Chapter 8 मानव स्वास्थ्य तथा रोग (Human Health and Disease) Solutions
Question - 11 : - वह कौन-सी क्रियाविधि है जिससे एड्स विषाणु संत व्यक्ति के प्रतिरक्षा तन्त्र का ह्रास करता है?
Answer - 11 : -
1. संक्रमित व्यक्ति के शरीर में प्रवेश करने के पश्चात् एड्स विषाणु वृहद् भक्षकाणु (macrophage) में प्रवेश करता है।
2. यहाँ इसका RNA जीनोम, विलोम ट्रांसक्रिप्टेज विकर (reverse transcriptase enzyme) की मदद से, रेप्लीकेशन (replication) द्वारा विषाणुवीय DNA (viral DNA) बनाता है जो कोशिका में DNA में प्रविष्ट होकर, संक्रमित कोशिकाओं में विषाणु कण निर्माण का निर्देशन करता है।
3. वृहद् भक्षकाणु विषाणु उत्पादन जारी रखते हैं व HIV की उत्पादन फैक्टरी का कार्य करते हैं।
4. HIV सहायक T-लसीकाणु में प्रविष्ट होकर अपनी प्रतिकृति बनाता है व संतति विषाणु उत्पन्न करता है।
5. रक्त में उपस्थित संतति विषाणु अन्य सहायक T-लसीकाणुओं पर आक्रमण करते हैं।
6. यह प्रक्रिया बार-बार दोहराई जाती है जिसके परिणामस्वरूप संक्रमित व्यक्ति के शरीर में T-लसीकाणुओं की संख्या घटती रहती है।
7. रोगी ज्वर व दस्त से निरन्तर पीड़ित रहता है, वजन घटता जाता है, रोगी की प्रतिरक्षा इतनी कम हो जाती है कि वह इन प्रकार के संक्रमणों से लड़ने में असमर्थ होता है।
Question - 12 : - प्रसामान्य कोशिका से कैंसर कोशिका किस प्रकार भिन्न है?
Answer - 12 : -
1. एक प्रसामान्य कोशिका में कोशिका वृद्धि व कोशिका विभेदन अत्यन्त नियन्त्रित व नियमित होते हैं।
2. प्रसामान्य कोशिका में संस्पर्श संदमन (contact inhibition) नामक गुण होता है जिसके कारण अन्य कोशिकाओं में इसका स्पर्श अनियन्त्रित वृद्धि का संदमन करता है।
3. इसके विपरीत कैंसर कोशिका में यह गुण समाप्त हो जाता है, अत: इन कोशिकाओं में वृद्धि व विभेदन अनियन्त्रित हो जाते हैं।
4. इसके परिणामस्वरूप कैंसर कोशिकायें निरन्तर वृद्धि करके कोशिकाओं में एक पिण्ड, रसौली (tumour) बना देती हैं।
Question - 13 : - मेटास्टेसिस का क्या मतलब है? व्याख्या कीजिये।
Answer - 13 : -
1. मेटास्टेसिस में कैंसर कोशिकाओं के अन्य ऊतकों व अंगों में स्थानान्तरण से कैंसर फैलता है। परिणामस्वरूप द्वितीयक ट्यूमर का निर्माण होता है।
2. यह प्राथमिक ट्यूमर की अति वृद्धि के परिणामस्वरूप फैलता है।
3. अति वृद्धि करने वाली ट्यूमर कोशिकायें रक्त वाहिनियों में से गुजरती हैं या सीधे द्वितीयक बनाती हैं।
4. दूसरे उपयुक्त ऊतक या अंग पर पहुँचने के बाद, एक नया ट्यूमर बनता है।
5. यह बना ट्यूमर, जो द्वितीयक बना सकते हैं, घातक ट्यूमर कहलाता है।
6. वे कोशिकाएँ जो ट्यूमर से फैलने के योग्य होती हैं, घातक (malignant) कोशिकायें होती हैं।
Question - 14 : - ऐल्कोहॉल/ड्रग के द्वारा होने वाले कुप्रयोग के हानिकारक प्रभावों की सूची बनाइये।
Answer - 14 : -
ऐल्कोहॉल/ड्रग के द्वारा होने वाले कुप्रयोग के हानिकारक प्रभाव निम्नलिखित हैं –
1. अत्यधिक मात्रा में लेने पर इन पदार्थों से श्वसन निष्क्रियता, हृदय- घात, कोमा व मृत्यु भी हो सकती है।
2. मादक पदार्थों के व्यसनी पैसे न मिलने पर चोरी का सहारा ले सकते हैं। अत: परिवार/समाज के लिये मानसिक व आर्थिक कष्ट हो सकता है।
3. ऐल्कोहॉल के चिरकारी प्रयोग से तन्त्रिका तन्त्र व यकृत को क्षति पहुँचती है।
4. रक्त शिरा में इन्जेक्शन द्वारा ड्रग्स लेने पर एड्स व यकृत शोथ-बी जैसे गम्भीर संक्रमण की सम्भावना बढ़ जाती है।
5. गर्भावस्था के दौरान मादक पदार्थों का प्रतिकूल प्रभाव भ्रूण पर पड़ता है।
6. अन्धाधुन्ध व्यवहार, बर्बरता व हिंसा का बढ़ना।
7. महिलाओं में उपापचयी स्टेराइड के सेवन से पुरुष; जैसे- लक्षण, आक्रामकता, भावनात्मकता स्थिति में उतार-चढ़ाव, अवसाद, असामान्य आर्तवचक्र, मुंह व शरीर पर बालों की अतिरिक्त वृद्धि, आवाज का भारी होना आदि दुष्प्रभाव देखे जा सकते हैं।
8. पुरुषों में मुहाँसे, आक्रामकता का बढ़ना, अवसाद, वृषणों के आकार का घटना, शुक्राणु उत्पादन की कमी, समय से पूर्व गंजापन आदि लक्षण ड्रग्स सेवन के कुप्रभाव हैं।
Question - 15 : - क्या आप ऐसा सोचते हैं कि मित्रगण किसी को ऐल्कोहॉल/डग सेवन के लिये प्रभावित कर सकते हैं? यदि हाँ, तो व्यक्ति ऐसे प्रभावों से कैसे अपने आपको बचा सकते हैं?
Answer - 15 : -
मित्रगण किसी को ऐल्कोहॉल/ड्रग लेने के लिये प्रभावित कर सकते हैं। युवा प्रायः ऐसे मित्रों के चंगुल में फंस जाते हैं जो मादक द्रव्यों के आदी हो चुके होते हैं। ऐसे मित्र युवाओं को धीरे-धीरे मादक पदार्थों के सेवन की लत लगा देते हैं तथा युवा इन पदार्थों के चंगुल में बुरी तरह फंस जाते हैं।
स्वयं को इस प्रकार के प्रभाव से बचाने के लिये निम्नलिखित उपाय किये जा सकते हैं –
- प्रथम माता-पिता व अध्यापकों का विशेष उत्तरदायित्व है। ऐसा लालन-पालन जिसमें पालन-पोषण का स्तर ऊँचा हो व सुसंगत अनुशासन हो।
- ऐसे मित्रों के चंगुल में आने पर तुरन्त अपने माता-पिता व समकक्षियों से मदद व उचित मार्गदर्शन लें।
- समस्याओं व प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करने, निराशाओं व असफलताओं को जीवन का एक हिस्सा समझकर स्वीकार करने की शिक्षा व परामर्श लेना इस प्रकार के प्रभाव से बचने में सहायक होता है।
- क्षमता से अधिक कार्य करने के दबाव से बचें।
Question - 16 : - ऐसा क्यों है कि जब कोई व्यक्ति ऐल्कोहॉल या ड्रग लेना शुरू कर देता है तो उस आदत से छुटकारा पाना कठिन होता है? अपने अध्यापक से चर्चा कीजिये।
Answer - 16 : -
1. ड्रग/ऐल्कोहॉल लाभकारी है। इसी सोच के कारण व्यक्ति इसे बार-बार लेता है। डुग/ऐल्कोहॉल के प्रति लत मनोवैज्ञानिक आशक्ति है।
2. ड्रग/ऐल्कोहॉल के बार-बार सेवन से शरीर में मौजूद ग्राहियों का सहन स्तर बढ़ जाता है। जिसके कारण अधिकाधिक मात्रा में ड्रग लेने की आदत पड़ जाती है।
3. इस प्रकार ऐल्कोहॉल/डूग व्यसनी शक्ति प्रयोग करने वाले को दोषपूर्ण चक्र में घसीट लेती है। तथा व्यक्ति इनका नियमित सेवन करने लगता है और इस चक्र में फंस जाता है।
Question - 17 : - आपके विचार से किशोरों को ऐल्कोहॉल या ड्रग के सेवन के लिये क्या प्रेरित करता है और इससे कैसे बचा जा सकता है?
Answer - 17 : -
1. जिज्ञासा, जोखिम उठाने व उत्तेजना के प्रति आकर्षण व प्रयोग करने की इच्छा प्रमुख कारण है जो नवयुवकों को ऐल्कोहॉल/ड्रग्स के लिये अभिप्रेरित करते हैं।
2. इन पदार्थों के प्रयोग को फायदे के रूप में देखना भी एक अन्य कारण है।
3. शिक्षा के क्षेत्र या परीक्षा में आगे रहने के दबाव से उत्पन्न तनाव भी नवयुवकों को मादक पदार्थों की ओर खींच सकता है।
4. युवकों में यह भी प्रचलन है कि धूम्रपान, ऐल्कोहॉल, ड्रग्स आदि का प्रयोग व्यक्ति की प्रगति का सूचक है।
5. सामाजिक एकाकीपन, कामवासना में वृद्धि का अनुभव, जीवन के प्रति नीरसता, मानसिक क्षमता में वृद्धि की मिथ्या धारणा, क्षणिक स्वर्गिक आनंद की अभिलाषा व कुसंगति का प्रभाव नवयुवकों को इन पदार्थों के प्रति आकर्षित करता है।
6. इसको नजरअंदाज करने के लिये रोकथाम व नियन्त्रण सम्बन्धी उपाय कारगर हो सकते हैं।
7. पढ़ाई, खेल-कूद, संगीत, योग के साथ-साथ अन्य स्वास्थ्य गतिविधियों में ऊर्जा लगानी चाहिये।
8. युवाओं के व्यसनी होने पर योग्य मनोवैज्ञानिक की सहायता ली जानी चाहिये।