Chapter 1 परिचय (Introduction) Solutions
Question - 1 : - निम्नलिखित कथन सही हैं अथवा गलत? इन्हें तदनुसार चिह्नित करें
(क) सांख्यिकी केवल मात्रात्मक आँकड़ों का अध्ययन करती है।
(ख) सांख्यिकी आर्थिक समस्याओं का समाधान करती है।
(ग) आँकड़ों के बिना अर्थशास्त्र में सांख्यिकी का कोई उपयोग नहीं है।
Answer - 1 : -
(क) गलत,
(ख) सही,
(ग) सही।
Question - 2 : - उन क्रियाकलापों की सूची बनाएँ जो जीवन के सामान्य कारोबार के अंग होते हैं। क्या ये आर्थिक क्रियाकलाप हैं?
Answer - 2 : -
उन क्रियाकलापों की सूची जो जीवन के सामान्य कारोबार के अंग होते हैं, निम्नलिखित हैं|
- आवश्यकताओं की सन्तुष्टि के लिए वस्तुओं को क्रय करना।
- लाभ कमाने के लिए वस्तुओं का उत्पादन करना।
- किसी अन्य व्यक्ति के लिए कार्य करना और बदले में पारिश्रमिक लेना।
- पारिश्रमिक (वेतन/मजदूरी) पाने के लिए दूसरे व्यक्ति को सेवा प्रदान करना।
- लाभ कमाने के लिए वस्तुएँ बेचना (विक्रेता का कार्य)।
उपर्युक्त सभी क्रियाएँ आर्थिक हैं क्योंकि ये सभी धन सम्बन्धी क्रियाएँ हैं और मौद्रिक लाभ कमाने के उद्देश्य से की जाती हैं।
Question - 3 : - सरकार और नीति निर्माता आर्थिक विकास के लिए उपयुक्त नीतियों के निर्माण के लिए
सांख्यिकीय आँकड़ों का प्रयोग करते हैं। दो उदाहरणों सहित व्याख्या कीजिए।
अथवा सरकार एवं नीति-निर्माताओं के लिए सांख्यिकीय आँकड़ों के प्रयोग का महत्व बताइए।
Answer - 3 : -
1. सरकार द्वारा सांख्यिकीय आँकड़ों का प्रयोग देश में पूर्ण रोजगार के स्तर को बनाए रखने के लिए सरकार को अपनी व्यय नीति, कर नीति, मौद्रिक नीति आदि में समायोजन करना पड़ता है, परन्तु यह समायोजन सांख्यिकीय तथ्यों के आधार पर ही हो सकता है। सरकारी बजट का निर्माण भी सांख्यिकीय आँकड़ों के आधार पर किया जाता है। सरकार द्वारा नियुक्त आयोगों, समितियों आदि के प्रतिवेदनों का आधार भी समंक ही होते हैं। वास्तव में, सांख्यिकीय आँकड़े एक ऐसा आधार है जिसके चारों ओर सरकारी क्रियाएँ घूमती हैं।
2. नीति-निर्माताओं द्वारा सांख्यिकीय आँकड़ों का प्रयोग-सांख्यिकीय आँकड़े नीति निर्माण की आधारशिला हैं। योजनाएँ बनाने, उन्हें क्रियान्वित करने तथा उनकी उपलब्धियों/असफलताओं का मूल्यांकन करने में पग-पग पर सांख्यिकीय आँकड़ों का सहारा लेना पड़ता है। नीति-निर्माता समंकों का प्रयोग निम्नलिखित बातों के लिए करते हैं
- अन्य देशों की तुलना में अपने देश के आर्थिक विकास की स्थिति को जानने के लिए; .
- आर्थिक विकास के निर्धारक तत्त्वों के प्रभाव, तकनीकी प्रगति व उत्पादकता की स्थिति जानने के लिए;
- अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में प्राथमिकताएँ निर्धारित करने के लिए;
- विभिन्न क्षेत्रों के निर्धारित लक्ष्यों व वित्तीय साधनों का अनुमान लगाने के लिए;
- विभिन्न परियोजनाओं के कार्यकरण का मूल्यांकन करने के लिए
Question - 4 : - आपकी आवश्यकताएँ असीमित हैं तथा उनकी पूर्ति करने के लिए आपके पास संसाधन सीमित हैं। दो उदाहरणों द्वारा इसकी व्याख्या करें।
Answer - 4 : -
उदाहरण 1 – माना हमारे पास केवल १ 10 हैं। हम इससे फल, सब्जियाँ, पुस्तक, खेल का सामान आदि खरीदना चाहते हैं, सिनेमा भी देखना चाहते हैं। क्या हम ऐसा कर सकते हैं? नहीं। क्योंकि हमारे पास साधन सीमित अर्थात् मात्र 10 हैं। अतः हम इन आवश्यकताओं को वरीयता के क्रम में रखकर सर्वाधिक आवश्यक उन वस्तुओं को खरीद पाएँगे जिनका मूल्य र 10 तक होगा।
उदाहरण 2 – माना एक व्यक्ति के पास मात्र १ 10,000 की पूँजी है। वह इसे अनाज को संग्रह करने, अंश पत्रों व ऋण पत्रों में लगाने, कम्प्यूटर लगाकर जॉब वर्क करने आदि कार्यों में लगाना चाहता है। वह ऐसा नहीं कर सकता क्योंकि उसके पास पूँजी सीमित (मात्र १ 10,000) है। अत: वह वही कार्य कर पाएगा जिसमें अधिकतम पूँजी की आवश्यकता मात्र १ 10,000 हो।
Question - 5 : - उन आवश्यकताओं का चुनाव आप कैसे करेंगे जिनकी आप पूर्ति करना चाहेंगे?
Answer - 5 : -
जिन आवश्यकताओं की हम पूर्ति करना चाहेंगे उनका चुनाव निम्नलिखित तथ्यों के आधार पर किया जाएगा
- विभिन्न आवश्यकताओं की तीव्रता देखकर, अधिक तीव्रता वाली आवश्यकताओं को सन्तुष्ट करने के लिए चुनाव किया जाएगा।
- यह देखा जाएंगा कि हमारे पास उन आवश्यकताओं को सन्तुष्ट करने के लिए कितने साधन उपलब्ध हैं।
- यह भी देखा जाएगा कि उपलब्ध संसाधनों के कितने वैकल्पिक प्रयोग हो सकते हैं। संक्षेप में, साधनों की उपलब्धता उनके वैकल्पिक प्रयोगों के आधार पर, अधिक तीव्रता वाली आवश्यकताओं की क्रमानुसार सन्तुष्टि की जाएगी।
Question - 6 : - आप अर्थशास्त्र का अध्ययन क्यों करना चाहते हैं? कारण बताइए।
Answer - 6 : -
हम अर्थशास्त्र का अध्ययन निम्नलिखित कारणों से करना चाहते हैं
- अर्थशास्त्र के अध्ययन से ज्ञान में वृद्धि होती है, तर्क शक्ति बढ़ती है और दृष्टिकोण विस्तृत एवं वैज्ञानिक हो जाता है।
- अर्थशास्त्र के अध्ययन से चुनाव योग्यता में वृद्धि होती है और हम आवश्यक तथा अनावश्यक आवश्यकताओं में भेद करने में समर्थ हो जाते हैं।
- पारिवारिक बजट बनाकर हम विवेकपूर्ण ढंग से व्यय करना सीख जाते हैं। इससे हमें अधिकतम सन्तुष्टि प्राप्त होती है।
- न्यूनतम लागत पर अधिकतम उत्पादन कैसे किया जाए, इसको ज्ञान हमें, अर्थशास्त्र के अध्ययन से प्राप्त होता है।
- अर्थशास्त्र के अध्ययन से हमें देश में जन-कल्याण हेतु चलाई जा रही विभिन्न परियोजनाओं का ज्ञान होता है।
- अर्थशास्त्र के अध्ययन से हमारी कार्यक्षमता में वृद्धि होती है।
- हमें देश में प्रचलित विभिन्न कुरीतियों एवं समस्याओं का ज्ञान होता है; जैसे–निर्धनता, बेरोजगारी, जनसंख्या में वृद्धि, अल्प-पोषण, जाति प्रथा, दहेज प्रथा, बाल-विवाह आदि। अर्थशास्त्र के अध्ययन से हमें इन समस्याओं के समाधान में सहायता मिलती है।
Question - 7 : - सांख्यिकीय विधियाँ सामान्य बुद्धि का स्थानापन्न नहीं होतीं।’ टिप्पणी कीजिए।
Answer - 7 : -
सांख्यिकीय विधियाँ सामान्य बुद्धि का स्थानापन्न नहीं होतीं यह बात सर्वथा सत्य है। अत: इसका प्रयोग विशेष सावधानी के साथ उसकी सीमाओं को ध्यान में रखते हुए एक उपयुक्त व्यक्ति द्वारा किया जाना चाहिए अन्यथा उससे निकाले गए निष्कर्ष भ्रामक होंगे। इसे निम्नलिखित उदाहरण द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है
उदाहरण – एक बार चार व्यक्तियों का एक परिवार (पति-पत्नी तथा दो बच्चे) नदी पार करने निकला। पिता को नदी की औसत गहराई की जानकारी थी। अतः उसने परिवार के सदस्यों के औसत । कद का हिसाब लगाया। चूँकि परिवार के सदस्यों का औसत कद नदी की औसत गहराई से अधिक था, इसलिए उसने सोचा कि वे सभी सुरक्षित रूप से नदी पार कर सकते हैं। परिणामस्वरूप नदी पार करते समय बच्चे पानी में डूब गए। स्पष्ट है कि उस व्यक्ति ने ‘औसत’ का दुरुपयोग किया था। स्पष्ट है कि सांख्यिकी का प्रयोग पूर्ण योग्यता तथा ज्ञान के साथ, अत्यधिक सावधानी बरतते हुए तथा उसके विज्ञान की सीमाओं को ध्यान में रखते हुए, एक उपयुक्त व्यक्ति द्वारा किया जाना चाहिए ताकि निकाले गए निष्कर्ष सही तथा स्पष्ट हों।