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Chapter 1 जीवों में जनन (Reproduction in Organisms) Solutions

Question - 11 : -
प्रत्येक पुष्पीय पादप के भाग को पहचानिए तथा लिखिए कि वह अगुणित (n) है या द्विगुणित (2n)
1. अण्डाशय
2. परागकोश
3. अण्डा या डिम्ब
4. पराग
5. नर युग्मक
6. युग्मनज

Answer - 11 : -

पुष्पीय भाग –
1. अण्डाशय (Ovary) – द्विगुणित (2n)
2. परागकोश (Anther) – द्विगुणित (2n)
3. अण्डा या डिम्ब (Ova) – अगुणित (n)
4. परागकण (Pollen grain) – अगुणित (n)
5. नर युग्मक (Male gamete) – अगणित (n)
6. युग्मनज (Zygote) – द्विगुणित (2n)
[युग्मनज (zygote) शुक्राणु तथा अण्ड के मिलने से बनी द्विगुणित संरचना (2n) होती है।

Question - 12 : - बाह्य निषेचन की व्याख्या कीजिए। इसके नुकसान बताइए।

Answer - 12 : -

बाह्य निषेचन (External Fertilization) – शुक्राणु (नरे युग्मक) तथा अण्ड (मादा युग्मक) के संयुग्मन या संलयन को निषेचन कहते हैं। इसके फलस्वरूप द्विगुणित युग्माणु (diploid zygote) का निर्माण होता है। अधिकांश शैवालों, मछलियों में और उभयचर प्राणियों में शुक्राणु (नर युग्मक) तथा अण्ड (मादा युग्मक) का संलयन शरीर से बाहर जल में होता है, इसे बाह्य निषेचन (external fertilization) कहते हैं।
बाह्य निषेचन से हानियाँ (Disadvantages of External Fertilization) –
1. जीवधारियों को अत्यधिक संख्या में युग्मकों का निर्माण करना होता है जिससे निषेचन के अवसर बढ़ जाएँ अर्थात् इनमें युग्मक संलयन के अवसर कम होते हैं।
2. संतति अत्यधिक संख्या में उत्पन्न होती हैं।
3. संतति शिकारियों द्वारा शिकार होने की स्थिति से गुजरती है, इसके फलस्वरूप इनकी उत्तरजीविता जोखिमपूर्ण होती है अर्थात् सन्तानें कम संख्या में जीवित रह पाती हैं।

Question - 13 : - जूस्पोर (अलैगिक चल बीजाणु) तथा युग्मनज के बीच विभेद करें।

Answer - 13 : -

जूस्पोर (अलैंगिक चल बीजाणु) – यह नग्न, चल, कशाभिका युक्त संरचना है जो अलैंगिक जनन की इकाई है। इनका निर्माण जनक कोशिका के जीवद्रव्य से सूत्री विभाजन द्वारा होता है। इनके अग्र भाग पर स्थित कशाभिका जल में तैरने हेतु सहायक होती हैं। ये चलबीजाणु धानी में बनते हैं। उदाहरण – यूलोथ्रिक्स, क्लेमाइडोमोनास आदि।
युग्मनज (Zygote) – लैंगिक जनन के दौरान नर तथा मादा युग्मकों (gametes) के निषेचन से बनी रचना, युग्मनज कहलाती है। यह द्विगुणित (diploid = 2n) होता है तथा विकसित होकर भ्रूण अथवा लार्वा में परिवर्तित हो जाता है। लैंगिक जनन करने वाले जीवों का विकास युग्मनज से होता है। बाह्य निषेचन करने वाले जीवों में युग्मनज का निर्माण बाह्य माध्यम (जल) में होता है; जैसे – मेढ़क जबकि आन्तरिक निषेचन करने वाले जीवों में यह मादा के शरीर में विकसित होता है; जैसे – मनुष्य आदि।

Question - 14 : - युग्मकजनन एवं भ्रूणोद्भव के बीच अन्तर स्पष्ट कीजिए।

Answer - 14 : -


Question - 15 : - एक पुष्प में निषेचन-पश्च परिवर्तनों की व्याख्या कीजिए।

Answer - 15 : -

पुष्प में निषेचन-पश्च परिवर्तन (Post fertilization development in a flower)-पुष्पीय पौधों में दोहरा निषेचन तथा त्रिक संलयन (double fertilization and triple fusion) होता है। इसके फलस्वरूप भ्रूणकोष (embryo sac) में द्विगुणित युग्मनज (zygote) तथा त्रिगुणित प्राथमिक भ्रूणपोष केन्द्रक (primary endospermic nucleus) बनता है। इनसे क्रमशः भ्रूण (embryo) तथा भूणपोष (endosperm) बनता है। भ्रूणपोष विकासशील भ्रूण को पोषण प्रदान करता है। इसके साथ-साथ बीजाण्ड में निम्नलिखित परिवर्तन होते हैं जिसके फलस्वरूप बीजाण्ड से बीज तथा अण्डाशय से फलावरण (pericap) का निर्माण होता है।
1. बीजाण्डवृन्त – बीजवृन्त बनाता है।
2. अध्यावरण – बीजावरण बनाता है।
3. अण्डद्वार – बीजद्वार बनाता है।
4. बीजाण्डकाय (nucellus) – प्रायः नष्ट हो जाता है, कभी-कभी भोजन संचित होने के कारण पेरिस्पर्म (perisperm) बनाता है।
5. भ्रूणकोष (embryosac)
o अण्ड कोशिका (egg cell) – भ्रूण (embryo) बनाती है।
o सहायक कोशिकाएँ (synergids) – नष्ट हो जाती हैं।
o प्रतिमुख कोशिकाएँ (antipodal cells) – नष्ट हो जाती हैं।
o ध्रुवीय केन्द्रक (polar nuclei) – भ्रूणपोष बनाता है।
6. अण्डाशय की भित्ति – फलभित्ति बनाती है। बीज में भ्रूण सुप्तावस्था में रहता है। बीज चारों ओर से बाह्यकवच तथा अन्त:कवच (testa & tegmen) से बने अध्यावरण से घिरा होता है। भ्रूण बीजपत्रों के मध्य स्थित होता है। फलभित्ति की संरचना के आधार पर फल सरस अथवा शुष्क होते हैं।

Question - 16 : - एक द्विलिंगी पुष्प क्या है? अपने आस-पास से पाँच द्विलिंगी पुष्पों को एकत्र कीजिए और अपने शिक्षक की सहायता से इनके सामान्य (स्थानीय) एवं वैज्ञानिक नाम पता कीजिए।

Answer - 16 : -

द्विलिंगी पुष्प (Bisexual flower) – जब पुष्प में पुमंग (androecium) तथा जायांग (gynoecium) दोनों होते हैं तो पुष्प द्विलिंगी (bisexual) कहलाता है। सामान्यतया समीपवर्ती क्षेत्रों में पाए जाने वाले द्विलिंगी पुष्प जैसे –
1. सरसों – बेसिका कैम्पेस्ट्रिस (Brassica campestris)
2. मूली – रेफेनस सैटाइवस (Raphanus sativus)
3. मटर – पाइसम सटाइवम (Pisum sativum)
4. सेम – डॉलीकोस लबलब (Dolichos tablab)
5. अमलतास – केसिया फिस्टुला (Cassia fistula)
6. गुड़हल – हिबिस्कस रोजा सिनेन्सिस (Hibiscus rosa sinensis)

Question - 17 : - किसी भी कुकुरबिट पादप के कुछ पुष्पों की जाँच कीजिए और पुंकेसरी व स्त्रीकेसरी पुष्पों को पहचानने की कोशिश कीजिए। क्या आप अन्य एकलिंगी पौधों के नाम जानते हैं?

Answer - 17 : -

कुकुरबिट पादप पुष्प एकलिंगी होते हैं। नर पुष्प में जायांग अनुपस्थित होता है। पुष्प में पाँच पुंकेसर होते हैं। ये प्राय: 2 + 2 + 1 के रूप में संयुक्त रहते हैं। इनके परागकोश व्यावृत (twisted) होते हैं।
मादा पुष्प में पुमंग (androecium) अनुपस्थित होता है। जायांग त्रिअण्डपी, युक्ताण्डपी, एककोष्ठीय तथा अधोवर्ती अण्डाशय से बना होता है। इसमें भित्तिलग्न बीजाण्डन्यास होता है। अण्डाशय से विकसित सरल सरस फल पेपो (pepo) कहलाता है।
अन्य एकलिंगी पौधे –
1. मक्का – जिआ मेज (Zeq muys)
2. खजूर – फीनिक्स सिल्वेस्ट्रिस (Phoenix sylvestris)
3. पपीता – कैरिका पपाया (Carica papaya)
4. नारियल – कोकोस न्यूसीफेरा (Cocos nucifera)

Question - 18 : - अण्डप्रजक प्राणियों की सन्तानों का उत्तरजीवन (सरवाइवल) सजीवप्रजक प्राणियों की तुलना में अधिक जोखिमयुक्त क्यों होता है? व्याख्या कीजिए।

Answer - 18 : -

अण्डप्रजक (oviparous) प्राणियों में निषेचित अण्डे (युग्मनज) का विकास मादा प्राणी के शरीर से बाहर होता है। मादा कैल्सियमयुक्त कवच से ढके अण्डों को सुरक्षित स्थान पर निक्षेपित करती है। अण्डों में भ्रूणीय विकास के फलस्वरूप शिशु का विकास होता है। शिशु निश्चित अवधि के पश्चात अण्डे के स्फुटन के फलस्वरूप मुक्त हो जाता है। अण्डप्रजक में बाह्य परिवर्द्धन (external development) होता है। यह पर्यावरणीय प्रतिकूल परिस्थितियों तथा शिकारी प्राणियों से प्रभावित होता है। इसके फलस्वरूप इन प्राणियों की उत्तरजीविता अधिक जोखिमयुक्त होती है। अण्डप्रजक प्राणियों को विकास के लिए कम समय मिलता है। अत: इन जीवों में आन्तरिक परिपक्वता सजीवप्रजक की तुलना में कम होती है। जैसे – मत्स्य, उभयचर, सरीसृप तथा पक्षी वर्ग के प्राणी अण्डप्रजक होते हैं।
सजीवप्रजक (जरायुज – viviparous) में निषेचित अण्डे (युग्मनज) का परिवर्द्धन मादा प्राणी के शरीर में होता है। इसे आन्तरिक परिवर्द्धन (internal development) कहते हैं। शिशु का विकास पूरा होने के पश्चात् प्रसव द्वारा इनका जन्म होता है, शिशु का विकास आन्तरिक होने के कारण और परिवर्द्धन में अधिक समय लगने के कारण इनकी उत्तरजीविता अपेक्षाकृत कम जोखिमपूर्ण होती है। आन्तरिक परिवर्द्धन होने के कारण ये बाह्य वातावरण तथा बाह्य परभक्षी जीवों से सुरक्षित रहते हैं। यही कारण है कि सजीवप्रजक की उत्तरजीविता अण्डप्रजक की अपेक्षा अधिक होती है।

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