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Question -

एक पारिस्थितिक तन्त्र में ऊर्जा प्रवाह का वर्णन कीजिए। 



Answer -

पारितन्त्र में ऊर्जा प्रवाह
पारितन्त्र को ऊर्जा मुख्य रूप से सौर ऊर्जा के रूप में प्राप्त होती है। सौर ऊर्जा का उपयोग हरे पादप (उत्पादक) ही कर सकते हैं। उत्पादक (हरे पौधे) प्रकाश संश्लेषण की क्रिया द्वारा सौर ऊर्जा को रासायनिक ऊर्जा में बदलकर कार्बनिक पदार्थों के रूप में संचित करते हैं। खाद्य पदार्थ के रूप में ऊर्जा उत्पादक (producers) से विभिन्न स्तर के उपभोक्ताओं (consumers) को प्राप्त होती है। ऊर्जा को प्रवाह एकदिशीय (unidirectional) होता है।
प्रत्येक खाद्य स्तर पर उपलब्ध ऊर्जा का 90% जीवधारी की जैविक क्रियाओं में खर्च हो जाता है, केवल 10% संचित ऊर्जा ही अगले खाद्य स्तर को हस्तान्तरित होती है। हस्तान्तरण के समय भी कुछ ऊर्जा का ह्रास होता है। इस प्रकार एक खाद्य स्तर से दूसरे खाद्य स्तर में केवल 10% ऊर्जा हस्तान्तरित होती है।
उदाहरणार्थ – एक खाद्य श्रृंखला में यदि उत्पादक के पास 100% ऊर्जा है तो प्रथम श्रेणी के उपभोक्ता (शाकाहारी) को केवल 10% ऊर्जा मिलेगी। उससे दूसरी श्रेणी के उपभोक्ता (मांसाहारी) को केवल 1% ऊर्जा मिलेगी। इसी प्रकार अगली श्रेणी के उपभोक्ता को 0.1% ऊर्जा मिलती है। इस प्रकार एक से दूसरी श्रेणी के जीव को केवल 10% ऊर्जा पिछली श्रेणी से प्राप्त हो सकती है। उपभोक्ता में सर्वाधिक ऊर्जा केवल शाकाहारियों को प्राप्य है।
पारितन्त्र में ऊर्जा को एकपक्षीय प्रवाह तथा अकार्बनिक पदार्थों के परिसंचरण का पारिस्थितिकी सिद्धान्त सभी जीवों एवं पर्यावरण पर लागू होता है।

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