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Chapter 6 वंशागति का आणविक आधार (Molecular Basis of Inheritance) Solutions

Question - 11 : -
निम्न के कार्यों का वर्णन (एक अथवा दो पंक्तियों में) कीजिए –
1. उन्नायक (प्रोमोटर)
2. अन्तरण आर०एन०ए० (t-RNA)
3. एक्जॉन (Exons)

Answer - 11 : -

1. प्रोमोटर – DNA का यह अनुक्रम जीन अनुलेखन इकाई बनाता है तथा अनुलेखन इकाई में स्थित टेम्पलेट व कूटलेखन रज्जुक का निर्धारण करता है।
2. tRNA – tRNA प्रोटीन संश्लेषण के दौरान अमीनो अम्लों को कोशिकाद्रव्य से राइबोसोम तक स्थानान्तरित करता है।
3. एक्जॉन (Exon) – एक्जॉन में नाइट्रोजनी क्षारकों का अनुक्रम होता है तथा ये mRNA के संश्लेषण में सहायता करते हैं।

Question - 12 : - मानव जीनोम परियोजना को महापरियोजना क्यों कहा जाता है?

Answer - 12 : -

मानव जीनोम परियोजना एक अत्यन्त व्यापक स्तर की योजना है जिसके अन्तर्गत मनुष्य के जीनोम में उपस्थित समस्त जीनों की पहचान की जाती है। मानव जीनोम में 3 x 109 क्षार युग्म हैं तथा प्रति क्षार पहचानने के लिए तीन अमेरिकी डॉलर का खर्च आता है। इस प्रकार संपूर्ण योजना पर लगभग 9 मिलियन डॉलर का खर्च आएगा। ज्ञात अनुक्रमों का संग्रह करने के लिए 1000 पृष्ठों की लगभग 3300 पुस्तकों की आवश्यकता होगी, यदि प्रत्येक पृष्ठ पर 10000 शब्द लिखे जायें। इस योजना को पूरी होने में 13 वर्ष का समय अनुमानित किया गया है।
अनेक देशों के हजारों वैज्ञानिक एक साथ इस पर कार्य करते हैं तो इसकी प्रथम प्रक्रिया पूर्ण होने में 10 वर्ष का समय लगता है। इतने स्तर के आँकड़ों के संग्रह, समापन व विश्लेषण के लिए उच्च कोटि के सांख्यिकीय साधनों की आवश्यकता होगी। अतः अपने इस वृहद् स्तर के कारण यह योजना, महापरियोजना कहलाती है।

Question - 13 : - डी०एन०ए० अंगुलिछापी क्या है? इसकी उपयोगिता पर प्रकाश डालिए। 

Answer - 13 : -

डी०एन०ए० अंगुलिछापी
डी०एन०ए० फिंगर प्रिन्टिंग तकनीक (अंगुलिछापी) को सर्वप्रथम एलेक जेफ्रे (Alec Jaffreys) ने इंग्लैण्ड में विकसित किया था। इसकी सहायता से विभिन्न व्यक्तियों अथवा जीवधारियों के मूल आनुवंशिक पदार्थ (D.N.A.) में भिन्नताओं को देखा जा सकता है। जैसा कि ज्ञात है कि जीवधारी की प्रजाति के सभी सदस्यों के डी०एन०ए० प्रारूप भिन्न होते हैं। यही कारण है कि समरूपी जुड़वाँ (identical twins) को छोड़कर किसी भी व्यक्ति का फिंगर प्रिन्ट एक-दूसरे से मेल नहीं करता। प्रत्येक जीवधारी की सभी कोशिकाओं में एक जैसा डी०एन०ए० पाया जाता है। डी०एन०ए० के कारण एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति से भिन्न होता है। डी०एन०ए० के फिंगर प्रिन्टिग द्वारा डी०एन०ए० में स्थित उन क्षेत्रों की पहचान की जाती है जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में किसी भी मात्रा में भिन्नता दर्शाते हैं।
डी०एन०ए० के इन्हीं क्षेत्रों के कारण शरीर में विभिन्नताएँ उत्पन्न होती हैं। इन विभिन्नता दर्शाने वाले सैटेलाइट डी०एन०ए० (Satellite D.N.A.) को प्रोब (परीक्षण करने वाली सलाई) की भाँति प्रयोग करते हैं। इसमें काफी बहुरूपता होती है। एक्स-रे फिल्म पर एक पट्टिकाओं (bands) के क्रम के रूप में प्राप्त करके उनकी स्थिति, विशिष्टता और पहचान कर सकते हैं। किसी एक व्यक्ति के डी०एन०ए० के क्रम पट्टियों के रूप में अनिवार्य रूप से विशिष्ट होते हैं। समरूप जुड़वाँ के डी०एन०ए० पूर्णरूपेण समरूप हो सकते हैं।
इन पट्टियों का परिचित्र इलेक्ट्रोफोरेसिस तथा एक रेडियोऐक्टिव पदार्थ की सहायता से प्राप्त किया जाती है। विद्युत क्षेत्र की उपस्थिति में क्षारों की मात्रा विलोमानुपाती ढंग से दूरियाँ तय करती है जो कि बैण्ड्स या पट्टिकाओं के रूप में दृष्टिगोचर होती है।
डी०एन०ए० फिंगर प्रिन्ट विभिन्न ऊतकों (खून, बाल पुटक, त्वचा, अस्थि, लार, शुक्राणु आदि) से प्राप्त किए जा सकते हैं। डी०एन०ए० फिंगर प्रिन्ट का उपयोग अपराध मामलों जैसे-खूनी, बलात्कारी को पहचानने के लिए, पितृत्व के झगड़ों में पारिवारिक सम्बन्धों को ज्ञात करने आदि में किया जाता है।

Question - 14 : -
निम्न का संक्षिप्त वर्णन कीजिए
1. अनुलेखन,
2. बहुरूपता,
3. स्थानांतरण,
4. जैव सूचना विज्ञान

Answer - 14 : -

1. अनुलेखन (Transcription) – DNA के रज्जुक में कूट के रूप में निहित आनुवंशिक सूचनाओं का mRNA में प्रतिलिपिकरण, अनुलेखन कहलाता है। इस प्रक्रिया के लिए RNA पॉलीमरेज नामक एंजाइम सहायक होता है। सर्वप्रथम DNA के न्यूक्लिओटाइड्स बनते हैं। तत्पश्चात् DNA रज्जुक अलग होकर साँचे के समान कार्य करने लगते हैं जिसके अनुसार नयी श्रृंखला में क्षारक क्रम व्यवस्थित होते हैं व H-बंधों द्वारा आपस में जुड़ जाते हैं।
2. बहुरूपता (Polymorphism) – जीन जनसंख्या में आनुवंशिक उत्परिवर्तनों का, उच्च आवृत्ति में होना, बहुरूपता कहलाता है। ऐसे उत्परिवर्तन DNA अनुक्रमों के परिवर्तित होने के कारण उत्पन्न होते हैं तथा पीढ़ी-दर-पीढ़ी वंशागत होकर एकत्रित होते हैं तथा बहुरूपता का कारण बनते हैं। बहुरूपता अनेक प्रकार की होती है तथा इसमें एक ही न्यूक्लिओटाइड में अथवा वृहद स्तर पर परिवर्तन होते हैं।
3. स्थानान्तरण (Translation) – mRNA न्यूक्लिओटाइड की श्रृंखलाओं का अमीनो अम्ल की | पॉलीपेप्टाइड शृंखलाओं में परिवर्तित होना, स्थानान्तरण कहलाता है। यह प्रक्रिया राइबोसोम पर, प्रोटीन संश्लेषण के दौरान होती है। इसमें सर्वप्रथम एंजाइम व ATP द्वारा अमीनो अम्ल का सक्रियकरण होता है। सक्रिय अमीनो अम्ल tRNA पर स्थानांतरित होते हैं वे संश्लेषण प्रारंभ हो जाता है। तत्पश्चात् पॉलीपेप्टाइड अनुक्रम निर्धारित होते हैं। tRNA अणुओं के मध्य उपस्थित पेप्टाइड स्थल द्वारा पेप्टाइड बंध निर्मित होते हैं।
4. जैव सूचना विज्ञान (Bioinformatics) – जीव विज्ञान का वह क्षेत्र जिसके अंतर्गत जीवों के जीनोम संबंधी आँकड़ों का संग्रह, विश्लेषण किया जाता है, जैव सूचना विज्ञान कहलाता है। इसमें मानव जीनोम के मानचित्र बनाये जाते हैं वे DNA के अनुक्रमों को पंक्तिबद्ध किया जाता है। इसका उपयोग कृषि सुधार, ऊर्जा उत्पादन, पर्यावरण सुधार, स्वास्थ्य सुरक्षा आदि में किया जाता है।

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