Chapter 4 रासायनिक आबन्धन एवं आण्विक संरचना (Chemical Bonding and Molecular Structure) Solutions
Question - 21 : - चतुष्फलकीय ज्यामिति के अलावा CH4 अणु की एक और सम्भव ज्यामिति वर्ग-समतली है जिसमें हाइड्रोजन के चार परमाणु एक वर्ग के चार कोनों पर होते हैं। व्याख्या कीजिए कि CH4 का अणु वर्ग-समतली नहीं होता है।
Answer - 21 : -
वर्ग-समतली ज्यामिति के लिए, dsp2 संकरण आवश्यक है। कार्बन परमाणु को उत्तेजित अवस्था में विन्यास 1s2 2s2 2p1x 2p1y, 2p1z है। इसके पास 4-कक्षक नहीं है। अत: यह dsp2 संकरण में भाग नहीं ले सकता। इस कारण CH4 की वर्ग–समतली आकृति सम्भव नहीं है। CH4 में, कार्बन परमाणु sp3 संकरित अवस्था में होता है जो CH4 के अणु को आकृति में चतुष्फलकीय (tetrahedral) बनाता है।
Question - 22 : - यद्यपि Be-H आबन्ध ध्रुवीय है, तथापि BeH, अणु का द्विध्रुव आघूर्ण शून्य है। स्पष्ट कीजिए।
Answer - 22 : - sp संकरण के कारण BeH2 अणु की ज्यामिति रेखीय होती है। इस कारण इसमें उपस्थित दोनों BeH आबन्धों के आबन्ध आघूर्ण (bond moments) एक-दूसरे के विपरीत दिशा में कार्य करते हैं। परिणाम में समान होने के कारण तथा विपरीत दिशा में कार्य करने के कारण ये एक-दूसरे का निराकरण कर देते हैं। फलस्वरूप BeH2 का द्विध्रुव आघूर्ण शून्य प्राप्त होता है।

Question - 23 : - NH3 तथा NF3 में किस अणु का द्विध्रुव आघूर्ण अधिक है और क्यों?
Answer - 23 : -
NH3 तथा NF3, दोनों अणुओं की पिरामिडी आकृति होती है तथा दोनों NH3 (3.0-2.1 = (0.9) तथा NF3 (4.0-3.0 = 1.0) अणुओं में विद्युत-ऋणात्मकता अन्तर भी लगभग समान होता है, परन्तु NH3 का द्विध्रुव आघूर्ण (1.46 D), NF3 (0.24 D) की तुलना में अधिक होता है।
इसकी व्याख्या द्विध्रुव आघूर्णो की दिशा में अन्तर के आधार पर की जा सकती है। NH3 में नाइट्रोजन परमाणु पर उपस्थित एकाकी इलेक्ट्रॉन-युग्म का कक्षक द्विध्रुव आघूर्ण तीन N—F आबन्धों के द्विध्रुव आघूर्गों के परिणामी द्विध्रुव आघूर्ण की विपरीत दिशा में होता है। कक्षक द्विध्रुव आघूर्ण एकाकी इलेक्ट्रॉन-युग्मं के कारण N—F आबन्ध-आघूर्गों के परिणामी द्विध्रुव आधूर्ण के प्रभाव को कम करता है। इसके फलस्वरूप NF3 के अणु का द्विध्रुव आघूर्ण कम होता है।
Question - 24 : - परमाणु कक्षकों के संकरण से आप क्या समझते हैं। sp, sp2 तथा sp3 संकर कक्षकों की आकृति का वर्णन कीजिए।
Answer - 24 : -
संकरण (Hybridisation)-CH4, NH5, H2O जैसे बहुपरमाणुक अणुओं की विशिष्ट ज्यामितीय आकृतियों को स्पष्ट करने के लिए पॉलिंग ने परमाणु कक्षकों के सिद्धान्त को प्रतिपादित किया। पॉलिंग के अनुसार परमाणु कक्षक संयोजित होकर समतुल्य कक्षकों का समूह बनाते हैं। इन कक्षकों को संकर कक्षक कहते हैं। आबन्ध विरचन में परमाणु शुद्ध कक्षकों के स्थान पर संकरित कक्षकों का प्रयोग करते हैं। इस परिघटना को हम संकरण कहते हैं। इसे निम्नवत् परिभाषित किया जा सकता है
“लगभग समान ऊर्जा वाले कक्षकों के आपस में मिलकर ऊर्जा के पुनर्वितरण द्वारा समान ऊर्जा तथा आकार वाले कक्षकों को बनाने की प्रक्रिया को संकरण कहते हैं।”
उदाहरणार्थ-कार्बन का एक 2s कक्षक तथा तीन 2p कक्षक संकरण द्वारा चार नए sp3 संकर कक्षक बनाते हैं।
sp, sp2 तथा sp3 संकर कक्षकों की आकृति (Shapes of sp, sp2 and sp3 hybridorbitals)
sp, sp2 तथा sp3 संकर कक्षकों की आकृति का वर्णन निम्नलिखित है–
(i)sp संकर कक्षक(sp-hybridised orbitals)-sp संकरण में परमाणु की संयोजकता कोश के -उपकोश का एक कक्षक तथा p-उपकोश का एक कक्षक मिलकर समान आकृति एवं तुल्य ऊर्जा के sp संकरित कक्षक बनाते हैं। ये कक्षक आकृति में 180° के कोण पर अभिविन्यसित होते हैं।

(ii) sp2 संकरे कक्षक(sp2-hybridised orbitals)-sp2– संकरण में परमाणु की संयोजकता कोश के 5-उपकोश का एक कक्षक तथा p-उपकोश के दो कक्षक संयोजित होकर समान आकृति एवं तुल्य ऊर्जा के sp2 संकर कक्षक बनाते हैं। ये sp2 संकर कक्षक एक तल में स्थित होते हैं तथा एक समबाहु त्रिभुज के कोनों पर एवं 120° कोण पर निर्देशित रहते हैं।

(iii) sp3 संकर कक्षक(sp3-hybridised orbitals)-sp3 संकरण में परमाणु की संयोजकता कोश के -उपकोश, का एक कक्षक तथा p-उपकोश के तीन कक्षक संयोजित होकर समान आकृति एवं तुल्य ऊर्जा के चार sp3 संकर कक्षक बनाते हैं। ये चारों sp3 संकर कक्षक एक चतुष्फलक के चारों कोनों पर निर्देशित रहते हैं।

Question - 25 : - निम्नलिखित अभिक्रिया में Al परमाणु की संकरण अवस्था में परिवर्तन (यदि होता है तो) को समझाइए-
AlCl3 + Cl– > AlCl–4
Answer - 25 : -
AlCl3, का निर्माण, केन्द्रीय Al परमाणु के sp2 संकरण के द्वारा होता है। (Al: 1s2 2s2 2p6 3s1 3p1x 3p1–) AlCl–4 निर्माण sp3 संकरण के द्वारा होता है (क्योंकि AlCl–4में, Al की रिक्त 3pz, कक्षक भी संकरण में सम्मलित है) इसलिए दी गई अभिक्रिया में Al की संकरण अवस्था sp2 से sp3 में परिवर्तित होती है।।
Question - 26 : - क्या निम्नलिखित अभिक्रिया के फलस्वरूप B तथा N परमाणुओं की संकरण-अवस्था में परिवर्तन होता है?
BF3 + NH2 → F3 B.NH3
Answer - 26 : -
NH3 में N की संकरण अवस्था अर्थात् sp3 अपरिवर्तित रहती है।
BF3 में बोरोन परमाणु sp2 संकरित है, जबकि F3 B.NH3 में यह sp3 संकरित है। इसलिए, दी गई अभिक्रिया में B की संकरण अवस्था sp2 से sp3 में परिवर्तित होती है।
Question - 27 : - C2H4 तथा C2H2 अणुओं में कार्बन परमाणुओं के बीच क्रमशः द्वि-आबन्ध तथा त्रि-आबन्ध के निर्माण को चित्र द्वारा स्पष्ट कीजिए।
Answer - 27 : - (i) C2H4

(ii) C2H2

Question - 28 : - निम्नलिखित अणुओं में सिग्मा (σ) तथा पाई (π) आबन्धों की कुल संख्या कितनी है?
(क) C2H2
(ख) C2H4
Answer - 28 : - 
Question - 29 : - X-अक्ष को अन्तर्नाभिकीय अक्ष मानते हुए बताइए कि निम्नलिखित में कौन-से कक्षक सिग्मा (σ) आबन्ध नहीं बनाएँगे और क्यों?
(क) 1s तथा 1s,
(ख) 1s तथा 2px;
(ग) 2py तथा 2py,
(घ) 1s तथा 25
Answer - 29 : -
(क), (ख) तथा (घ) सिग्मा (σ) आबन्ध बनायेंगे क्योंकि कक्षक गोलीय सममित (spherically symmetric) हैं।
(घ) अर्थात् 2py , तथा 2py, सिग्मा आबन्ध नहीं बना सकते, क्योंकि ये ऑर्बिटल y-अक्ष के अनुतटीय होने के कारण अक्षीय अतिव्यापन नहीं कर सकते और इस प्रकार o-आबन्ध का निर्माण नहीं कर सकते। ये केवल पार्श्ववत अतिव्यापन कर 7 आबन्धु बना सकते हैं, यदि -अक्ष अन्तरानाभिकीय अक्ष हैं।
Question - 30 : - निम्नलिखित अणुओं में कार्बन परमाणु कौन-से संकर कक्षक प्रयुक्त करते हैं?
(क) CH3–CH3
(ख) CH3—CH=CH2
(ग) CH3—CH2—OH
(घ) CH3CHO
(ङ) CH3COOH
Answer - 30 : - 