37 : -
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए
(a) ऐसा विचार किया गया है कि प्रोटॉन और न्यूट्रॉन के भीतर क्वार्क पर आंशिक आवेश होते
यह मिलिकन तेल-बूंद प्रयोग में क्यों नहीं प्रकट होते?
(b) संयोग की क्या विशिष्टता है? हम e तथाm के विषय में अलग-अलग विचार क्यों नहीं करते?
(c) गैसें सामान्य दाब पर कुचालक होती हैं, परन्तु बहुत कम दाब पर चालन प्रारम्भ कर देती हैं। क्यों?
(d) प्रत्येक धातु का एक निश्चित कार्य-फलन होता है। यदि आपतित विकिरण एकवर्णी हो तो सभी प्रकाशिक इलेक्ट्रॉन समान ऊर्जा के साथ बाहर क्यों नहीं आते हैं? प्रकाशिक इलेक्ट्रॉनों का एक ऊर्जा वितरण क्यों होता है?
(e) एक इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा तथा इसका संवेग इससे जुड़े पदार्थ-तरंग की आवृत्ति तथा इसके तरंगदैर्घ्य के साथ निम्न प्रकार सम्बन्धित होते हैं
परन्तु λ का मान जहाँ भौतिक महत्त्व का है, के मान (और इसलिए कला चाल 22 को मान) का कोई भौतिक महत्त्व नहीं है। क्यों?

Answer - 37 : -

(a) भिन्नात्मक आवेश वाले क्वार्क न्यूट्रॉन तथा प्रोटॉन के भीतर इस प्रकार सीमित रहते हैं कि प्रोटॉन में उपस्थित क्वार्को के आवेशों का योग +e तथा न्यूट्रॉन में उपस्थित क्वार्को के आवेशों का योग । शून्य बना रहता है तथा ये क्वार्क पारस्परिक आकर्षण बलों द्वारा बँधे रहते हैं। जब इन्हें अलग करने का प्रयास किया जाता है तो बल और अधिक शक्तिशाली हो जाते हैं और इसी कारण वे एक साथ बने रहते हैं। इसीलिए प्रकृति में भिन्नात्मक आवेश मुक्त अवस्था में नहीं पाए जाते अपितु वे सदैव इलेक्ट्रॉनिक आवेश के पूर्ण गुणज के रूप में ही पाए जाते हैं।
(b) इलेक्ट्रॉन की गति समीकरणों eV=  mν, eE = ma तथा eνB = mν2/r द्वारा निर्धारित होती है। इनमें से प्रत्येक में e तथा m दोनों एक साथ आए हैं। इससे स्पष्ट है कि इलेक्ट्रॉन की गति के लिए e अथवा m पर अकेले-अकेले विचार करने के स्थान पर  पर विचार किया जाता है।
(c) सामान्य दाब पर गैसों में विसर्जन के कारण उत्पन्न आयन कुछ ही दूरी तय करने तक गैस के
अन्य अणुओं से टकराकर उदासीन हो जाते हैं और इस कारण सामान्य दाब पर गैसों में विद्युत चालन नहीं हो पाता। इसके विपरीत अत्यन्त निम्न दाब पर गैस में अणुओं की संख्या बहुत कम रह जाती है। इस कारण उत्पन्न आयन अन्य अणुओं से टकराने से पूर्व ही विपरीत इलेक्ट्रॉड तक पहुँच जाते हैं।
(d) कार्य फलन से, धातु में उच्चतम ऊर्जा स्तर अथवा चालन बैण्ड में उपस्थित इलेक्ट्रॉनों के उत्सर्जन के लिए आवश्यक न्यूनतम ऊर्जा का ज्ञान होता है। परन्तु प्रकाश विद्युत उत्सर्जन में । इलेक्ट्रॉन अलग-अलग ऊर्जा स्तरों से निकल कर आते हैं। अतः उत्सर्जन के बाद उनके पास , भिन्न-भिन्न ऊर्जाएँ होती हैं।
(e) किसी द्रव्य कण की ऊर्जा का निरपेक्ष मान (न कि संवेग) एक निरपेक्ष स्थिरांक के अधीन स्वेच्छ होता है। यही कारण है कि द्रव्य तरंगों से सम्बद्ध तरंगदैर्घ्य λ का ही भौतिक महत्त्व होता है न कि आवृत्ति ν का। इसी कारण कला वेग νλका भी कोई भौतिक महत्त्व नहीं होता।

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