Question -
Answer -
(क) PCR (Polymerase Chain Reaction) – PCR का अर्थ पॉलीमरेज चेन रिऐक्शन (पॉलीमरेज श्रृंखला अभिक्रिया) है। इस विधि द्वारा कम समय में जीन की कई प्रतिकृतियों का संश्लेषण किया जाता है। इस कार्य के लिये एक विशेष उपकरण थर्मल साइक्लर का उपयोग किया जाता है।
PCR चक्र में मुख्य रूप से तीन चरण होते हैं –
1. निष्क्रियकरण,
2. तापानुशीलन तथा
3. विस्तार।
निष्क्रियकरण में DNA को 92°C पर 1 मिनट तक थर्मल साइक्लर में गर्म किया जाता है जिससे उसके दोनों स्टैंड अलग हो जाते हैं। तापानुशीलन में अभिक्रिया मिश्रण के तापक्रम को घटाया जाता है। यह सामान्यतया 48°C रहता है। इसे इस तापक्रम पर भी 1 मिनट के लिये रखा जाता है। इसके बाद विस्तार किया जाता है जो 27°C पर 1 मिनट के लिये होता है। इस चक्र को 34 – 37 बार दुहराया जाता है। इस प्रक्रम द्वारा DNA खंड को एक अरब गुणा तक प्रवर्धित किया जा सकता है।
पॉलिमरेज श्रृंखला अभिक्रया में DNA खंड के अतिरिक्त उपक्रमकों, एंजाइम टैंक, DNA पॉलीमरेज, मैग्नीशियम क्लोराइड, डाइमेथाइल सल्फॉक्साइड की आवश्यकता पड़ती है। उपक्रमकों (प्राइमर्स) को दो समुच्चयों की आवश्यकता पड़ती है – एक 5′ से 3′ की ओर जाने के लिये तथा एक 3′ व 5′ की ओर जाने के लिए। प्राइमर्स छोटे रासायनिक संश्लेषित अल्प न्यूक्लियोटाइड हैं जो DNA क्षेत्र के पूरक होते हैं।
PCR के उपयोग इस प्रकार हैं:
1. रोगाणुओं की पहचान में
2. विशिष्ट उत्परिवर्तन को पहचानने में
3. DNA फिंगर प्रिटिंग में
4. पादप रोगाणुओं का पता लगाने में
5. विलुप्त जीवों तथा मनुष्यों के ममी अवशेष से DNA खंड के क्लोनिंग में।
(ख) प्रतिबंधन एंजाइम और DNA – प्रतिबंधन एंजाइम को ‘आणविक कैंची’ कहा जाता है। वह एंजाइम जो DNA को काटता है प्रतिबंधन एंडोन्यूक्लिएज कहलाता है। अभी तक 900 से अधिक प्रतिबंधन एंजाइमों की खोज हो चुकी है। ये जीवाणुओं के 230 से अधिक प्रभेदों से अलग किये गये हैं। इनमें से प्रत्येक प्रतिबंधन एंजाइम विभिन्न अनुक्रमों को पहचानते हैं।
प्रतिबंधन एंजाइम डबल स्टेंडेड DNA को खंडित करता है। ये एंजाइम DNA को एक विशेष स्थल पर काटता है; जैसे- एंजाइम ECORI प्लाज्मिड अनुक्रम GAATTC को G और A के मध्य काटता है। प्रतिबंधन एंजाइम के नामकरण में परम्परानुसार नाम का पहला शब्द वंश एवं दूसरा और तीसरा शब्द प्रकेन्द्रकी कोशिकाओं की जाति से लिया गया है जिनसे ये पृथक् किये गये थे। जैसे ECORI को ई० कोलाई RY 13 से प्राप्त किया गया है। ECORI में वर्ण R, RY प्रभेद से लिया गया है।
(ग) काइटिनेज – इस एंजाइम का उपयोग कवक कोशिका को तोड़ने के लिये किया जाता है जिससे DNA के साथ वृहद अणु; जैसे- RNA, प्रोटीन, वसा एवं पॉलिसैकेराइड बाहर निकलते हैं।