MENU
Question -

किसी कक्षा में द्वि-सदनीय प्रणाली के गुणों पर बहस चल रही थी। चर्चा में निम्नलिखित बातें उभरकर सामने आईं। इन तर्को को पढ़िए और इनसे अपनी सहमति-असहमति के कारण बताइए-
(क) नेहा ने कहा कि द्वि-सदनीय प्रणाली से कोई उद्देश्य नहीं सधता।
(ख) शमा का तर्क था कि राज्यसभा में विशेषज्ञों का मनोनयन होना चाहिए।
(ग) त्रिदेव ने कहा कि यदि कोई देश संघीय नहीं है, तो फिर दूसरे सदन की जरूरत नहीं रह जाती।



Answer -

नेहा द्वारा कहे गए कथन से सहमत नहीं हुआ जा सकता। जहाँ द्वि-सदनीय प्रणाली है वहाँ दूसरा सदन कमजोर नहीं होता। कहीं उसकी शक्तियाँ कम हो सकती हैं पर वह निरर्थक नहीं हो सकता। भारत की राज्यसभा कुछ क्षेत्रों में विशेष शक्तियाँ रखती है। ब्रिटेन को लॉर्ड सदने गरिमा व परम्परा का प्रतीक है। अमेरिका के सीनेट अनेक क्षेत्रों में निचले सदन अर्थात् प्रतिनिधि सदन में भी अधिक शक्तिशाली है।
सामान्य रूप से उच्च सदन के निम्नलिखित लाभ हैं-

  1. उच्च सदन निम्न सदन की मनमानी पर नियन्त्रण रखता है।
  2. निम्न सदन द्वारा पारित बिलों को उच्च सदन पुनः विचार-विमर्श का अवसर प्रदान करता है।
  3. जनमत-निर्माण में सहायक होता है।
  4. संघीय प्रणाली में द्वितीय सदन आवश्यक है।
  5. विशिष्ट वर्गों का प्रतिनिधित्व करता है।
शमा का यह तर्क था कि राज्यसभा में विशेषज्ञों का मनोनयन होना चाहिए, उचित है। अधिकांश देशों में उच्च सदन में योग्य एवं अनुभवी व्यक्तियों को प्रतिनिधित्व दिया जाता है। ब्रिटेन के लॉर्ड सदन में विशिष्ट वर्ग व पृष्ठभूमि के सदस्यों को प्रतिनिधित्व प्रदान किया जाता है। इसी प्रकार भारत व अमेरिका में भी अनुभवी, योग्य और विशेष योग्यता वाले सदस्यों को इन सदनों में प्रतिनिधित्व दिया जाता है। त्रिदेव का यह तर्क भी सही है कि जिन राज्यों में संघीय प्रणाली नहीं है वहाँ दूसरे सदन की जरूरत नहीं रह जाती, परन्तु यदि दूसरा सदन होता तो उसकी कुछ उपयोगिता अवश्य होती।

Comment(S)

Show all Coment

Leave a Comment

Free - Previous Years Question Papers
Any questions? Ask us!
×