MENU
Question -

आपके अनुसार कौन-सा मौलिक अधिकार सबसे ज्यादा महत्त्वपूर्ण है? इसके प्रावधानों को संक्षेप में लिखें और तर्क देकर बताएँ कि यह क्यों महत्त्वपूर्ण है?



Answer -

संवैधानिक उपचारों का अधिकार अन्तिम और सबसे महत्त्वपूर्ण मौलिक अधिकार है; क्योंकि इसके अस्तित्व पर ही समस्त अधिकारों का अस्तित्व आधारित है। इस अधिकार द्वारा नागरिक उच्चतम न्यायालय से अपने अधिकारों की सुरक्षा करा सकते हैं। संविधान के 32 वें अनुच्छेद की प्रशंसा करते हुए डॉ बी० आर० अम्बेडकर ने संविधान सभा में कहा था, “यदि मुझसे पूछा जाए कि संविधान का सबसे महत्त्वपूर्ण अनुच्छेद कौन-सा है, जिसके बिना संविधान शून्य रह जाएगा तो मैं इस अनुच्छेद के अतिरिक्त और किसी दूसरे अनुच्छेद की ओर संकेत नहीं करूंगा। यह संविधान की आत्मा, उसका हृदय है।” नागरिकों के मौलिक अधिकारों की सुरक्षा के लिए उच्च न्यायालयों तथा उच्चतम न्यायालय द्वारा निम्नलिखित पाँच प्रकार के लेख जारी किए जा सकते हैं-

1. बन्दी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus) – इसका अर्थ बन्दी को न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करना है। यह उस व्यक्ति की प्रार्थना पर जारी किया जाता है, जो यह समझता है कि उसे अवैधानिक रूप से बन्दी बनाया गया है। इसके द्वारा न्यायालय तुरन्त उस व्यक्ति को अपने समक्ष उपस्थित करने का आदेश देता है और उसे अवैधानिक रूप से बन्दी बनाए जाने की स्थिति का सही मूल्यांकन करता है। इसके अतिरिक्त बन्दी बनाने के ढंग का अवलोकन भी करता है और अवैधानिक ढंग से बन्दी बनाए गए व्यक्ति को तुरन्त छोड़ने का आदेश देता है।
2. परमादेश (Mandamus) – जब कोई संस्था या अधिकारी कर्तव्यों का पालन नहीं करता है, जिसके फलस्वरूप किसी व्यक्ति के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होता है, तब न्यायपालिका
‘परमादेश’ द्वारा उस संस्था या अधिकारी को कर्तव्यों को पूरा करने का आदेश देती है।
3. प्रतिषेध (Prohibition) – यह किसी व्यक्ति या संस्था को उस कार्य से रोकने के लिए जारी किया जाता है, जो अधिकार-क्षेत्र के अन्तर्गत नहीं है। यदि अध.नस्थ न्यायालय अथवा अर्द्ध-न्यायालय का कोई न्यायाधीश ‘प्रतिषेध’ लेख की उपेक्षा करके कोई अभियोग सुनता है तो उसके विरुद्ध मानहानि का मुकदमा चलाया जा सकता है।
4. अधिकार-पुच्छा (Quo-warranto) – यदि कोई नागरिक कोई पद या अधिकार अवैधानिक | ढंग से प्राप्त कर लेता है तो उसकी जॉच हेतु यह अधिकार-पृच्छा’ लेख जारी किया जाता है।
5. उत्प्रेषण (Certiorari) – यह लेख उच्च न्यायालयों द्वारा उस समय जारी किया जाता है, जबकि अधीनस्थ न्यायालय का न्यायाधीश किसी ऐसे विवाद की सुनवाई कर रहा है, जो वास्तव में उसके अधिकार-क्षेत्र से बाहर है। इस लेख द्वारा उनके फैसले को रद्द कर दिया जाता है और उस मुकदमे से सम्बन्धित कागजात अधीनस्थ न्यायालय को उच्चतम न्यायालय को भेजने की आज्ञा दी जाती है।

Comment(S)

Show all Coment

Leave a Comment

Free - Previous Years Question Papers
Any questions? Ask us!
×