Chapter 8 अपचयोपचय अभिक्रियाएँ (Redox Reactions) Solutions
Question - 11 : - “जब भी एक ऑक्सीकारक तथा अपचायक के बीच अभिक्रिया सम्पन्न की जाती है, तब अपंचायक के आधिक्य में निम्नतर ऑक्सीकरण अवस्था का यौगिक तथा ऑक्सीकारक के आधिक्य में उच्चतर ऑक्सीकरण अवस्था का यौगिक बनता है। इस वक्तव्य का औचित्य तीन उदाहरण देकर दीजिए।
Answer - 11 : - दिये गये वक्तव्य का औचित्य निम्नलिखित उदाहरणों द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है
अभिक्रिया (i) में अपचायक (reducing agent) कार्बन अधिकता में है, जबकि अभिक्रिया (ii) में ऑक्सीकारक (oxidising agent) O2 अधिकता में है। अभिक्रिया (i) में CO (कार्बन की O.S.= +2) तथा अभिक्रिया (ii) में CO2 (कार्बन की O.S. = +4) का निर्माण होता है।
Question - 12 : - इन प्रेक्षणों की अनुकूलता को कैसे समझाएँगे?
(क) यद्यपि क्षारीय पोटैशियम परमैंगनेट तथा अम्लीय पोटैशियम परमैंगनेट दोनों ही
ऑक्सीकारक हैं। फिर भी टॉलूईन से बेन्जोइक अम्ल बनाने के लिए हम ऐल्कोहॉलिक पोटैशियम परमैंगनेट का प्रयोग ऑक्सीकारक के रूप में क्यों करते हैं? इस अभिक्रिया के लिए सन्तुलित अपचयोपचय समीकरण दीजिए।
(ख) क्लोराइडयुक्त अकार्बनिक यौगिक में सान्द्र सल्फ्यूरिक अम्ल डालने पर हमें तीक्ष्ण गन्ध वाली HCI गैस प्राप्त होती है, परन्तु यदि मिश्रण में ब्रोमाइड उपस्थित हो तो हमें ब्रोमीन की लाल वाष्प प्राप्त होती है, क्यों?
Answer - 12 : - (क) यदि टॉलूईन का ऑक्सीकरण क्षारीय अथवा अम्लीय KMnO4 द्वारा किया जाये तो ऑक्सीकरण को नियन्त्रित करना कठिन होगा। इसमें मुख्य उत्पाद बेंजोइक ऐसिड (benzoic acid) के साथ-साथ सह अभिक्रियाओं (side reactions) द्वारा दूसरे उत्पाद भी प्राप्त होंगे। इसलिए टॉलूईन के ऑक्सीकरण के लिये क्षारीय अथवा अम्लीय KMnO4 के स्थान पर ऐल्कोहॉलिक KMnO4 को वरीयता दी जाती है। अपचयोपचय (redox reaction) अभिक्रिया नीचे दी गई है–
(ख) जब सान्द्र H2SO4 को क्लोराइडयुक्त एक अकार्बनिक मिश्रण में मिलाया जाता है, तो कम वाष्पशील अम्ल H2SO4 अधिक वाष्पशील अम्ल HCl को विस्थापित करता है और HCl गैस की तीक्ष्ण गन्ध आती है।
2NaCl(5) + H2SO4 (l) → 2NaHSO4 (s) +2HCl(g)
HCl एक दुर्बल अपचायक है। यह H2SO4 को SO2 में अपचयित करने में असमर्थ है। जब मिश्रण में ब्रोमाइड उपस्थित होता है तो अधिक उड़नशील अम्ल HBr विस्थापित होता है। HBr एक अधिक प्रबल अपचायक है और H2SO4 को SO2 में अपचयित कर देता है। यह स्वयं ऑक्सीकृत होकर ब्रोमीन देता है जो लाल वाष्प के रूप में प्राप्त होती है।
Question - 13 : - निम्नलिखित अभिक्रियाओं में ऑक्सीकृत, अपचयित, ऑक्सीकारक तथा अपचायक पदार्थ पहचानिए-
(क) 2AgBr(s) + C6H6O2(aq)→ 2Ag(s) + 2HBr (aq) + C6H4O2(aq)
(ख) HCHO(7) +2[Ag(NH3)2]+ (aq)+ 3OH– (aq) → 2Ag(s)+ HCOO–7 (aq) +4NH3(aq)+2H2O(7)
(ग) HCHO(1) + 2Cu2+(aq)+ 5OH– (aq) → Cu2O(s)+ HCOO– (aq)+3H2O(l)
(घ) N2H4(l)+ 2H2O(l) → N2(g)+ 4H2O(l)
(ङ) Pb(s) + PbO2(s)+2HSO4 (aq) → 2PbSO4(s) + 2H2O(l)
Answer - 13 : -
Question - 14 : - निम्नलिखित अभिक्रियाओं में एक ही अपचायक थायोसल्फेट, आयोडीन तथा ब्रोमीन से अलग-अलग प्रकार से अभिक्रिया क्यों करता है?
2S2O2-3 (aq) + I2(s) → S4O2-6(aq)+ 2I– (aq)
S2O2-3 (aq) + 2Br2(l) + 5H2O(l)→ 2SO2-4 (aq) + 4Br–(aq) + 10H+ (aq)
Answer - 14 : -
प्रस्तुत स्पीशीज (species) में S की ऑक्सीकरण संख्या निम्न है-
S2O2-3 =+2, S4O2-6 = 2.5, SO2-4 =+6
ब्रोमीन, आयोडीन से अधिक प्रबल ऑक्सीकारक है। इसलिये यह S2O2-3 (S की 0.S. = +2) को SO2-4 (S की O.S. = +6) में ऑक्सीकृत कर देता है; जिसमें S उच्च-ऑक्सीकरण अवस्था में है। I2 एक दुर्बल ऑक्सीकारक की तरह व्यवहार करता है। यह S2O2-3 को S4O2-6(S की O.S. = 2.5) में . ऑक्सीकृत करता है, जिसमें S की ऑक्सीकरण-अवस्था कम है। यही कारण है कि S2O2-3,Br2 से I2 से अलग-अलग प्रकार से अभिक्रिया करता है।
Question - 15 : - अभिक्रिया देते हुए सिद्ध कीजिए कि हैलोजनों में फ्लुओरीन श्रेष्ठ ऑक्सीकारक तथा हाइड्रोहैलिक यौगिकों में हाइड्रोआयोडिक अम्ल श्रेष्ठ अपचायक है।
Answer - 15 : -
हैलोजनों की ऑक्सीकारक क्षमता का घटता हुआ क्रम निम्न है-F2 > Cl2, > Br2 >I2। F2 एक प्रबल ऑक्सीकारक है तथा यह Cl–, Br– तथा I– आयनों का ऑक्सीकर कर देती है। Cl2 केवल Br– तथा I– आयनों को और Br2 केवल I– आयनों को ही ऑक्सीकृत कर पाती है। I2 इनमें से किसी को भी ऑक्सीकृत करने में असमर्थ है। अभिक्रियायें नीचे दी गई हैं-
F2 की ऑक्सीकारक अभिक्रियाएँ-
F2(g) + 2Cl–(aq) -→ 2F– (aq)+ Cl2 (g)
F2 (g)+2Br–(aq) 2F–(aq) + Br2 (1)
F2(g) + 2I–(aq) → 2F–(aq) + I(s)
Cl2 की ऑक्सीकारक अभिक्रियाएँ-
Cl2(g)+ 2Br–(aq) -→ 2Cl–(aq) + Br(1)
Cl2(g) + 2I–(aq) → 2C–(aq) + I2(l),
I2 की ऑक्सीकारक अभिक्रियाएँ-
Br2(l)+ 2I–(aq) → 2Br–(aq) + I2(s)
इस प्रकार F2 सबसे अच्छा ऑक्सीकारक है। हाइड्रोलिक अम्लों की अपचायक क्षमता का घटता हुआ क्रम निम्न प्रकार है-
HI>HBr> HCl> HF
HI और HBr सल्फ्यूरिक अम्ल (H2SO4)को SO2 में अपचयित कर देते हैं, जबकि HCl व HF ऐसा नहीं कर पाते।
2HBr + H2SO4 → SO2+ 2H2O+Br2
2HI + H2SO4 → SO2 + 2H2O+ I2
HCI, MnO2 को Mn2+ में अपचयित कर देता है परन्तु HF ऐसा करने में असमर्थ है। यह दर्शाता है। कि HCl की ऑक्सीकृत क्षमता HBr से अधिक है।
MnO2 +4HCl → MnCl2 + Cl2 +2H2O
MnO2 + 4HF → कोई अभिक्रिया नहीं
अतः हाइड्रोलिक अम्लों में HI प्रबलतम अपचायक है।
Question - 16 : - निम्नलिखित अभिक्रिया क्यों होती है?
XeO4-6(aq) + 2F–(aq) + 6H+(aq) →XeO3(g) + F2(g) + 3H2O(I)
यौगिक Na4XeO6 (जिसका एक भाग XeO4-6 है) के बारे में आप इस अभिक्रिया में क्या निष्कर्ष निकाल सकते हैं?
Answer - 16 : -
इस अभिक्रिया में XeO6 को XeO3 में अपचयन तथा F– का F2 में ऑक्सीकरण हो रहा है। यह अभिक्रिया इसलिये सम्पन्न होती है क्योंकि XeO6, F2 से अधिक प्रबल ऑक्सीकारक है। चूंकि XeO4-6 F2 की तुलना में अधिक प्रबल ऑक्सीकारक है, अत: Na4XeO6 एक प्रबल ऑक्सीकारक होगा।
Question - 17 : - निम्नलिखित अभिक्रियाओं में-
(क) H3PO2(aq)+ 4AgNO3(aq) + 2H2O(l) → H2PO4(aq)+ 4Ag(s) +4HNO3(aq)
(ख) H3PO2(aq)+ 2CuSO4 (aq) + 2H2O(I)→ H3PO4 (aq)+ 2Cu(s) +2H2SO4 (aq)
(ग) C2H5CHO(l)+ 2[Ag(NH3)2]+(aq) + 3OH– (aq)→ C6H5COO– (aq) +2Ag(s) +4NH3(aq)+2H2O(l)
(घ) C6H5CHO(l)+2Cu2+ (aq) + 5OH– (aq) कोई परिवर्तन नहीं।
इन अभिक्रियाओं से A+ तथा Cu2+ के व्यवहार के विषय में निष्कर्ष निकालिए।
Answer - 17 : -
ये अभिक्रिया दर्शाती है कि Ag+,Cu2+ से अधिक प्रबल ऑक्सीकारक है। यह निम्न तथ्यों से स्पष्ट है-
- अभिक्रिया (क) और (ख) दर्शाती है कि Ag2व Cu2+ दोनों आयने H3PO2 को H3PO4 में ऑक्सीकृत कर सकते हैं। अत: दोनों ऑक्सीकारक हैं।।
- अभिक्रिया (ग) दर्शाती है कि [Ag(NH3)2]+ आयन C6H5CHO को C6H2COOH में ऑक्सीकृत कर सकता है, परन्तु अभिक्रिया (घ) के अनुसार Cu2+ आयन ऐसा करने में असमर्थ है।
अतः यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि यद्यपि Ag+व Cu2+ दोनों ऑक्सीकारक अभिकर्मक हैं, परन्तु Ag+,Cu2+ से अधिक प्रबल ऑक्सीकारक है।
Question - 18 : - आयन-इलेक्ट्रॉन विधि द्वारा निम्नलिखित रेडॉक्स अभिक्रियाओं को सन्तुलित कीजिए-
(क) MnO–4(aq)+I–(aq) → MnO2(s) +I2(s)
(क्षारीय माध्यम)
(ख) MnO–4(aq)+ SO2(8) → Mn2+ (aq) + HSO–4(aq)(अम्लीय माध्यम)
(ग) H2O2(aq)+Fe2+ (aq) → Fe3+ (aq) +H2O(l) (अम्लीय माध्यम)
(घ) Cr2O2-7 +SO2(g)→ Cr3+ (aq) + SO2-4(aq) (अम्लीय माध्यम)
Answer - 18 : -
Question - 19 : - निम्नलिखित अभिक्रियाओं के समीकरणों को आयन-इलेक्ट्रॉन तथा ऑक्सीकरण संख्या विधि (क्षारीय माध्यम में) द्वारा सन्तुलित कीजिए तथा इनमें ऑक्सीकारक और
अपचायकों की पहचान कीजिए-
(क) P4(s) + OH– (aq)→ PH3(g) + H–PO27 (aq)
(ख) N2H4(l)+ ClO–3(aq) → NO(g) + Cl–(g)
(ग) Cl2O7(g)+ H2O2(aq) → ClO–2 (aq) + O2(g)+ H+(aq)
Answer - 19 : -
Question - 20 : - निम्नलिखित अभिक्रिया से आप कौन-सी सूचनाएँ प्राप्त कर सकते हैं-
(CN)2(g) + 2OH– (aq) → CN– (aq) +CNO– (aq) + H2O(l)
Answer - 20 : -
यह एक असमानुपातन (disproportionation) अभिक्रिया है। इसमें (CN)2 एक ही समय में CN– में अपचयित और CNO– में ऑक्सीकृत होता है। यह अभिक्रिया क्षारीय माध्यम में होती है।