Question -
Answer -
वाहित मल का उपचार वाहित मल संयन्त्र में किया जाता है जिससे यह प्रदूषण मुक्त हो सके। यह उपचार दो चरणों में सम्पन्न होता है –
1. प्राथमिक उपचार (Primary treatment) – प्राथमिक उपचार में मुख्यत: बड़े-छोटे कणों को भौतिक क्रियाओं; जैसे- अवसादन (sedimentation), निस्यंदन (filtration), प्लवन आदि द्वारा अलग किया जाता है। सबसे पहले तैरते हुए कूड़े-करकट को नियंदन द्वारा हटा दिया जाता है। इसके बाद ग्रिट (grit) मृदा तथा छोटे कणों को अवसादन द्वारा पृथक् किया जाता है। बारीक कण प्राथमिक स्लज (primary sludge) के रूप में नीचे बैठ जाते हैं और प्लावी बहिःस्राव (supernatant effluent) का निर्माण होता है। बहि:स्राव को प्राथमिक उपचार टैंक से द्वितीयक उपचार के लिए ले जाया जाता है।
2. द्वितीयक उपचार (Secondary treatment) – द्वितीयक उपचार में सूक्ष्मजीवधारियों का उपयोग किया जाता है। जैसे-ऑक्सीकरण ताल एक उथला जलाशय होता है जिसमें वाहित मल एकत्रित किया जाता है। इसमें कार्बनिक पदार्थ अधिक होने के कारण शैवाल और जीवाणुओं की अच्छी वृद्धि होने लगती है।
जीवाणु अपघटन करते हैं और शैवाल उनसे उत्पन्न कार्बन डाइ ऑक्साइड का प्रकाश संश्लेषण में उपयोग करते हैं। प्रकाश संश्लेषण में विमोचित ऑक्सीजन जल को दूषित होने से बचाती है। इस प्रकार ऑक्सीकरण ताल, शैवाल और जीवाणुओं के बीच सहजीविता का उदाहरण है। ऑक्सीजन ताल में होने वाली क्रियाओं द्वारा संक्रामक जीवाणु नष्ट हो जाते हैं और कार्बनिक पदार्थों के अपघटन के पश्चात् केवल नुकसान न देने वाले पदार्थ ही रह जाते हैं। द्वितीयक उपचार के पश्चात् प्लान्ट से बहि:स्राव सामान्यत: जल के प्राकृतिक स्रोतों जैसे-नदियों, झरनों आदि में छोड़ दिया जाता है अथवा तृतीयक उपचार हेतु रासायनिक क्रियाविधियों द्वारा इससे नाइट्रोजन एवं फॉस्फोरस लवणों को पृथक् करने के पश्चात् बहि:स्राव को जलाशयों में मुक्त कर दिया जाती है।