Question -
Answer -
1. अनुलेखन (Transcription) – DNA के रज्जुक में कूट के रूप में निहित आनुवंशिक सूचनाओं का mRNA में प्रतिलिपिकरण, अनुलेखन कहलाता है। इस प्रक्रिया के लिए RNA पॉलीमरेज नामक एंजाइम सहायक होता है। सर्वप्रथम DNA के न्यूक्लिओटाइड्स बनते हैं। तत्पश्चात् DNA रज्जुक अलग होकर साँचे के समान कार्य करने लगते हैं जिसके अनुसार नयी श्रृंखला में क्षारक क्रम व्यवस्थित होते हैं व H-बंधों द्वारा आपस में जुड़ जाते हैं।
2. बहुरूपता (Polymorphism) – जीन जनसंख्या में आनुवंशिक उत्परिवर्तनों का, उच्च आवृत्ति में होना, बहुरूपता कहलाता है। ऐसे उत्परिवर्तन DNA अनुक्रमों के परिवर्तित होने के कारण उत्पन्न होते हैं तथा पीढ़ी-दर-पीढ़ी वंशागत होकर एकत्रित होते हैं तथा बहुरूपता का कारण बनते हैं। बहुरूपता अनेक प्रकार की होती है तथा इसमें एक ही न्यूक्लिओटाइड में अथवा वृहद स्तर पर परिवर्तन होते हैं।
3. स्थानान्तरण (Translation) – mRNA न्यूक्लिओटाइड की श्रृंखलाओं का अमीनो अम्ल की | पॉलीपेप्टाइड शृंखलाओं में परिवर्तित होना, स्थानान्तरण कहलाता है। यह प्रक्रिया राइबोसोम पर, प्रोटीन संश्लेषण के दौरान होती है। इसमें सर्वप्रथम एंजाइम व ATP द्वारा अमीनो अम्ल का सक्रियकरण होता है। सक्रिय अमीनो अम्ल tRNA पर स्थानांतरित होते हैं वे संश्लेषण प्रारंभ हो जाता है। तत्पश्चात् पॉलीपेप्टाइड अनुक्रम निर्धारित होते हैं। tRNA अणुओं के मध्य उपस्थित पेप्टाइड स्थल द्वारा पेप्टाइड बंध निर्मित होते हैं।
4. जैव सूचना विज्ञान (Bioinformatics) – जीव विज्ञान का वह क्षेत्र जिसके अंतर्गत जीवों के जीनोम संबंधी आँकड़ों का संग्रह, विश्लेषण किया जाता है, जैव सूचना विज्ञान कहलाता है। इसमें मानव जीनोम के मानचित्र बनाये जाते हैं वे DNA के अनुक्रमों को पंक्तिबद्ध किया जाता है। इसका उपयोग कृषि सुधार, ऊर्जा उत्पादन, पर्यावरण सुधार, स्वास्थ्य सुरक्षा आदि में किया जाता है।