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Question -

आलोक मानता है कि किसी देश को कारगर सरकार की जरूरत होती है जो जनता की भलाई करे। अतः यदि हम सीधे-सीधे अपना प्रधानमंत्री और मंत्रिगण चुन लें और शासन का काम उन पर छोड़ दें, तो हमें विधायिका की जरूरत नहीं पड़ेगी। क्या आप इससे सहमत हैं? अपने उत्तर का कारण बताएँ।



Answer -

आधुनिक व कल्याणकारी राज्यों में विधायिका के गठन के बिना जनता द्वारा प्रधानमंत्री व मंत्रिमण्डल का चुनाव असम्भव है। जहाँ अध्यक्षात्मक कार्यपालिका है वहाँ भी राज्यों के आकार बड़े होने के कारण यह सम्भव नहीं हो पा रहा है कि मंत्रियों और राष्ट्रपति का चुनाव सीधे जनता द्वारा किया जाए। प्राचीनकाल में राजतन्त्र में भी राजा को विभिन्न विषयों पर परामर्श प्रदान करने के लिए ‘सभा’ या ‘समिति’ होती थी। अतः यह आवश्यक है कि राज्य में एक सभा हो जिसमें विभिन्न विषयों पर चर्चा हो, बहस हो व मतदान हो और निर्णय लिए जा सकें। इस सभा को ही सरकार के गठन का अधिकार सौंपा जाए, जिससे सँरकार, इस सभा के माध्यम से जनता के प्रति उत्तरदायी हो। संसदीय प्रणाली में तो यह अत्यन्त आवश्यक है। संसद विभिन्न तरीकों से कार्यपालिका पर नियन्त्रण करती है।

लोककल्याण के उद्देश्य को प्राप्त करने में संसद बाधा नहीं है। लोककल्याणकारी लोकतन्त्रात्मक सरकार एक ऐसी सरकार है जिसमें चर्चा, वाद-विवाद, विचार-विमर्श अत्यन्त आवश्यक हैं जो केवल संसद में ही सम्भव है। संसद में ही कानून बनाने के लिए चर्चा होती है, उसके सभी पहलुओं का अध्ययन किया जाता है, बजट पास किया जाता है, मंत्रियों और सरकार के सदस्यों से प्रश्न पूछे जाते हैं और आलोचना की जाती है, संविधान में संशोधन किए जाते हैं। स्पष्ट है कि देश के लिए कारगर सरकार की जरूरत संसद ही पूरा कर सकती है।

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