Question -
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प्राथमिक उत्पादकता (PrimaryProductivity) – हरे पौधे प्रकाश संश्लेषण द्वारा सौर ऊर्जा को रासायनिक ऊर्जा में रूपान्तरित करके कार्बनिक पदार्थों में संचित कर देते हैं। यह क्रिया पर्णहरित तथा सौर प्रकाश की उपस्थिति में CO2 तथा जल के उपयोग द्वारा होती है। इस क्रिया के फलस्वरूप जैव जगत में सौर ऊर्जा का निरन्तर निवेश होता रहता है।
प्रकाश संश्लेषण द्वारा संचित ऊर्जा को प्राथमिक उत्पादन (primaryproduction) कहते हैं। एक निश्चित अवधि में प्रति इकाई क्षेत्र में उत्पादित जीवभार (biomass) या कार्बनिक पदार्थ की मात्रा को भार (g/m2) या ऊर्जा (kcal/m2) के रूप में अभिव्यक्त करते हैं। ऊर्जा की संचय दर को प्राथमिक उत्पादकता (primary productivity) कहते हैं। इसे kcal/m2/yr या g/m2/r में अभिव्यक्त करते हैं।
प्रकाश संश्लेषण की क्रिया में हरे पौधों द्वारा कार्बनिक पदार्थों में स्थिर (fixed) सौर ऊर्जा की कुल मात्रा को सकल प्राथमिक उत्पादन (Gross Primary Production : G.PP) कहते हैं।
प्राथमिक उत्पादकता को प्रभावित करने वाले कारक (Factors Affecting Primary Production)-प्राथमिक उत्पादकता एक सुनिश्चित क्षेत्र में पादप प्रजातियों की प्रकृति पर निर्भर करती है। यह विभिन्न प्रकार के पर्यावरणीय कारकों (प्रकाश, ताप, वर्षा, आर्द्रता, वायु, वायुगति, मृदा का संघटन, स्थलाकृतिक कारक तथा सूक्ष्मजैवीय कारक आदि), पोषकों की उपलब्धता (मृदा कारक) तथा पौधों की प्रकाश संश्लेषण क्षमता पर निर्भर करती है। इस कारण विभिन्न पारितन्त्रों की प्राथमिक उत्पादकता भिन्न-भिन्न होती है। मरुस्थल में प्रकाश तीव्र होता है, ताप की अधिकता और जल की कमी होती है। अत: इन क्षेत्रों में जल की कमी के कारण पोषकों की उपलब्धता कम रहती है। इस प्रकार प्राथमिक उत्पादकता प्रभावित होती है। इसके विपरीत उपयुक्त प्रकाश एवं ताप की उपलब्धता के कारण शीतोष्ण प्रदेशों में उत्पादन अधिक होता है।